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Standardization of AC Temperature: 20 डिग्री से कम नहीं कर सकते एसी का तापमान, सरकार ला रही नियम, क्या है इसके पीछे की वजह?

सरकार AC के टेंपरेचर के स्टैंडर्डाइजेशन की तैयारी कर रही है. नई पॉलिसी के तहत एसी का मीनिमम टेंपरेचर 20 डिग्री सेल्सियस और मैक्सिमम टेंपरेचर 28 डिग्री सेल्सियस करने जा रही है. सरकार का मानना है कि इससे बिजली और पर्यावरण दोनों की बचत होती है.

Air Conditioner (Photo/Meta AI) Air Conditioner (Photo/Meta AI)

उत्तर भारत में गर्मी कहर बरपा रही है. लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. कई जगहों पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. गर्मी से राहत के लिए लोग घरों और ऑफिस में AC का इस्तेमाल कर रहे हैं. एसी का टेंपरेचर कम से कम करके गर्मी से राहत लेने की कोशिश की जाती है. एसी का टेंपरेचर 16 डिग्री सेल्सियस तक किया जा सकता है. लेकिन अब सरकार इसपर लिमिट लगाने जा रही है. AC के टेंपरेचर की सीमाएं तय कर दी है.

कितना हो सकता है AC का टेंपरेचर-
सरकार एसी के टेंपरेचर के स्टैंडर्डाइजेशन करने की तैयारी में है. ऊर्जा मंत्रालय ने एयर कंडीशनर के लिए तापमान की सीमाएं तय कर दी हैं. नई पॉलिसी के तहत एसी में 20 डिग्री सेल्सियस से कम कूलिंग और 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक हीटिंग की इजाजत नहीं होगी. दुनियाभर में एसी को लेकर अलग-अलग स्टैंडर्ड हैं. जापान में एसी के कूलिंग 26 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं हो सकता. जबकि इटली में न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस है. एसी के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड तय है. रेजिडेंशियल के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड मानक 24 डिग्री सेल्सियस से 26 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.

AC में कितना होता है टेंपरेचर-
एसी के अंदर एक्सट्रीम ऑपरेटिंग लिमिट होती है, जहां मीनिमम कूलिंग टेंपरेचर 10 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस होता है. भारतीय मानक ब्यूरो सलाह देता है कि भारत में एसी को 24-26 डिग्री सेल्सियस पर चलाना चाहिए. इससे गर्मी और पावर सेविंग मिलती है.

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सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि इस नए कदम से सिर्फ बिजली की ही बचत नहीं होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक मानकों को भी बढ़ावा मिलेगा. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय विद्युत सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि कुल पीक बिजली डिमांड में एसी का योगदान 20 फीसदी होता है. इसका मतलब है कि पीक डिमांड के समय करीब 50 गीगावाट बिजली की खपत एसी से होती है. अगर एसी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाते हैं तो 6 फीसदी बिजली की बचत होती है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस समय देश में 10 करोड़ एसी हैं और हर साल इसमें डेढ़ करोड़ की बढ़ोतरी हो रही है. 

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