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बॉस्केटबॉल खिलाड़ी से सियासत तक... जानिए Karni Sena के संस्थापक Lokendra Singh Kalvi का सफर

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी कॉलेज के दिनों में बॉस्केटबॉल खेलते थे. उनके पिता कल्याण सिंह कालवी केंद्र की चंद्रशेखर की सरकार में मंत्री रहे थे. राजस्थान की सियासत में अहम किरदार निभाने वाले लोकेंद्र सिंह कालवी को कभी चुनावों में जीत नहीं मिली. जब भी कालवी चुनाव मैदान में उतरे, उनको हार का सामना करना पड़ा.

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का सफर करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का सफर

राजस्थान की सियासत में श्री राजपूत करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का जयपुर के एसएमएस अस्पताल में निधन हो गया है. ब्रेन स्ट्रोक आने के बाद उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कालवी जोधा अकबर और पद्मावत जैसी फिल्मों का विरोध कर सुर्खियों में आए थे. कालवी ने साल 2006 में करणी सेना की नींव रखी थी. चलिए आपको बॉस्केटबॉल खिलाड़ी रहे लोकेंद्र सिंह कालवी की कहानी बताते हैं.

सियासी परिवार में कालवी का जन्म-
लोकेंद्र सिंह कालवी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव में हुआ था. लोकेंद्र सिंह के पिता कल्याण सिंह कालवी केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार में थोड़े-थोड़े समय के लिए मंत्री रहे थे. कल्याण सिंह चंद्रशेखर की सरकार में मंत्री रहे. कालवी के पिता ने सती आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी.

बॉस्केटबॉल खिलाड़ी थे कालवी-
लोकेंद्र कालवी की पढ़ाई अजमेर के मेयो कॉलेज से हुई थी. कालवी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में सहज थे. कालवी बॉस्केटबॉल खिलाड़ी भी थे. वो कॉलेज में बॉस्केटबॉल टीम के सदस्य थे. लोकेंद्र कालवी राजस्थान में बॉस्केटबॉल को लोकप्रिय बनाने वाले भगवान सिंह के शिष्य थे.

रानी पद्मिनी का वंशज होने का दावा-
लोकेंद्र सिंह कालवी खुद को रानी पद्मावती का वंशज बताते हैं. कालवी ने खुद को रानी पद्मावती की 37वीं पीढ़ी का बताया था. पद्मावती फिल्म का विरोध करते हुए कालवी ने कहा था कि यह कहा जा रहा है कि कोई पद्मावती नहीं थी. अगर ऐसा है तो मैं कहां से आया? मैं पद्मावती की 37वीं पीढ़ी का वंशज हूं.

चुनाव में नहीं मिली सफलता-
भले ही लोकेंद्र सिंह कालवी राजस्थान की सियासत में एक अहम किरदार थे. लेकिन उनको चुनाव जीत कभी नहीं मिली. उन्होंने दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा. लेकिन दोनों बार ही हार का सामना करना पड़ा. कालवी ने साल 1998 में नागौर लोकसभा सीट से मैदान में उतरे. लेकिन उनको हाल का सामना करना पड़ा. कालवी ने बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर बाड़मेर से चुनाव लड़ा. लेकिन उस बार भी उनको सफलता नहीं मिली.
कालवी ने साल 2003 में कुछ नेताओं के साथ मिलकर सामाजिक न्याय मंच बनाया और ऊंची जातियों के लिए आरक्षण की मुहिम शुरू की. पार्टी ने 2003 विधानसभा चुनाव में 65 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. लेकिन चुनाव में सिर्फ एक उम्मीदवार की जीत हुई. सामाजिक न्याय मंच को सिर्फ 2.2 फीसदी वोट मिले. लेकिन जल्द ही सामाजिक न्याय मंच से कालवी का मोहभंग हो गया.

करणी सेना का गठन-
लोकेंद्र सिंह कालवी ने विरोध को हथियार बनाया और जाति आधारित आरक्षण से लेकर फिल्मों तक का विरोध किया. साल 2006 में कालवी ने श्री राजपूत करणी सेना बनाई. करणी सेना उस वक्त सुर्खियों में आई, जब उन्होंने फिल्म जोधा अकबर का विरोध शुरू किया. लेकिन इस संगठन ने सबसे ज्यादा सुर्खियां फिल्म पद्मावत का विरोध करके बटोरी. देशभर में लोकेंद्र सिंह कालवी और करणी सेना को जाना जाने लगा.

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