scorecardresearch

ब्लू बुक में जारी सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के आधार पर होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा, जानें क्या है ब्लू बुक

किसी भी राज्य में प्रधानमंत्री की यात्रा ब्लू बुक (blue book) में जारी सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के आधार पर होती है. गृह मंत्रालय इसे एक बुकलेट के रूप में सभी राज्यों और पुलिस फोर्सेज के लिए जारी करता है. किसी भी राज्य में पीएम की यात्रा इस बुक में दिए गए निर्देशों के आधार पर होती है. 

ब्लू बुक में जारी सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के आधार पर होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा ब्लू बुक में जारी सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के आधार पर होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा
हाइलाइट्स
  • ब्लू बुक में जारी होते हैं सुरक्षा के निर्देश

  • बड़े अधिकारियों से होकर गुजरता है पूरा प्लान

पंजाब में सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक (pm modi security breach in punjab) सामने आई है. उनकी पंजाब के फिरोजपुर में बड़ी रैली होनी थी. लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सड़क पर ही उनके काफिले को रोक दिया. प्रदर्शनकारियों की वजह से वह 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहे. तो चलिए आज आपको बताते हैं कि आखिर प्रधानमंत्री किस आधार पर होती है.

ब्लू बुक में जारी होते हैं सुरक्षा के निर्देश
किसी भी राज्य में प्रधानमंत्री की यात्रा ब्लू बुक (blue book) में जारी सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के आधार पर होती है. गृह मंत्रालय इसे एक बुकलेट के रूप में सभी राज्यों और पुलिस फोर्सेज के लिए जारी करता है. किसी भी राज्य में पीएम की यात्रा इस बुक में दिए गए निर्देशों के आधार पर होती है. 

बड़े अधिकारियों से होकर गुजरता पूरा प्लान
एसपीजी के पूर्व अधिकारियों से एक्सक्लूसिव बातचीत के आधार पर हम आपको बताते हैं कि किसी भी राज्य में पीएम की यात्रा का प्लान सबसे पहले राज्य के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, डीजीपी और मुख्य सचिव को जाता है. उसके बाद एसपीजी का एक अधिकारी एडवांस सिक्योरिटी लाइजन के लिए राज्य में जाता है. इस मीटिंग में लोकल एसपी और डीएम पीएम की यात्रा पूरा प्लान तैयार करते हैं. उसके बाद मीटिंग के नोट पर सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर होते हैं.

कंटीजेंसी प्लान रहता है तैयार
हर जगह पर पीएम को सुरक्षित निकालने के लिए कंटीजेंसी प्लान हमेशा तैयार रखा जाता है. यात्रा में किसी भी चेंज की जानकारी सबसे सम्बंधित ज़िले के एसएसपी और डीएम को जानकारी दी जाती है. पीएम के कारकेड में एसएसपी भी शामिल होते हैं. प्री प्लान में एक वैकल्पिक रास्ता भी तैयार रखा जाता है.

घटना पर लगाए जा रहे साजिश के कयास
हुसैनीवाला राष्ट्रीय शहीद स्मारक से करीब 30 किमी पहले पीएम मोदी का काफिला जब फ्लाईओवर पर पहुंचा, तो यहां कुछ प्रदर्शनकारियों ने रास्ता रोक रखा था. इसके चलते पीएम मोदी के काफिले को 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर रुकना पड़ा. इसे पीएम की सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है. एसपीजी के पूर्व अधिकारी पी के मिश्रा के मुताबिक़ पाकिस्तान सरहद के नज़दीक इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. पीएम मोदी की सुरक्षा में इस बड़ी चूक की पहली ज़िम्मेदारी राज्य के सुरक्षा तंत्र की है. इसमें किसी बड़ी साज़िश से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में सीधी ज़िम्मेदारी राज्य के डीजीपी की है.

कैसे बनता है गाड़ियों का काफिला
अब हम आपको बताते हैं कैसे बनता है पीएम का कारकेड यानि गाड़ियों का क़ाफ़िला. कारकेड में सबसे आगे एडवांस पायलट वार्निंग, टेक्निकल कार, वीवीआईपी कार, जैमर वाहन, फिर दो वीवीआईपी कार और एंबुलेंस के अलावा अन्य कार शामिल रहेंगी. कारकेड में शामिल कारों की एसपीजी ने गहनता से जांच करती है. क़ाफ़िले में कम से कम पाँच गाड़ी होती है. पहली गाड़ी पाइलट गाइड उसके बाद पहली एस्काउट गाड़ी एसपीजी की होती है. उसके बाद पीएम की गाड़ी फिर एस्काउट की दूसरी गाड़ी और साथ में एक स्पेयर गाड़ी. इन सब के पीछे लोकल एसएसपी, डीएम, एसआईबी और बाक़ी अधिकारियों की गाड़ियां होती हैं