
देश भर में आवारा कुत्तों को लेकर बहस चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण पर जोर दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया था. अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आवारा कुत्तों को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. शिमला में नगर निगम ने कॉलर क्यूआर कोड की शुरुआत की है.
नगर निगम की इस पहल से शिमला में हमलावर कुत्तों की अब दूर से पहचान हो सकेगी. नगर निगम शिमला ने ऐसे ही लावारिस और आवारा कुत्तों के गले में लाल रंग का कॉलर यानि पट्टा लगाने का अभियान आरंभ कर दिया है. खतरे का निशान लाल रंग का कॉलर देखकर लोग दूर से ही जान जाएंगे कि यह कुत्ता हमला कर सकता है. इससे लोग सावधान रहेंगे और कुत्तों के हमलों से बच सकेंगे. इसके अलावा बाकी लावारिस कुत्तों के गले में हरे-नीले और अन्य रंगों के कॉलर लगाए जा रहे हैं.
हिमाचल की राजधानी शिमला में लाल रंग के कॉलर पट्टे सिर्फ उन्हीं कुत्तों को लगाए जा रहे हैं जो कई बार लोगों को काट चुके हैं. नगर निगम शिमला ऐसे लावारिस कुत्तों की पहचान कर कॉलर पट्टे लगा रहा है. शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने शनिवार को रिज मैदान से लावारिस कुत्ते के गले में कॉलर लगाकर इस अभियान की शुरुआत की. इस अभियान में मदद कर रही संस्था की टीमें शनिवार से शहर के वार्डों में जाकर कुत्तों में यह कॉलर लगाने का काम शुरू कर रही है.
शिमला शहरी के विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि यह अभियान 15 अगस्त शुरू हुआ और 29 अगस्त तक चलेगा. इस 14 दिन के अभियान में लावारिस कुत्तों की वैक्सीनेशन कर टैगिंग की जाएगी. लावारिस कुत्तों को कॉलर पहनाया जा रहा है जिसकी एंटी रेबिज वैक्सीनेशन हो गई है. शहरी विधायक ने कहा, उसके गले मे क्यूआर कोड भी है जिसको स्कैन करने से कुत्ते की पूरी डिटेल आ जायेगी कि कुत्ते की वैक्सीनेशन हुई है या नहीं. इस अभियान से एक फायदा यह होगा कि पूरे शहर में लावारिस कुत्ता की गणना हो जाएगी. साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि कितने कुत्तों की वैक्सीनेशन हुई है.
शहरी विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि इस अभियान के तहत स्कूलों में भी बच्चों को लावारिस कुत्तों के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इस अभियान के बारे में नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि अभियान का बहुत लाभ होगा क्योंकि कुत्ते के काटने से लोगों को बहुत नुकसान होता था. महापौर ने कहा कि शिमला देश का पहला नगर निगम है जहां पर ऐसे अभियान की शुरुआत की गई है. नगर निगम शिमला ने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग से 2 साल पहले ही काम शुरू कर दिया है. आने वाले समय में इससे कुत्तों की आबादी को कम करने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि लावारिस कुत्तों को 100% स्टेरलाइजेशन करने का मकसद है.
नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि नगर निगम के साथ लगती 17 पंचायतें है जिसका असर शिमला शहर पर भी पड़ता है. इस बाबत मुख्यमंत्री, मंत्री और उस विधानसभा से संबंधित प्रतिनिधियों से भी बात की जाएगी कि वहां पर भी इस प्रकार का स्टेरलाइजेशन कार्यक्रम शुरू किया जाए. महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि शहर में फीडिंग ज़ोन चिन्हित किए जाएंगे. अगर इन फीडिंग पॉइंट के अलावा कोई व्यक्ति लावारिस कुत्तों को खाने की वस्तु देगा तो उसे भारी भरकम जुर्माना लगेगा.
आपको बता दें लावारिस कुत्तों को लगने वाले कॉलर में क्यूआर कोड वाले स्मार्ट टैग भी लगाए जा रहे हैं. इससे कुत्ते की उम्र, हेल्थ, एरिया, नसबंदी और एंटी रैबीज के टीकाकरण संबंधी जानकारी मिलेगी. शिमला शहर में कुल कितने लावारिस कुत्ते हैं? इस माह के आखिर तक पता लग जाएगा कि शहर में कुल कितने लावारिस कुत्ते हैं. इस क्यू आर कोड को स्कैन करते ही कुत्ते की पूरी डिटेल मिल जाएगी.
(शिमला से विकास शर्मा की रिपोर्ट)