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ट्विटर के नए सीईओ पराग अपने 10 साल पुराने ट्वीट को लेकर क्यों हो रहे ट्रोल

भारतीय-अमेरिकी सीईओ पराग अग्रवाल ने 10 साल पुराने ट्वीट में लिखा है कि ‘अगर आप मुसलमानों और नस्लवादियों के बीच अंतर नहीं करते हैं, तो आपको गोरों और नस्लवादियों के बीच अंतर करने की जरूरत क्यों है?

पराग अग्रवाल पराग अग्रवाल
हाइलाइट्स
  • पराग अग्रवाल हो रहे ट्रोल

  • 10 साल पुराने ट्वीट को लेकर हो रहे ट्रोल

पराग अग्रवाल को Twitter का सीइओ बनाया गया है. 37 साल के पराग ने IIT-Bombay से ग्रेजुएशन किया है, और इसके बाद उन्होंने स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की डिग्री ली. उन्होंने अक्टूबर 2011 में ऐड्स इंजीनियर के तौर पर Twitter ज्वाइन किया था और साल 2017 में Twitter ने पराग अग्रवाल को चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर नियुक्त किया गया. लेकिन इन सब को छोड़ कर पराग के बारे में एक और बात हो रही है, या यूं कह लें कि पराग ट्रोल हो रहे हैं.  पराग के ट्रोल होने की वजह उनका 10 साल पुराना एक ट्वीट है. जिसमें वो मुस्लमानों पर कमेंट कर रहे हैं. 

ट्विटर के नए सीईओ का मुस्लिमों पर किया ये ट्वीट हो रहा वायरल

भारतीय-अमेरिकी सीईओ पराग अग्रवाल ने 10 साल पुराने ट्वीट में लिखा है कि ‘अगर आप मुसलमानों और नस्लवादियों के बीच अंतर नहीं करते हैं, तो आपको गोरों और नस्लवादियों के बीच अंतर करने की जरूरत क्यों है?’ पराग ने ये ट्वीट  26 अक्टूबर 2010 में किया था.उनके सीईओ बनने की घोषणा के बाद इस एक दशक पुराने ट्वीट पर नामी-गिरामी लोगों के कमेंट की बाढ़ आ गई है. हालांकि, इस ट्वीट को लेकर उन्होंने पहले ही सफ़ाई जारी कर दी थी.उन्होंने इसी ट्वीट में बताया था कि यह बात कॉमेडियन आसिफ़ मांडवी ने 'डेली शो' के दौरान कही थी जिसे उन्होंने ट्वीट किया था. दरअसल इस कार्यक्रम में कई कॉमेडियनों ने भाग लिया था और इसमें काले लोगों के अधिकारों के बारे में बात हो रही थी.

जानी मानी हस्तियां कर रहीं पराग को ट्रोल

अमेरिका में टेनिसी की सीनेटर और रिपब्लिकन पार्टी की नेता मार्शा ब्लैकबर्न ने इस 11 साल पुराने ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, "ट्विटर के नए सीईओ ने धर्म को पिरामिड स्कीम बताया है. यह वो हैं जो आपकी बात को ऑनलाइन नियंत्रित करने जा रहे हैं."

सिराज हाशमी नामक ट्विटर यूज़र ने लिखा, "जिस संदर्भ में यह वक्तव्य है वो बिलकुल बिंदु से अलग है और डेली शो से आया है. यह साफ़ दिखाता है कि पराग इस धारणा से सहमत हैं कि सभी मुस्लिम चरमपंथी नहीं होते और न ही सभी गोरे लोग नस्लभेदी होते हैं."