Trouble with Fog
Trouble with Fog
उत्तर भारत में जहां कड़ाके की ठंड से लोग परेशान हैं, वहीं कोहरे ने इस परेशानी को और बढ़ा दिया है. दिल्ली-एनसीआर से लेकर यूपी-बिहार तक कोहरा छाने से वाहन चालकों समेत आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. कोहरा शाम में ही छाना शुरू हो जा रहा है और सुबह तक इतना गहरा हो जा रहा है कि कुछ मीटर की दूरी तक की चीजें भी नहीं दिख रही हैं. मौसम विभाग ने ठंड और कोहरे में और वृद्धि होने की संभावना जताई है. आइए जानते हैं ठंड के मौसम में आखिर कोहरा क्यों पड़ता है और यह कुहासा से कैसे अलग होता है? इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि ओस और पाला में क्या अंतर है?
क्या है कोहरा और क्यों बनता है यह
कोहरा एक तरह का जलवाष्प है. ठंड के मौसम पारा तेजी से नीचे गिरता है.रात में जमीन काफी ठंडी हो जाती है. हवा भी ठंडी होने लगती है. सर्दी के मौसम में जलवाष्प ऊपर की ओर उठती है और यह हवा के संपर्क में आती है. हवा एक निश्चित मात्रा में जलवाष्प को रोको रख सकती है. हवा जैसे-जैसे जलवाष्प को अपने में सोखती है, वह और अधिक नम हो जाती है. जलवाष्प जब पूरी तरह से हवा को तर-बतर (Saturated) करने लगती है तो हवा में मौजूद पानी की बूंदें संघनित (Condensed) होने लगती हैं. जब हवा में बहुत ज्यादा कंडेन्शन हो जाता है तो यह भारी होकर पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों में बदलने लगती है.
आसपास की अधिक ठंडी हवा के सपर्क में आने पर इसका स्वरूप धुएं के बादल जैसा बन जाता है. इसी को मौसम वैज्ञानिक कोहरा बनना कहते है. ठंड जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे-वैसे कोहरा बढ़ते जाता है और कुछ ही देर में दूर तक दिखना बंद हो जाता है. तकनीकी रूप से बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है. हवा के तापमान और ओस बिंदु के बीच का अंतर 2.5 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर कोहरा बनता है. घने कोहरे में दृश्यता 1 किलोमीटर से भी कम हो जाती है. कोहरा रात के समय छाना शुरू होता है और सुबह होते-होते यह काफी गहरा हो जाता है. जानकारों के मुताबिक ऐसा तब होता है जब तापमान ओस बिंदु यानी ओसांक के सबसे करीब पहुंच जाता है. सूर्य के उगने के साथ कोहरा छटने भी लगता है क्योंकि सूरज की रोशनी में जमीन गर्म होने लगती है और तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है. तापमान जब ओस बिंदु से ऊपर चला जाता है तो कोहरा समाप्त हो जाता है.
क्या है कुहासा और यह कैसे कोहरा से है अलग
कुहासा को धुंध (स्मॉग) भी कहते हैं. यह हवा में उपस्थित धूल, धुआं और सूक्ष्म नमी कणों की परत होती है. कुहासा भी एक तरह का कोहरा ही होता है, इसमें सिर्फ दृश्यता (Visibility) का अंतर होता है. यदि विजिबिलिटी की सीमा 1 किमी या इससे भी कम हो जाए तो इसे कुहासा या धुंध कहते हैं. पैक्ट्रियों, वाहनों, पराली और कूड़ा-करकट को जलाने से निकलने वाला धुआं, हवा में उड़ती धूल, कणों की हल्की नमी सब मिलकर धुंध बनाते हैं. कुहासा और कोहरा दोनों हवा के निलंबित कणों पर जल की सूक्ष्म बूंदों से बने होते हैं. इनमें सिर्फ जल की सूक्ष्म बूंदों के घनत्व के कारण अंतर होता है. कुहासे की तुलना में कोहरे में जल की सूक्ष्म बूंदें अधिक होती हैं.
क्या है ओस
हवा में मौजूद जलवाष्प के धरातल पर संघनित होने से ओस उत्पन्न होती है. ठंड के मौसम में जब रात में तापमान तेजी से नीचे गिरता है, तब धरती एकदम ठंडी हो जाती है. ठंडी सतह के संपर्क में आने वाली हवा अपनी नमी को रोक नहीं पाती. हवा में मौजूद जलवाष्प पानी की बूंदों में बदल जाती है. ये बूंदें जम जाती हैं और भारी होकर हवा से नीचे धरती पर ओस के रूप में गिरती हैं. ये सुबह के समय घास, फसल और पत्तियों पर नजर आती हैं. धूप निकलने के बाद ये ओस की बूंदे फिर से भाप बनकर उड़ जाती हैं. आपको मालूम हो कि जब रात में बादल छाया रहता है, तब ओस नहीं पड़ती है.
किसे कहते हैं पाला
ठंड के मौसम में कई बार तापमान 0°C या उससे नीचे चला जाता है. ऐसी स्थिति में हवा में मौजूद जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित हुए सीधे ही सुक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं, इसे ही पाला कहते हैं. हवा की नमी या ओस जमकर बर्फ की पतली सी लेयर बना लेती हैं. पाला जमीन पर, घास और पौधों पर बर्फ की पर्त के रूप में नजर आती हैं. पाला से फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. पाला पड़ने से कुओं और तालाबों का पानी काफी ठंडा हो जाता और ठिठुरन बढ़ जाती है.