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हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है यह युवक, नमाज पढ़ने के साथ-साथ सुनते हैं हनुमान चालीसा भी

25 साल के सुभान अली वाराणसी में अपना सैलून चलाते हैं और साथ ही, लोगों के लिए पेश कर रहे हैं गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल. वह हर दिन नमाज पढ़ते हैं और साथ ही, अपनी दुकान में दीया-बाती भी करते हैं.

Subhan Ali Subhan Ali
हाइलाइट्स
  • भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे सुभान अली

  • नमाज भी पढ़ते हैं और हनुमान चालीसा भी सुनते हैं

आज जब देश में हनुमान चालीसा बनाम अजान को लेकर लाउडस्पीकर का बखेड़ा खड़ा है तो एक सुकून देने वाली तस्वीर गंगा-जमुनी तहजीब के शहर वाराणसी से सामने निकलकर आई है. जहां एक 25 वर्षीय युवक नमाज भी अदा करता है और गणपति- हनुमान जी की पूजा भी करता है. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं कि वह खुद किस धर्म से है बल्कि वह सभी धर्मों का सम्मान करके एकता की मिसाल पेश कर रहा है. 

यह कहानी है शहर में नाई का काम करने वाले और अपना सैलून चलाने वाले सुभान अली की. सुभान रमजान के पाक महीने में रोजा रखते हैं और नमाज तो हर दिन अदा करते हैं. इसके साथ ही, वर्षों से अपनी आदत अनुसार देवी-देवताओं को भी पूजते हैं. ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं तो पढ़ने की बजाय दुकान पर म्यूजिक सिस्टम पर भजन और हनुमान चालीसा सुनते हैं. इस युवक से मिलकर आपको भी लगेगा कि मशहूर शायर इकबाल की पंक्तियां 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना,' आज एक बार फिर जीवित हो उठी हैं. 

दुकान में करते हैं दीप-बाती

पाक माहे रमजान में सुभान पूरे महीने रोजा रहते हैं और कोशिश करके सभी पहर की नमाज भी अदा करते हैं. इसके अलावा, सुभान जब अपनी दुकान खोलते हैं तो दुकान में रखी गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा को प्रणाम करते है और फिर धूप, दीप और अगरबत्ती करके फूल माला भी अर्पित करते हैं. सुभान अली सैलूम में रखे साउंड सिस्टम पर ही भजन और हनुमान चालीसा सुनते हैं. 

इस बारे में सुभान अली कहते हैं कि हिंदू देवी देवताओं को पूजने से उन्हें सुकून मिलता है और काम में बरकत भी आती है. वह साल 2008 से यह कर रहे हैं और इसके बाद से उनका काम काफी आगे बढ़ा है. मौजूदा हालात पर उनका कहना है कि सभी मजहब के लोगों को मिलकर रहना चाहिए. लोग उन्हें पूजा करते देख हैरान रह जाते हैं. कोई भी उन्हें परेशान नहीं करता है. सभी उनकी इज्जत करते हैं.