
केंद्र की मोदी सरकार ने जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया है. आजादी के बाद पहली बार जातीय जनगणना होगी. आखिरी बार पूर्ण जातीय जनगणना साल 1931 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान हुई थी. उस समय देश में कुल 4147 जातियों की गणना की गई थी. उस गणना के मुताबिक पिछड़ा वर्ग की आबादी 52 फीसदी थी.
केंद्र सरकार ने साल 2011 में सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना कराई थी. लेकिन सरकार ने उसके आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया था. SECC डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने कराया गया था. कई लोग SECC गणना और जातीय जनगणना को लेकर कन्फ्यूजन में हैं. चलिए आपको बताते हैं साल 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना क्या थी और इसे कब शुरू किया गया था. इसके आंकड़ों का क्या हुआ?
क्या था साल 2011 का SECC-
सरकार ने साल 2011 में देशभर में सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित आंकड़े इकट्ठा किए थे. लेकिन इसमें कई त्रुटियां देखने को मिली थी. साल 2012 के अंत तक गणना पूरी हुई थी. लेकिन साल 2013 तक अंतिम आंकड़े तैयार नहीं हो सके. साल 2015-16 में ग्रामीण भारत के लिए एसईसीसी के प्रारंभिक आंकड़े जारी किए गए. लेकिन जाति आधारित आंकड़ों को अंतिम रूप नहीं दिया गया. इसका मकसद परिवारों को उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति के आधार पर रैंक देना, जातिवार ब्योरा की प्रमाणिक जानकारी और विभिन्न जातियों का सामाजिक आर्थिक विवरण प्राप्त करना था.
3 राज्यों में हुआ है जातीय सर्वे-
देशभर में आखिरी बार पूर्ण जातीय जनगणना आजादी के पहले साल 1931 में हुई थी और साल 2011 में केंद्र सरकार ने एसईसीसी कराया था. इसके बाद 3 राज्यों ने जातीय सर्वे कराए. इसमें बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल हैं.
बिहार में जातीय सर्वे-
बिहार में सरकार ने 7 जनवरी से 31 मई 2023 के बीच जातीय सर्वे कराया था. सरकार ने 2 करोड़ 90 लाख घरों में जाकर 17 सवाल पूछे थे. इस सर्वे में 214 जातियों की पहचान की गई थी. इस सर्वे से पता चला कि सूबे में 27.13 फीसदी ओबीसी और 36.01 फीसदी ईबीसी हैं. जबकि एससी 19.65 फीसदी, एसटी 1.68 फीसदी हैं. बिहार में 15.52 फीसदी सवर्ण हैं. सूबे की कुल आबादी 13 करोड़ है.
तेलंगाना में जातीय सर्वे-
तेलंगाना में जातीय सर्वे में 57 सवाल पूछे गए थे. इसमें 3.54 करोड़ लोग शामिल हुए. सर्वे से पता चला कि 56.33 फीसदी पिछड़ी जातियां हैं. इनमें से 17.43 फीसदी एससी, 10.45 फीसदी एसटी और 15.79 फीसदी अन्य हैं.
कर्नाटक में जातीय सर्वे-
कर्नाटक में जातीय सर्वे में 1.3 करोड़ घर कवर किए गए. ओबीसी की जनसंख्या 69.6 फीसदी का अनुमान है.
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