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Cold Weather: क्या है ला नीना...भारतीय मौसम को कर रहा प्रभावित... अक्टूबर में पड़ने लगी है ठंड... क्या इस बार सताएगी अधिक सर्दी?

Colder Winter 2025: इस बार ला नीना के प्रभाव से हमारे देश में बारिश खूब हुई है और संभव है कि ठंड भी ज्यादा पड़ेगी. ला नीना के प्रभाव से उत्तर भारत शीत लहर चलेगी और कई स्थानों पर बर्फबारी की भी संभावना है. आइए जानते हैं आखिर क्या है ला नीना और इसके प्रभाव से फायदा होता है या नुकसान?

Cold Weather (File Photo: PTI) Cold Weather (File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • इस बार भारत में सर्दियों का मौसम सामान्य से पहले होगा शुरू

  • इस साल ला नीना के कारण प्रशांत महासागर के तापमान में गिरावट से भारत में बढ़ेगी ठंड

Cold Weather 2025: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार हमारे देश से मॉनसून की वापसी लगभग हो गई है और ठंड ने अक्टूबर महीने में ही कई जगहों पर दस्तक दे दी है. आईएमडी और अमेरिकी जलवायु पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार इस बार ला नीना के प्रभाव से बारिश खूब हुई है और संभव है कि ठंड भी ज्यादा पड़ेगी. ला नीना के प्रभाव से उत्तर भारत के कई इलाकों में शीत लहर चलेगी और बर्फबारी की भी संभावना है. आइए जानते हैं आखिर क्या है ला नीना और इसके प्रभाव से फायदा होता है या नुकसान?

मौसम में होने वाले बदलाव के लिए माने जाते हैं जिम्मेदार 
महासागर और समंदर की लहरों से मौसम का गहरा संबंध है. प्रशांत महासागर में होने वाले दो रहस्यमय घटनाएं अल नीनो (EI Nino) और ला नीना (La Nina) दुनिया भर के मौसम में होने वाले बदलाव के लिए जिम्मेदार मानी जाती हैं. ये बदलाव सिर्फ समंदर में नहीं होते, इनका असर हमारे देश और शहर के मौसम पर भी पड़ता है. 

क्या है ला नीना 
ला नीना एक स्पेनिश शब्द है, जिसका अर्थ छोटी बच्ची होता है. इसे अल नीनो की बहन भी कहा जाता है. ला नीना के प्रभाव से प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के ऊपरी पानी का तापमान सामान्य से काफी नीचे चला जाता है. ला नीना का प्रभाव प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र जिसे विषुवत रेखा भी कहते हैं में ज्यादा दिखता है. इस घटना में विषुवत रेखा में स्थायी तौर पर चलने वाली ट्रेड विंड्स तेजी से बहने लगती हैं. ट्रेड विंड्‌स का प्रभाव हमेशा पूर्व से पश्चिम की ओर होता है. जब ये हवाएं तेज चलने लगती हैं, तो समुद्र का गर्म सतही पानी पश्चिम की तरफ धकेल दिया जाता है, जिसके प्रभाव से पूर्व के प्रशांत महासागर का पानी ठंडा हो जाता है. इसकी वजह से पश्चिम से पूर्व की ओर बहने वाली हवाएं ठंडी हो जाती हैं और भारत में ठंड सामान्य से अधिक पड़ती है. ला नीना की वजह से अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों में सूखा, लेकिन उत्तरी हिस्सों में बारिश और ठंड बढ़ जाती है. 

ला नीना का भारतीय मौसम पर प्रभाव 
ला नीना के कारण हिंद महासागर के एरिया में ज्यादा तूफान और चक्रवात आते हैं. इससे भारत में मॉनसून सामान्य या बेहतर हो सकता है, जिससे खेती को फायदा मिलता है. भारत में ला नीना की वजह से ज्यादा ठंड और बारिश की संभावना होती है. ला नीना के प्रभाव से उत्तर भारत में ठंडी हवाएं पहुंचने लगती हैं, क्योंकि सर्दी के मौसम में उत्तर भारत में पश्चिम से हवाएं आती हैं. इसे पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है. ला नीना के प्रभाव से समुद्र की ऊपरी सतह ठंडी रहती है, इसलिए भारत पहुंचने वाली हवाएं भी ठंडी होती हैं. पश्चिमी विक्षोभ की वजह से उत्तर भारत में बारिश और बर्फबारी होती है, जो ठंड को बढ़ाता है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के विशेषज्ञों के अनुसार इस साल ला नीना की वजह से भारत के कई हिस्सों में, खासकर उत्तरी राज्यों में सर्दियां ज्‍यादा ठंडी हो सकती हैं. पहाड़ी इलाकों में अधिक बर्फबारी और ठंड की लहरें देखने को मिल सकती हैं. 

क्या है अल नीनो
अल नीनो का मतलब होता है छोटा लड़का. इसका नाम दक्षिण अमेरिकी मछुआरों ने 1600 के दशक में रखा था, क्योंकि ये घटना अक्सर क्रिसमस के आस-पास देखने को मिलती थी. सामान्य परिस्थितियों में समंदर में हवाएं पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं, यानी दक्षिण अमेरिका से एशिया की ओर. ये हवाएं गर्म पानी को भी एशिया की ओर ले जाती हैं लेकिन जब अल नीनो आता है, ये हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं और गर्म पानी वापस अमेरिका की तरफ लौट आता है. 

अल नीनो और ला नीना में अंतर
अल नीनो और ला नीना में दोनों समुद्री घटनाएं हैं लेकिन अल नीनो की वजह से गर्मी ज्यादा होती है और ला नीना की वजह से सर्दी ज्यादा पड़ती है. अल नीनो के प्रभाव से भारत में मॉनसून कमजोर पड़ जाता है. इसके चलते बारिश कम होती है जबकि ला नीना के दौरान बारिश अधिक होती है. ला नीना के प्रभाव से ट्रॉपिकल विंड्स ज्यादा सक्रिय होती हैं. जिसकी वजह से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून भारत में अधिक समुद्री नमी लेकर आता है, जो ज्यादा और अच्छी बारिश की वजह बनता है.

अल नीनो और ला नीना कब-कब आते हैं?
आम तौर पर हर दो से सात साल में कभी अल नीनो तो कभी ला नीना देखने को मिलते हैं. अल नीनो, ला नीना की तुलना में अधिक बार होता है. दोनों का असर 9 से 12 महीने तक रह सकता है, कई बार तो सालों तक खिंच जाता है.