scorecardresearch

एनसीआर में लीजिए मिनी आईलैंड का मजा! फैमिली के साथ करें इन्जॉय, बिजनेस और पर्यावरण सेफ्टी का अनोखा कॉकटेल

दिल्ली-एनसीआर में आप मिनी आईलैंड का मजा ले सकते हैं. ये आईलैंड 50 एकड़ झील के बीच में बना है. मछली पालन का कारोबार करने वाले व्यापारी रजनीश ने इसे बनाया है. इस बनाने में 3 साल लगे और 5 करोड़ रुपए खर्च हुए.

गाजियाबाद में मिनी आईलैंड का मजा ले सकते हैं गाजियाबाद में मिनी आईलैंड का मजा ले सकते हैं

क्या आपने कभी सोचा है कि दिल्ली-एनसीआर की ऊंची ऊंची इमारतों के बीच आप किसी मिनी आइलैंड का मजा भी ले सकते हैं? जवाब है हां... गाज़ियाबाद के मसूरी में पर्यावरण से प्यार करने वाले एक व्यापारी ने ऐसा तरीका खोजा है, जिससे बिजनेस और इनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक साथ हो गया. यह जगह दिल्ली से सटे गाजियाबाद के मसूरी में है. यहां  50 एकड़ में एक झील तैयार की गई है और इस पूरी झील के बीचों बीच एक छोटा सा मिनी आईलैंड बनाया गया है. साल 2020 से पहले ये जगह पूरी तरह से सूखी पड़ी हुई थी. लेकिन अब मिनी आईलैंड बन गया है.

3 साल में बनकर तैयार हुआ-
गाजियाबाद के रजनीश कुमार ने बीटेक की पढ़ाई की है. करीब 14 साल तक उन्होंने देश-विदेश में बड़ी-बड़ी एमएनसी में काम किया है. लेकिन फिर नौकरी छोड़कर रजनीश ने मछली पालन का काम शुरू किया. रजनीश बताते हैं कि इस काम को शुरू करने के पीछे एक वजह यह भी थी कि जगह-जगह गांव-देहात में तालाब सूख रहे थे और कोई भी उनकी देखरेख के लिए आगे नहीं आ रहा था. तालाब को मछली पालन से जोड़कर सीधे रोजगार पैदा किया जा सकता है और बात जब पैसे की आती है तो हर कोई आगे आ ही जाता है. इसी सोच के साथ रजनीश ने मछली पालन का काम शुरू किया. रजनीश ने गाजियाबाद के मसूरी में इस बेकार पड़ी 50 एकड़ की जमीन को सरकार से लिया और अपने पैसे से इसे विकसित किया. इसे तैयार करने में करीब 3 साल लगे और 5 करोड़ रुपए का खर्च हुए.

खुद मछली पकड़िए, पकाइए और खाइए-
50 एकड़ की जमीन पर अब रजनीश मछली पालन का काम कर रहे हैं. रजनीश कहते हैं कि वैसे तो इसे आप बिजनेस भी कह सकते हैं. लेकिन मैंने परमिशन लेकर इस झील के बीचों-बीच मिनी आईलैंड सिर्फ इसलिए बनाया, ताकि यह झील हमेशा यूं ही बनी रहे. अब लोग अपने परिवार का और ऑफिस का छोटा-मोटा फंक्शन इस मिनी आइलैंड पर आकर कर सकते हैं. रजनीश कहते हैं कि यहां लोग फैमली के साथ आएं और झील में बोटिंग का मज़ा लें. लोग चाहें तो यहां फिशिंग भी कर सकते हैं, मछली पकड़कर हम लोगों को अपने किचन में पकाने की सुविधा भी देते हैं. फिलहाल यहां की फीस 1 हजार रुपए प्रति व्यक्ति रखी गई है.
यह बात ठीक है कि गांव देहात के पोखर सिर्फ इसलिए बर्बाद हो जाते हैं, क्योंकि लोगों को लगता है कि उससे कोई फायदा नहीं है. रजनीश कहते हैं कि जो लोग यहां पर पार्टी करने आएंगे, जब उन्हें हम अपनी मंशा बताएंगे तो वह भी शायद अपने गांव देहात के पोखर को ठीक करवाएं और उसे रोजगार से जोड़ेंगे, ताकि लोगों को पैसा भी मिले और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे.

ये भी पढ़ें: