
अलवर के लक्ष्मणगढ़ के बिचगांव में हुई करंट की घटना ने पूरे गांव को हिला कर रख दिया. पूरे गांव में चूल्हा नहीं जला. लोग दिनभर भूखे प्यासे रहे. गांव के सैकड़ों लोगों के बीच गांव में रहने वाली टीना पर दुखों का पहाड़ टूट गया. शादी के 4 महीने में ही टीना का सुहाग उजड़ गया. पति कावड़ लेने गया था. पीछे से गांव में उत्सव की तैयारी चल रही थी.
टीना ने पति के नाम की हाथों में मेहंदी लगाई थी. पति पत्नी को साथ मिलकर कावड़ चढ़ाने थी और उसके बाद गांव में हवन करना था. पूरे गांव को सजाया गया था. हवाई पकवान बना रहे थे. लेकिन एक हादसे ने गांव में उत्सव जैसे माहौल को मातम में बदल दिया.
करंट लगने से हुई दो कावड़ियों की मौत
बिचगाव गांव में कावड़ियों की शोभा यात्रा के दौरान अचानक 11000 केवी की विद्युत लाइन रथ छूने से करंट फैल गया. इसमें दो कावड़िए गोपाल और सुरेश की मौत हो गई. जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए. करंट फैलने ही लोग ताश के पत्ते की तरह जमीन पर गिरने लगे और शोभायात्रा की वीडियो बना रहे लोगों के मोबाइल में यह पूरा मंजर कैद हो गया.
मेहंदी लगाकर इंतजार कर रही थी पत्नी
इस घटना के बाद गांव में मातम पसर गया. पूरे गांव में किसी ने खाना नहीं खाया. गांव में चूल्हा नहीं जला. इन सब में टीना पर दुखों का पहाड़ टूट गया. टीना और गोपाल की शादी 4 महीने पहले हुई थी. पति कावड़ लेने गया था, तो टीना ने एक दिन पहले मेहंदी रचाई थी. दोनों का मन था कि सावन में भोले का गंगाजल के साथ अभिषेक करेंगे. शिव पार्वती की तरह अपने प्रेम को अमर बना लेंगे. लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था. मेहंदी रचने से पहले ही टीना की पूरी दुनिया उजड़ गई. टीना अपने परिवार के साथ गोपाल का मंदिर में इंतजार कर रही थी और इसी दौरान फोन पर करंट फैलने की सूचना मिली. तो परिवार के लोग घटनास्थल के लिए दौड़े.
गोपाल की मौत के बाद पूरा परिवार टूट गया
वहां दर्जनों लोग जमीन पर पड़े हुए थे. जिनको वाहनों से अस्पताल में भर्ती करवाया गया. चारों तरफ भगदड़ का माहौल था. यह देखकर टीना बेहोश हो गई और जमीन पर गिर गई. परिवार के लोगों ने उसे उठाया. गोपाल की मौत के बाद पूरा परिवार टूट गया. तो वही इस घटना में दूसरे मृतक सुरेश के परिवार के हालात खराब है. घर में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा है. तीन बच्चे हैं जो पढ़ाई कर रहे हैं.
सुरेश मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता था. मिनट में ही गांव की खुशियां माता में बदल गई और गांव के लोगों ने भी कभी नहीं सोचा था कि जिस उत्सव की वो तैयारी कर रहे हैं. वो धारा का धरा रह जाएगा. क्योंकि मंदिर में गंगाजल की बोतले राखी रह गई और इस घटना के बाद पूरे गांव में शोक का माहौल हो गया.