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EXCLUSIVE: सासाराम के युवा इंजीनियर का कमाल! लॉकडाउन में WFH से ल‍िख डाली क‍िताब, अब बनाया ऐप

रविकांत प‍िछले साल की घटना का ज‍िक्र करते हुए भावुक हो गए. रव‍िकांत ने बताया क‍ि दिसंबर 2020 को उनके प‍िताजी का न‍िधन हो गया. इसके बाद रविकांत अंदर से टूट गए. यहां तक क‍ि रविकांत ने जॉब भी छोड़ दिया. उनको लगने लगा कि अब जॉब या कोई भी अच्छा काम किसके लिए करेंगे. लेकिन एक दिन रविकांत को अपने पिता की लिखी एक चिट्ठी मिली. रविकांत के पिता ने इस चिट्ठी में लिखा था कि हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करते रहना, चाहे कुछ भी हो जाए.. हिम्मत मत हारना..

रविकांत सोनी और नम्रता सोनी रविकांत सोनी और नम्रता सोनी
हाइलाइट्स
  • सासाराम शहर के मूल न‍िवासी हैं रविकांत सोनी

  • लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम के साथ ल‍िख डाली है किताब

  • रविकांत ने हाल ही में एक ऐप भी बनाया है

देश में कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवास‍ियों से आपदा को अवसर में बदलने का आह्वान क‍िया था. प्रधानमंत्री के इस आह्वान का तमाम देशवास‍ियों ने तहेद‍िल से स्वागत क‍िया और महामारी के दौरान संकट को खुद पर हावी होने नहीं द‍िया. इतना ही नहीं, लोगों ने संकट के दौरान समय का सही इस्तेमाल करते हुए कुछ ऐसा कर डाला जो लाखों के ल‍िए प्रेरणास्रोत बन गया.

ऐसी ही कामयाबी की कहानी ल‍िखी है ब‍िहार के रोहतास ज‍िले के दो युवा भाई-बहनों ने. साधारण पर‍िवार से ताल्लुक रखने वाले  रव‍िकांत और नम्रता सोनी ने लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम से अपनी नौकरी तो की ही, इस दौरान कंप्यूटर सॉफ्टवेयर पर एक किताब भी ल‍िख डाली. यानी आपदा के दौरान घर से काम करने की मजबूरी को एक अवसर के तौर पर इस्तेमाल क‍िया और अपने हुनर को एक नई द‍िशा दी. रव‍िकांत और नम्रता ने GNT Digital (www.gnttv.com) से Exclusive Interview में अपने संघर्ष और कर‍ियर पर व‍िस्तार से बात की.

सासाराम शहर के मूल न‍िवासी रव‍िकांत और नम्रता सोनी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीन‍ियर हैं. ये बेंगलुरु में जॉब करते हैं. लॉकडाउन के दौरान तमाम संस्थानों ने अपने कर्मचार‍ियों का वर्क फ्रॉम होम पर भेज द‍िया. रव‍िकांत और नम्रता भी लॉकडाउन के दौरान अपने शहर सासाराम आ गए. लॉकडाउन के दौरान ये भाई-बहन अपना जॉब तो करते ही रहे, साथ में एक क‍िताब ल‍िख डाली. इनकी क‍िताब स्प्रिंग बूट विथ रियेक्ट एंड एडब्ल्यूएस (Spring Boot with React And AWS) को एक अमेरिकी पब्लिकेशन ने प्रकाश‍ित क‍िया है.

वर्क फ्रॉम होम को बनाया सुनहरा मौका

रविकांत कहते हैं क‍ि वर्क फ्रॉम होम के दौरान उनके पास जो भी टाइम बचा उसका उन्होंने सही इस्तेमाल किया. रविकांत बैंगलोर में रहने के दौरान भी किताबें लिख चुके हैं, लेकिन उस समय उनको इतना वक्त नहीं म‍िल पाता था. वर्क फॉम होम के दौरान ऑफिस के काम के बाद जो भी वक्त मिला उसका रव‍िकांत ने बखूबी इस्तेमाल क‍िया. रविकांत ने बताया कि सासाराम में घर से काम करते वक्त ऑफिस नहीं जाना था. इससे उन्हें काफी वक्त मिला. घर से काम करने की वजह से ऑफ‍िस आने जाने और ट्रैफिक में बर्बाद होने वाला वक्त बचा. इसी वक्त का इस्तेमाल किताब लिखने में किया.

पिता की एक चिट्ठी को बनाई अपनी ताकत

बातचीत के दौरान रविकांत प‍िछले साल की घटना का ज‍िक्र करते हुए भावुक हो गए. रव‍िकांत ने बताया क‍ि दिसंबर 2020 को उनके प‍िताजी का न‍िधन हो गया. इसके बाद रविकांत अंदर से टूट गए. यहां तक क‍ि रविकांत ने जॉब भी छोड़ दिया. उनको लगने लगा कि  अब जॉब या कोई भी अच्छा काम किसके लिए करेंगे. लेकिन एक दिन रविकांत को अपने पिता की लिखी एक चिट्ठी मिली. ये चिट्ठी रविकांत के पिता ने 2003 में लिखी थी, तब रविकांत कोटा में आईआईटी की तैयारी कर रहे थे. रविकांत के पिता ने इस चिट्ठी में लिखा था कि हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करते रहना, चाहे कुछ भी हो जाए.. हिम्मत मत हारना..

इस च‍िट्ठी को पढ़ने के बाद रविकांत ने खुद को मोटिवेट किया और वीडियो ट्यूटोरियल बनाना शुरू कर दिया. बाद में जॉब भी ज्वाइन कर ल‍िया. किताब भी लिख डाला. इसके साथ ही रव‍िकांत ने एक ऐप भी बनाया. बकौल रविकांत उन्होंने नवंबर में 6 घंटे का एक वीडियो ट्यूटोरियल पूरा किया है, जिसको वर्ल्डवाइड पब्लिश किया गया है.

