scorecardresearch

अभी ही नहीं बल्कि 2005 से सुप्रीम कोर्ट लगा रहा है लाउडस्पीकर पर बैन, जानिए कब-कब लगाया गया है प्रतिबंध

सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर, 2005 को फैसला सुनाया थी कि साल में 15 दिनों के लिए उत्सव के अवसरों पर रात तक लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है. हालांकि इसे लेकर ये भी कहा था कि इस प्रतिबंध में ढील देने की शक्ति राज्य सरकारों के पास नहीं है

Loudspeakers Loudspeakers
हाइलाइट्स
  • SC ने कहा था कि इस प्रतिबंध में ढील देने की शक्ति राज्य सरकारों के पास नहीं है

  • अब लगातार उठ रही है मांग

एकबार फिर से लाउडस्पीकर को लेकर देश भर में चर्चा तेज हो गई है. बुधवार को मिली रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जोन से 4258 लाउडस्पीकर उतारे गए हैं, जबकि 28186 धार्मिक संस्थाओं के लाउडस्पीकर के वॉल्यूम को कम किया गया है. आपको बता दें, वाराणसी जोन से सबसे ज्यादा 1366 धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर हटाए गए हैं जबकि दूसरे नंबर पर मेरठ जोन है जहां 1215 लाउड स्पीकर हटाए गए हैं. इसमें तीसरे नंबर पर लखनऊ रहा है जहां से 912 धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए गए हैं. 

अब लगातार उठ रही है मांग

लाउडस्पीकर लगाने और हटाने की बहस के बीच अब सही और गलत पर भी भी सवाल उठने लगे हैं. लेकन ऐसा पहली बार नहीं है कि देशभर में लाउडस्पीकर को लेकर कोई कदम उठाया जा रहा है. साल 2005 से ही सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर फैसले सुना रहा है और कई बार तो राज्यों को भी फटकार लगा चुका है. हालांकि, अब चूंकि लोग लाउडस्पीकर और फैल रहे ध्वनि प्रदूषण को लेकर लोग काफी सचेत हो गए हैं और इसीलिए लगातार इसे हटाने को लेकर मांग चल रही है. 

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश बोर्ड के मुताबिक, सार्वजनिक स्थानों पर बजने वाले सभी लाउडस्पीकर पर साउंड फिटर लगा होना चाहिए. इसके लिए उत्तर प्रदेश पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने गाइडलाइंस भी जारी कर रखी है. 

गौरतलब है कि इससे पहले कई बार ऐसे कदम उठाए जा चुके है. चलिए जानते हैं ऐसा कब कब हुआ है.

अक्टूबर 2005

28 अक्टूबर, 2005 को, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि साल में 15 दिनों के लिए उत्सव के अवसरों पर रात तक लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है. तत्कालीन चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी और जस्टिस अशोक भान की बेंच ने राज्यों को उत्सव और धार्मिक अवसरों पर मध्यरात्रि तक लाउडस्पीकर के उपयोग के साथ ध्वनि प्रदूषण मानदंडों में ढील दे दी थी.

यह आदेश राज्य सरकारों की एक अपील पर आया, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने उस साल 18 जुलाई को रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि इस प्रतिबंध में ढील देने की शक्ति राज्य सरकारों के पास नहीं है.  

अगस्त 2016

अगस्त 2016 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म या संप्रदाय यह दावा नहीं कर सकता है कि लाउडस्पीकर या पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग करने का अधिकार भारत के संविधान ने उन्हें दिया है.

कोर्ट ने कहा, “हम मानते हैं कि वो जगहें जो धर्म से जुड़ी हुई हैं ध्वनि प्रदूषण के नियमों से बंधी हुई हैं. कोई भी धर्म या संप्रदाय लाउडस्पीकर या पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग करने के मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता है. हम स्पष्ट करते हैं कि धर्म के सभी स्थान ध्वनि प्रदूषण नियमों का सख्ती से पालन करेंगे और किसी भी स्थान को बिना अनुमति के लाउडस्पीकर या पीए सिस्टम का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

जून 2018

26 जून, 2018 को, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने लाउडस्पीकर के लिए पांच डेसिबल की सीमा निर्धारित की थी. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि दिन के समय भी लाउडस्पीकर का उपयोग तभी किया जा सकेगा जब उसमें शोर का लेवल ज्यादा नहीं होना चाहिए. 

कोर्ट ने कहा, “रात 12 बजे के बाद भी लाउडस्पीकर बजते रहते हैं. मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों द्वारा भी प्राधिकरण की लिखित अनुमति के बिना लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती है.’

मई 2020

15 मई, 2020 को, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा थआ, “हमारी राय है कि अज़ान इस्लाम का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग हो सकता है, लेकिन लाउडस्पीकर या दूसरे साउंड एम्लिफाइंग (Sound Amplifying) उपकरणों के माध्यम से इसका पाठ धर्म का एक अभिन्न अंग नहीं कहा जा सकता है.”

जनवरी 2021

11 जनवरी, 2021 को कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में धार्मिक स्थलों पर अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को तुरंत पुलिस और कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (kspcb) को निर्देश जारी करने के लिए कहा कि राज्य में धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण पर कानूनों और निर्देशों के उल्लंघन में एम्पलीफायरों और लाउडस्पीकरों के उपयोग पर कार्रवाई शुरू की जाए. 

यूपी सरकार ने 30 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है  

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर हटाने का दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं. यूपी सरकार गृह विभाग ने जारी निर्देशों में कहा है कि मानकों के विपरीत बजाए जाने वाले सभी लाउडस्पीकर हटाए जाएंगे. ऐसे धर्म स्थलों की थानेवार सूची बनाने के लिए कहा गया है.
जिसकी रिपोर्ट को 30 अप्रैल तक सौंपने के लिए कहा गया है.