
दिल्ली के स्कूलों में बम की धमकियों ने हड़कंप मचा रखा है! बुधवार, 16 जुलाई 2025 को पांच बड़े स्कूलों को एक डरावना ईमेल मिला, जिसमें लिखा था, “बैकपैक में बम है, क्लासरूम के आसपास रखा गया है.” इस खबर ने न केवल स्कूल प्रशासन, बल्कि माता-पिता और बच्चों में भी दहशत फैला दी. आखिर इन धमकियों के पीछे कौन है? कानून क्या कहता है? और दिल्ली पुलिस कैसे इस मामले को सुलझा रही है?
क्या हुआ उस दिन?
16 जुलाई की सुबह दिल्ली के पांच बड़े और प्रतिष्ठित स्कूलों- जिनमें द्वारका का सेंट थॉमस, वसंत कुं का वसंत वैली, हौज खास का मदर्स इंटरनेशनल, पश्चिम विहार का रिचमंड ग्लोबल और लोदी एस्टेट का सरदार पटेल विद्यालय शामिल हैं को एक धमकी भरा ईमेल मिला. ईमेल में दावा किया गया कि स्कूलों के क्लासरूम में बैकपैक में बम रखे गए हैं. स्कूल प्रशासन ने तुरंत दिल्ली पुलिस और फायर डिपार्टमेंट को सूचना दी.
जैसे ही खबर मिली, दिल्ली पुलिस, बम निरोधक दस्ता (बम डिस्पोजल स्क्वाड), डॉग स्क्वाड और फायर ब्रिगेड की टीमें स्कूलों में पहुंच गईं. स्कूलों को खाली कराया गया, बच्चों को सुरक्षित घर भेजा गया और चप्पे-चप्पे की तलाशी शुरू हुई. राहत की बात यह रही कि जांच में कोई बम या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली. लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं था- पिछले कुछ दिनों में दिल्ली के 20 से ज्यादा स्कूलों को ऐसी धमकियां मिल चुकी हैं.
12 साल का बच्चा बना मास्टरमाइंड!
जांच में दिल्ली पुलिस ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया. 15 जुलाई को द्वारका के एक स्कूल को मिला धमकी भरा ईमेल एक 12 साल के बच्चे ने भेजा था! यह बच्चा उसी स्कूल का छात्र था और उसने सिर्फ छुट्टी पाने के लिए यह शरारत की. बच्चे ने बताया कि वह स्कूल नहीं जाना चाहता था, इसलिए उसने यह ईमेल भेजा. उस वक्त उसके माता-पिता घर पर नहीं थे.
पुलिस ने बच्चे के आईपी एड्रेस को ट्रैक कर उसकी पहचान की. बच्चे की काउंसलिंग की गई और माता-पिता को सलाह दी गई कि वे उस पर नजर रखें. पुलिस ने बच्चे को चेतावनी देकर छोड़ दिया, क्योंकि वह नाबालिग था. लेकिन 16 और 18 जुलाई को मिले अन्य धमकी भरे ईमेल्स के पीछे अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया है.
क्या कहता है कानून?
बम की धमकी देना कोई मजाक नहीं- यह भारतीय कानून के तहत गंभीर अपराध है. 2024 में लागू हुई भारतीय न्याय संहिता (BNS) में ऐसे मामलों के लिए सख्त प्रावधान हैं. आइए, जानते हैं कौन सी धाराएं लग सकती हैं:
- धारा 176 (सार्वजनिक शांति भंग करने की मंशा से झूठी सूचना देना): अगर कोई जानबूझकर ऐसी झूठी सूचना देता है, जिससे डर या अव्यवस्था फैले, तो इस धारा के तहत 5 साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
- धारा 353 (सार्वजनिक सेवाओं में बाधा डालना): बम की झूठी धमकी से पुलिस, फायर ब्रिगेड और अन्य सेवाओं का समय और संसाधन बर्बाद होता है. इस धारा में भी 5 साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है.
- धारा 124 (आपराधिक धमकी): यह धारा तब लागू होती है, जब कोई जानबूझकर डर फैलाने के लिए धमकी देता है.
- धारा 281 (झूठी अफवाह फैलाना): अगर धमकी से जनहानि का खतरा हो, तो यह धारा भी लग सकती है.
अगर आरोपी नाबालिग है, तो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत कार्रवाई होती है. ऐसे मामलों में पुलिस आमतौर पर काउंसलिंग करती है और बच्चे को चेतावनी देकर छोड़ देती है. लेकिन अगर मामला गंभीर हो, तो कम्युनिटी सर्विस या अन्य सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं.
स्कूलों की क्या भूमिका?
स्कूल प्रशासन भी ऐसे मामलों में सख्ती बरत सकता है. अगर चाहें, तो वे पुलिस में FIR दर्ज कर सकते हैं. नाबालिग छात्र के खिलाफ स्कूल डिसिप्लिनरी कार्रवाई कर सकता है, जैसे निलंबन. कई स्कूलों ने अभिभावकों से शांति बनाए रखने की अपील की है और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है.
साइबर यूनिट की चुनौती
दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट इन धमकियों के स्रोत का पता लगाने में जुटी है. लेकिन यह काम आसान नहीं है. कई ईमेल वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) और डार्क वेब के जरिए भेजे जा रहे हैं, जिससे प्रेषक की लोकेशन और आईपी एड्रेस ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.
पिछले एक साल का रिकॉर्ड
पिछले 12 महीनों (नवंबर 2024 से जुलाई 2025) में दिल्ली-NCR के स्कूलों को 200-250 झूठी बम धमकियां मिली हैं. मई 2024 में एक ही दिन में 100 स्कूलों को धमकी भरे ईमेल आए. दिसंबर 2024 में 40 स्कूलों को निशाना बनाया गया. इन घटनाओं ने बच्चों, माता-पिता और स्कूल स्टाफ में डर का माहौल पैदा कर दिया है.
(हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट)