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UPSC CSE Result 2022: एक्सीडेंट में गवां दिए हाथ और पैर...फिर भी नहीं मानी हार, पढ़िए मेहनत के दम पर अपने जीवन में दोबारा रोशनी लाने वाले 'सूरज' की कहानी

सूरज के ऊपर क्या कुछ नहीं बीती फिर भी उन्होंने लड़ने का फैसला किया और सूरज की ये कहानी किसी को भी आगे बढ़ने का हौसला दे सकती है. बिना पैरों और एक हाथ के सूरज ने अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने की ठानी और जेएनयू के लिए तैयारी करनी शुरू कर दी.

Suraj Tiwari Suraj Tiwari

प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती. इसके आगे सभी समस्या बौनी होती हैं इस बात को सच कर दिखाया है मैनपुरी के सूरज तिवारी ने. सूरज ने एक ट्रेन दुर्घटना में अपने दोनों पैर और एक हाथ और दूसरे हाथ की दो उंगलियां गवां थी लेकिन इसके बाद भी सूरज ने यूपीएससी की परीक्षा क्वालिफाई की और 917वीं रैंक हासिल की है.

सफर नहीं रहा आसान
सूरज के ऊपर क्या कुछ नहीं बीती फिर भी उन्होंने लड़ने का फैसला किया और सूरज की ये कहानी किसी को भी आगे बढ़ने का हौसला दे सकती है. बिना पैरों और एक हाथ के सूरज ने अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने की ठानी और जेएनयू के लिए तैयारी करनी शुरू कर दी. लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं होने वाला था. सूरज पहली बार में जेएनयू की एंट्रेंस परीक्षा पास नहीं कर पाए लेकिन किस्मत शायद सूरज को एक और मौका देना चाहती थी. उसी साल जेएनयू में पहली बार दोबारा एंट्रेंस हुए और सूरज ने जेएनयू में दाखिला पा लिया.

नामुमकिन को किया मुमकिन
सूरज जब जेएनयू आए तो उन्होंने लाइब्रेरी में सीनियर्स को यूपीएससी की तैयारी करते हुए देखा. पहली बार यूपीएससी के बारे में सूरज को अपने सीनियर से ही पता चला और उसके बाद उन्होंने यूपीएससी को समझा और मन में ठान लिया कि वो भी एक दिन अपनी परिस्थितियों को बदलेंगे और आईएएस ऑफिसर जरूर बनेंगे. सूरज ने करीब 4 साल तक यूपीएससी की तैयारी की. अपने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ-साथ ही सूरज ने बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी की पढ़ाई की. पहली कोशिश में सूरज को सफलता प्राप्त नहीं हुई लेकिन अपनी दूसरी कोशिश में सूरज ने यूपीएससी क्लियर कर लिया और वह कर दिखाया जो कोई सोच भी नहीं सकता था.

Suraj Tiwari

कहानी हिम्मत ना हारने वाले सूरज की 
UPSC क्रैक करने वाले बहुत हैं लेकिन मैनपुरी के सूरज के पिता गांव में ही मजदूरी करते हैं. सूरज दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते थे. 29 जनवरी 2017 में जब वो अपने गांव मैनपुरी आ रहे थे तो दादरी के पास किसी ने उन्हें ट्रेन से धक्का दे दिया. जान तो नहीं गई लेकिन इस हादसे में सूरज के दोनों पैर व एक हाथ कट गया दूसरे हाथ की तीन उंगलियां भी कट गईं. एम्स में 9 महीने इलाज चला... हिम्मत न हारने वाले इसी सूरज ने आज यूपीएससी का एग्जाम पास किया और 917 वी रैंक हासिल की है.

दूसरे लोगों के लिए हैं प्रेरणा
सूरज का कहना है कि उनके पास अभी जो कुछ भी है आर्थिक व शारीरिक उनके लिए वह काफी है और उसी के साथ वह सब कुछ कर सकते हैं जो चाहते हैं. सूरज आज उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं जो जीवन में किसी दुर्घटना का शिकार हुए हैं और जिंदगी में कुछ करने की उम्मीद खोने लगे हैं.