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मां शाकुंभरी देवी जैसा स्टेशन! सहारनपुर रेलवे स्टेशन का विदेशी लुक, यात्री बोले- अब तो भारत वाकई बदल रहा है

जैसे-जैसे देश में ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ आगे बढ़ रही है, वैसे ही उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2030 तक देश के अधिकांश स्टेशन ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस हो जाएंगे. सहारनपुर रेलवे स्टेशन अब उत्तर भारत के अन्य स्टेशनों के लिए एक आदर्श मॉडल बन गया है.

रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन

सहारनपुर रेलवे स्टेशन ने अब सिर्फ एक ट्रांजिट प्वाइंट नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आधुनिकता के प्रतीक स्थल का रूप ले लिया है. देशभर के यात्रियों के लिए अब यह स्टेशन एक सुखद और दिव्य अनुभव बन चुका है, जिसकी भव्यता देखकर हर कोई दंग है. मां शाकुंभरी देवी मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित स्टेशन की नई इमारत और सुविधाओं का जो संगम यहां दिखता है, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस सपने को साकार करता है जिसमें भारतीय रेलवे को विदेशी स्तर पर पहुंचाना है.

14.85 करोड़ की लागत, आधुनिकता और आस्था का संगम
‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ के तहत सहारनपुर रेलवे स्टेशन को 14.85 करोड़ रुपये की लागत से नवीनीकृत किया गया है. इस नवनिर्मित स्टेशन की इमारत को देखने पर प्रतीत होता है जैसे कोई मंदिर परिसर हो- इसकी छतें, स्तंभ, और सजावट सब माँ शाकुंभरी देवी मंदिर की तर्ज पर बनाए गए हैं. यही नहीं, स्टेशन की प्रत्येक ईंट श्रद्धा और नवाचार की कहानी बयां करती है.

स्टेशन में यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई बदलाव किए गए हैं. अब यहां आपको कई चीजें मिलती हैं- एडवांस गेस्टरूम, फ्री वाई-फाई, डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट, स्वच्छ पेयजल और शौचालय, दिव्यांगजनों के लिए रैंप, लिफ्ट और समर्पित वेटिंग एरिया, वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के लिए विश्राम क्षेत्र.

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यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से स्टेशन परिसर में सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षाकर्मी, सुव्यवस्थित प्रवेश और निकास द्वार की व्यवस्था की गई है. हर जगह हरियाली और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है.

स्थानीय शिल्पकला का भी हुआ सम्मान
सहारनपुर अपने वुडन क्राफ्ट (लकड़ी की नक्काशी) के लिए प्रसिद्ध है. इसी विरासत को सम्मान देते हुए प्लेटफार्म पर ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP)’ योजना के तहत एक स्टॉल भी लगाया गया है, जहां लकड़ी से बनी अनोखी कलाकृतियाँ बिक रही हैं. यात्री यहां से सहारनपुर की यादें साथ ले जा सकते हैं. डीआरएम अंबाला डिवीजन, विनोद भाटिया ने बताया, “सहारनपुर रेलवे स्टेशन अमृतसर-हावड़ा और दिल्ली-देहरादून मार्ग का महत्वपूर्ण जंक्शन है, जहां प्रतिदिन 40,000 से अधिक यात्री यात्रा करते हैं. स्टेशन की 100 वर्षों पुरानी विरासत को आधुनिकता के साथ जोड़ते हुए नया रूप दिया गया है.”

उन्होंने यह भी बताया कि टिकट विंडो की संख्या बढ़ाई गई है और प्लेटफार्म की सतह को भी बेहतर बनाया गया है. रिटायरिंग रूम, वेटिंग हॉल और पार्किंग क्षेत्र को भी नए सिरे से संवारा गया है.

यात्रियों ने दी अपनी प्रतिक्रियाएं
अंकित धीमान, एक यात्री ने बताया, “पहले स्टेशन पर अव्यवस्था थी, सफाई नहीं थी, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है. पार्किंग से लेकर सुरक्षा तक, हर चीज़ व्यवस्थित है. सच कहें तो अब सहारनपुर स्टेशन इंटरनेशनल स्टेशन जैसा लगता है.”

एक अन्य यात्री आशीष ने कहा, “मैं बचपन से इस स्टेशन से यात्रा कर रहा हूं. पहले की हालत देखकर लगता नहीं था कि यहां कोई बदलाव होगा, लेकिन अब जब स्टेशन देखता हूं तो गर्व होता है. मोदी जी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जो सपना देखा था, वह अब साकार हो रहा है.”

सहारनपुर रेलवे स्टेशन अब सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि यह एक भावनात्मक प्रतीक बन गया है. यहां से यात्रा करना अब केवल एक गंतव्य की ओर बढ़ना नहीं बल्कि सहारनपुर की संस्कृति, शिल्पकला और आस्था का अनुभव करना है. यह बदलाव सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी जुड़ाव पैदा करता है.

जैसे-जैसे देश में ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ आगे बढ़ रही है, वैसे ही उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2030 तक देश के अधिकांश स्टेशन ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस हो जाएंगे. सहारनपुर रेलवे स्टेशन अब उत्तर भारत के अन्य स्टेशनों के लिए एक आदर्श मॉडल बन गया है.

(राहुल कुमार की रिपोर्ट)