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दिल्ली से रूठा मानसून! पड़ोसी राज्यों में झमाझम बारिश, लेकिन दिल्ली वाले बरसात की एक बूंद के लिए भी तरस रहे

दिल्ली के मुकाबले उसके आसपास के राज्यों में बारिश ने रिकॉर्ड तोड़े हैं. राजस्थान में जहां 121% अधिक बारिश दर्ज की गई है, वहीं हरियाणा में 32%, उत्तराखंड में 22%, पंजाब में 15% और यूपी में भी 1% की बढ़त रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली में मानसून वाली बारिश कब होगी?

Monsoon Monsoon
हाइलाइट्स
  • दिल्ली में नहीं हो रही झमाझम बारिश

  • राजस्थान में 121% ज्यादा बारिश

मानसून का असर देश के सभी राज्यों में देखने को मिल रहा है लेकिन राजधानी दिल्ली में इस बार बारिश की फुहार है कि पड़ने का नाम ही नहीं ले रही है. 1 जून से 9 जुलाई के बीच दिल्ली में सामान्य से 23% कम बारिश हुई है. हालांकि आसमान में बादलों तो नजर आते हैं, लेकिन उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हो पा रही है.

दिल्ली के मुकाबले उसके आसपास के राज्यों में बारिश ने रिकॉर्ड तोड़े हैं. राजस्थान में जहां 121% अधिक बारिश दर्ज की गई है, वहीं हरियाणा में 32%, उत्तराखंड में 22%, पंजाब में 15% और यूपी में भी 1% की बढ़त रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली में मानसून वाली बारिश कब होगी?

IMD की भविष्यवाणी हुई गलत साबित
भारत मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली में इस मानसून के लिए अच्छी बारिश की संभावना जताई थी. 29 जून को मानसून समय से दो दिन पहले पहुंच भी गया, लेकिन फिर भी बारिश जैसी होनी थी वैसी नहीं हो पाई. 6 जुलाई से भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन हकीकत में सिर्फ हल्की-फुल्की बारिश ही हुई.

IMD के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. आर.के. जेनमणि ने बताया कि मानसून ट्रफ (एक सक्रिय मानसूनी रेखा) सिर्फ कुछ घंटों के लिए दिल्ली के ऊपर रही, फिर वह उत्तर की ओर पंजाब की तरफ खिसक गई. अभी यह ट्रफ दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ के पास है, जिससे राजधानी में अच्छी बारिश की संभावना फिलहाल कम है.

दिल्ली में क्यों नहीं हो रही बारिश?
इस सवाल का जवाब सिर्फ मौसम से नहीं, बल्कि दिल्ली की बदलती आबोहवा से भी जुड़ा है. दिल्ली में लगातार "अर्बन हीट आइलैंड" इफेक्ट पैदा कर रहा है. इस वजह से दिल्ली के दक्षिणी और पूर्वी इलाकों में तापमान आसपास के ग्रामीण इलाकों से 2°C से 9°C तक ज्यादा हो सकता है.

ज्यादा गर्मी से हवा की चाल और बादलों की गतिविधि पर असर पड़ता है. गर्म सतह से उठने वाली हवा स्थानीय बादल बनने की प्रक्रिया को कमजोर कर देती है, जिससे बारिश कम हो जाती है. ऐसे में शहरों में बारिश का पैटर्न भी बदल जाता है और लोगों को गर्मी और उमस का सामना करना पड़ता है. हालांकि सिर्फ अर्बन हीट आइलैंड ही जिम्मेदार नहीं है. डॉ. जेनमणि कहते हैं कि इस साल पश्चिमी विक्षोभ भी दिल्ली से उत्तर दिशा की ओर निकल गए, जिससे उत्तर भारत में बारिश का संतुलन बिगड़ गया. साथ ही मानसून ट्रफ बहुत कम समय के लिए दिल्ली में सक्रिय रहा.

इसका नतीजा ये हुआ कि दिल्ली और एनसीआर में सिर्फ हल्की बारिश देखने को मिली जबकि नजफगढ़ जैसे बाहरी इलाकों में थोड़ी मध्यम बारिश हुई.

क्या अब भी दिल्ली में होगी मानसूनी बारिश?
हालात को देखते हुए फिलहाल दिल्ली में भारी बारिश की संभावना कम दिख रही है. हालांकि मानसून में उतार-चढ़ाव सामान्य प्रक्रिया है और यह किसी भी समय एक्टिव हो सकता है. लेकिन शहरी क्षेत्रों की विशेष परिस्थिति, जैसे ट्रैफिक, ऊंची इमारतें, पक्की सड़कों और बढ़ता तापमान बारिश के पैटर्न को प्रभावित करते हैं.