
हिंदू धर्म में हनुमान जी को संकटमोचक के रूप में पूजा जाता है. हर मंगलवार और शनिवार को मंदिरों में बजरंगबली के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. आपने अक्सर देखा होगा कि भक्त हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान जी को सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है? यह परंपरा केवल आस्था से जुड़ी नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी पौराणिक मान्यता भी है.
क्या कहती है पौराणिक कथा?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी ने देखा कि माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही हैं. उन्होंने उत्सुकता से पूछ लिया कि माता आप ये क्या कर रही हैं? माता सीता ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, “मैं अपने प्रिय श्रीराम की लंबी उम्र और उनके कल्याण के लिए सिंदूर लगाती हूं.”
यह सुनकर हनुमान जी इतने भावुक हो गए कि उन्होंने सोचा यदि केवल मांग में थोड़ा सा सिंदूर लगाने से प्रभु राम का कल्याण होता है, तो पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने से तो उनका सबसे ज्यादा कल्याण होगा. और ऐसा सोचते हुए उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर पोत लिया.
प्रभु राम ने क्या कहा?
जब भगवान राम ने उन्हें इस रूप में देखा, तो पहले चौंक गए और फिर उनकी भक्ति और प्रेम से भावविभोर हो गए. उन्होंने कहा, “हे हनुमान! आज तुमने अपने सच्चे प्रेम और भक्ति का सर्वोच्च प्रमाण दे दिया. जो भी भक्त तुम्हें सिंदूर चढ़ाएगा, उसे तुम अपनी तरह बल, बुद्धि और विजय प्रदान करोगे.”
तभी से यह मान्यता बन गई कि हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
सिंदूर चढ़ाने के पीछे का आध्यात्मिक अर्थ
सिंदूर शक्ति, साहस और ऊर्जा का प्रतीक है.
यह हनुमान जी के तेजस्वी और बलवान रूप को दर्शाता है.
सिंदूर चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है.
विशेषकर मंगलवार और शनिवार को सिंदूर चढ़ाना शुभ माना जाता है.
भक्तों के लिए क्या संदेश है इसमें?
हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाना केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि एक प्रेम, भक्ति और त्याग की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है. यह हमें यह सिखाता है कि भगवान को पाने का मार्ग निर्दोष भक्ति और निस्वार्थ प्रेम है.