
कोविड महामारी के संघर्षपूर्ण समय में रतलाम शहर के नन्हें आर्यवीर ने मात्र 3 वर्ष की उम्र मे विश्व रिकॉर्ड बना कर रतलाम नगर व देश का नाम रोशन किया है.आर्यवीर कंप्यूटर और लैपटॉप के कीबोर्ड के नाम पहचान कर सॉफ्टवेयर स्क्रैच लैंग्वेज ब्लॉक प्रोग्रामिंग को विस्तार से समझ लेते हैं. इसके अलावा वो प्रोग्राम बनाना जैसे मोशन मूवमेंट लूप साउंड अटैचिंग जोकि इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरमेंट पर आधारित है ये सब काम भी बड़ी आसानी से कर लेते हैं. आर्यवीर ने ऐसा प्रोग्राम बनाया है जिसमें वह किसी भी करैक्टर का मूवमेंट करके एक एनिमेशन का निर्माण कर सकते हैं.
माता-पिता ने दी ट्रेनिंग
यह सारे अचीवमेंट आर्यवीर पटेल ने अपने नाम कर लिया है. इसी तरह से नोबल वर्ल्ड रिकॉर्ड के माध्यम से भारत,अमेरिका, इंग्लैंड सहित 120 देशों में यह रिकॉर्ड पब्लिश किया गया है.आर्यवीर पटेल की माता दीपिका पटेल और पिता प्रीतांशु पटेल दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि आर्यवीर हम दोनों को वर्क फ्रॉम होम करते देखते हुए दो वर्ष की उम्र से ही लैपटॉप में रुचि लेने लगा. इसी बात को पहचान कर आर्यवीर के माता पिता ने उसे ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया. इस संघर्ष पूर्ण समय का सदुपयोग कर आर्यवीर के पिता ने नौकरी (वर्क फ्रॉम होम) के साथ अपने बच्चे के विकास में भी केंद्रित कर संपूर्ण समाज के लिए एक उदाहरण पेश किया है.
परिवार ने जाहिर की खुशी
आर्यवीर का अभी स्कूल में एडमिशन भी नहीं हुआ है इस तरह माता पिता ने घर पर ही बेटे कि प्रतिभा के साथ पढ़ाई मैं भी योगदान दिया. इस उपलब्धि पर आर्यवीर के समस्त परिवार जन ने उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं एवं खुशी जाहिर की.
बचपन से ही कंप्यूटर में थी रुचि
आर्यवीर के पिता ने बताया कि आर्यवीर ने नोबल वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड और कलाम बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा लिया है. इसके अलावा वर्ल्ड यंगेस्ट कंप्यूटर प्रोग्रामर का टाइटल भी उनके नाम दर्ज है. जब यह बहुत छोटा था तब हमारे पिताजी स्वर्गीय वी सी पाटीदार जी ज्यादा आब्जर्व करते थे. उनके ऑब्जरवेशन में हमें पता चला कि यह लैपटॉप और कंप्यूटर में काफी रुचि लेता है. उन्होंने ही बताया कि इस पर थोड़ा विशेष ध्यान देकर और इंप्रूव करें. उनसे सीख ले कर हमने आर्य को लैपटॉप के बारे में और इंफॉर्मेशन देना शुरू किया यह भी इंटरेस्ट लेने लगा और उसने काफी मेहनत की.
धीरे-धीरे किया इंप्रूव
आज 3 साल की उम्र में यह कंप्यूटर प्रोग्रामर का टाइटल जीत चुका है. हमने पूरा 1 साल इस पर विशेष ध्यान दिया. हम लोगों को कोविड महामारी के कारण घर से ही काम करना शुरू कर दिया था. उसी के चलते हमने आर्यवीर पर फोकस करना शुरू कर दिया था. हमने इसकी रूचि इसका फोकस और इंटरेस्ट एरिया समझा. उसके बतौर हमने देखा कि यह भी रुचि ले रहा है इन सब चीजों में. हम धीरे-धीरे इसको इंप्रूव करते गए और वाकई में इसने अच्छा रिजल्ट दिया. वर्ल्ड रिकॉर्ड के बारे में हमें ऑनलाइन जानकारी मिली थी.
दादी ने भी जाहिर की खुशी
वहीं आर्यवीर की दादी राधा कहती हैं, मुझे बहुत गर्व हुआ और दिल से बहुत खुशी हुई क्योंकि जो मेरे पति का सपना था वह आज मेरे पोते ने पूरा किया है. उनकी यही सोच थी कि मैं इस बच्चे को बहुत आगे बढ़ाऊंगा. मेरे पोते ने उनके सपनों को साकार किया मुझे बहुत खुशी हो रही है.
(रतलाम से विजय मीणा की रिपोर्ट)