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सुप्रीम कोर्ट के 538 फैसले भारतीय भाषाओं में वेबसाइट पर आए, अयोध्या फैसला अगले महीने होगा अपलोड!

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषाओं में अनुवाद की योजना चार साल पहले तबके सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई लेकर आए थे. अब मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने फिर ये ऐलान कर इस मामले में सबका ध्यान खींचा है

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हाइलाइट्स
  • पीएम ने कहा- प्रशंसनीय सोच

  • अयोध्या फैसला फरवरी में होगा अपलोड

सुप्रीम कोर्ट के हजारों फैसलों में अब तक 538 फैसलों का अनुवाद हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं हो पाया है. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ के फैसले का अनुवाद फरवरी में पूरा होने की उम्मीद है. संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कानून मंत्रालय ने बताया था कि पिछले चार वर्षों में कुल 538 फैसलों का हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है. इनमें भी आधे से ज्यादा यानी 290 फैसले हिंदी में अनुदित हुए हैं. लेकिन, इस अंतराल में साल दर साल अनुदित फैसलों की संख्या लगातार घट रही है.

अयोध्या फैसला फरवरी में होगा अपलोड
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषाओं में अनुवाद की योजना चार साल पहले तबके सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई लेकर आए थे. शुरुआत तो हुई लेकिन फिर अनुवाद की रफ्तार मंद पड़ गई. अब मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने फिर ये ऐलान कर इस मामले में सबका ध्यान खींचा है. फिर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने  योजना की सराहना करके इसे प्राथमिकता श्रेणी में ला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के अब तक अनुदित 538 में से छह फैसले असमी में, तीन बांगला में, दो गैरो, 290 हिंदी, 24 कन्नड़, 47 मलयालम, 26 मराठी, तीन नेपाली, 26 उड़िया, 10 पंजाबी, 76 तमिल, 18 तेलगू, पांच उर्दू में अनुदित हैं. 2019 में सबसे ज्यादा 209 फैसले क्षेत्रीय भाषा में अनुवादित हुए थे. इसके बाद 2020 में 142, 2021 में 100 और 2022 में सिर्फ 82 फैसले ही अनुवादित हुए हैं. इतना ही नहीं, तीन साल बाद भी अयोध्या के राम जन्मभूमि का फैसला सुप्रीम कोर्ट की साइट पर हिंदी में उपलब्ध नहीं है. इनको अपलोड करने की प्रक्रिया संभवत: फरवरी या मार्च तक पूरी हो.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की मुहिम की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले सभी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुदित यानी ट्रांसलेट होकर वेबसाइट ESCR पर उपलब्ध किए जाने की मुहिम का स्वागत करते हुए इसे न्यायपालिका की महान उपलब्धि बताया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि इससे न केवल क्षेत्रीय भाषाओं की उपयोगिता, सार्थकता बढ़ेगी बल्कि आम लोगों के साथ नए वकीलों और अनुसंधान करने वाले कानून के छात्रों को भी आसानी होगी. प्रधानमंत्री के इस प्रशंसा वाले ट्वीट की भी प्रशंसा और चर्चा कानूनी और राजनीतिक गलियारों में हो रही है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने मुंबई में शनिवार को मुंबई गोवा विधिज्ञ परिषद यानी बार काउंसिल के समारोह में ये ऐलान किया था. इसकी चर्चा काफी हुई. रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने चीफ जस्टिस के इस कदम और मुहिम की सराहना करते हुए इस विचार से देश के युवाओं में तकनीक के जरिए कानूनी समझ भी बढ़ेगी.

पीएम ने कहा- प्रशंसनीय सोच
प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा कि भारत में कई भाषाएं हैं. यह हमारी सांस्कृतिक जीवंतता को पुल की तरह जोड़ती हैं. केंद्र सरकार भी भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाओं के जरिए जन मुहिम चला रही है. इस प्रयास में इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों को भी मातृभाषा में पढ़ने का विकल्प देना शामिल है. उन्होंने कहा कि हाल ही में एक समारोह में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने क्षेत्रीय भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर बात की है. उन्होंने इसके लिए तकनीक के इस्तेमाल का सुझाव भी दिया. यह एक प्रशंसनीय सोच है, जिससे कई लोगों विशेषकर युवाओं को मदद मिलेगी.

सबकी पहुंच में हो तकनीक
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि क्षेत्रीय भाषाओं और लिपि में कोर्ट के फ़ैसलों को जनता तक पहुंचाने के लिए आधुनिक तकनीक के जरिए ये सुविधा जन जन तक पहुंचाने पर काम तेजी से चल रहा है. इसमें उन्होंने युवा वकीलों और तकनीकी विशेषज्ञों से आगे आने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि इस तकनीक का लाभ उन लोगों को भी मिले जिनकी पहुंच में ऐसी तकनीक नहीं हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आज भी आम आदमी की समझ में सुप्रीम कोर्ट के उत्कृष्ट अंग्रेजी में लिखे और छपे फैसले नहीं आते. ऐसे में अपनी मातृभाषा में वो कोर्ट के फैसलों और उसके पीछे दिए जाने वाले तर्कों, दलीलों और कोर्ट की सोच को समझ सकेंगे.