मार्क जुकरबर्ग से काफी कुछ सीखा

रविकांत अपने पिता के साथ फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग को अपना रोल मॉडल मानते हैं. रविकांत कहते हैं कि जुकरबर्ग ने मार्केट को Open Source का बेहतरीन कॉन्सेप्ट दिया है. जिसकी बदौलत कोई भी अपने नॉलेज को बड़ी आसानी से शेयर कर पा रहा है, इससे दूसरे लोगों को भी फायदा पहुंच रहा है. रविकांत इसी कॉनसेप्ट को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं और भविष्य में उनका प्लान सॉफ्टवेयर की किताबें लिखने के साथ साहित्य की किताबें लिखने का भी है. रविकांत ने इस द‍िशा में अभी से काम करना शुरू कर दिया है.

जॉब के साथ इस तरह दे रहे हैं लोकल बिजनेस को बढ़ावा

रविकांत ने हाल ही में Find Lokaly app बनाया है. ये ऐप 5 जनवरी 2022 को लॉन्च हो चुका है. इसका मकसद शहर के अंदर किसी भी बिजनेस से जुड़ने और प्रोडक्ट की डिटेल जानने में मदद करता है. इस ऐप की मदद से कोई भी घर बैठे अपनी जरूरत के हिसाब से किसी भी दुकान (सॉफ्टवेयर हो या प्लम्बर) कॉन्टैक्ट कर सकते हैं. इस ऐप के जरिए कोई भी अपने पुराने सामान को बेच भी सकता है.

रव‍िकांत कहते हैं, 'Find Lokaly app बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट है. ये ऐप बनाने का आइड‍िया उस वक्त आया था, जब देश में पहली बार लॉकडाउन लगा था. उस वक्त मुझे डेस्कटॉप की जरूत पड़ी. लेकिन दुकानें बंद होने की वजह से वो लैप्टॉप नहीं खरीद पाए. तब मैंने सोचा कि छोटे शहरों के लिए कोई ऐसा ऐप होना चाहिए जो कुछ ही घंटों के अंदर सामान की जानकारी दे सके. इस ऐप को तैयार करने में मुझे 6 महीने लग गए. अब मेरा टारगेट शहर के लोगों को इससे जोड़ना है.'

रव‍िकांत को शुरू से ही टेक्नोलॉजी से लगाव रहा है. अपने बचपन का एक क‍िस्सा बताते हुए रविकांत कहते हैं, 'जब मैं छोटा था तब मेरे घर में नया फोन आया था. मैंने उस फोन को खोल दिया क्योंकि मैं उसकी तकनीकी बारिकियों को समझना चाहता था. हालांक‍ि इसके लिए मुझे मार भी पड़ी थी.'

इंटरनेट को बनाया अपना सबसे अच्छा दोस्त

रविकांत बताते हैं कि टेक्निकल किताबों को लिखने के लिए बहुत सारी रिसर्च की जरूरत पड़ती है, क्योंकि यहां पर कॉन्सेप्ट का प्रूफ देना पड़ता है. ताकि पढ़ने वाले के मन में किसी तरह की कोई शंका ना रहे. इसलिए रविकांत ने अपनी किताब में थ्योरी के साथ प्रैक्टिकली भी सारी चीजें समझाई हैं ताकि पढ़ने वाले इसका फायदा उठा सके. रविकांत ने बताया कि उनके दोस्त भी आगे की तैयारी के लिए उनकी किताबें पढ़ते हैं. इससे उनको बहुत मदद मिल रही है.

रविकांत सोनी एक प्राइवेट बैंक में टेक्निकल मैनेजर हैं. रविकांत और उनकी बहन नम्रता सोनी ने पहले भी सॉफ्टवेयर इंजिनियरिंग से जुड़ी कई किताबें लिखी हैं. जावा और बाकी कंप्यूटर लैंगवेज पर रविकांत सोनी की लिखी तीन किताबें पहले भी पब्लिश हो चुकी हैं. ये रविकांत की चौथी किताब है जो 10 दिसंबर 2021 को न्यूयार्क में पब्लिश हुई. रव‍िकांत की छोटी बहन नम्रता भी एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं. नम्रता ने चौथी किताब लिखने में अपने भाई की काफी मदद की.

सोशल मीडिया के जरिये पब्लिशर तक पहुंचे

रविकांत ने बताया कि 2015 में जब रविकांत ने पहली किताब लिखी थी तब UK Birmingham के Packt पब्लिशर ने उनसे सीधे संपर्क किया. रविकांत पढ़ाई के दौरान भी सॉफ्टवेयर से जुड़े वीडियो बना कर इंटरनेट पर डाला करते थे. इन्हीं वीडियो को देखकर Packt पब्लिशर ने रविकांत को कॉनटैक्ट किया और ये सिलसिला ऐसे ही आगे बढ़ता गया. रविकांत कहते हैं, 'मैंने हमेशा वक्त की मांग के साथ खुद को तैयार किया. मुझे माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन वेब सर्विसेज को लेकर बहुत सारे पब्लिशर ने अप्रोच किया.'

रविकांत को अपने शहर और यहां के इत‍िहास से बेहद लगाव है. रविकांत कहते हैं, 'सासाराम का इतिहास मुझे हमेशा हिम्मत देता है. कुछ करने के लिए प्रेरित करता है. जब भी मैं शेरशाह सूरी के मकबरे को देखता हूं तो इस बात का अहसास होता है क‍ि यहां के लोगों के खून में कुछ कर दिखाने की क्षमता है तभी आज ये मकबरा पूरे शहर की शान है.