
क्या आपने कभी सोचा कि जासूसी का मतलब सिर्फ जेम्स बांड की फिल्मों तक सीमित नहीं है? भारत में जासूसी एक ऐसा अपराध है, जो देश की सुरक्षा को तहस-नहस कर सकता है. हाल ही में हरियाणा की ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने पूरे देश को झकझोर दिया. 33 साल की ज्योति, जो अपने यूट्यूब चैनल ‘Travel with JO’ पर लाखों फॉलोअर्स के साथ घूमने-फिरने की वीडियो बनाती थीं, पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा. क्या वाकई ऐसा हो सकता है. लेकिन भारत का कानून इसको लेकर कितना सख्त है?
जासूसी क्या है?
जासूसी, जिसे अंग्रेजी में ‘Espionage’ कहते हैं, देश की गोपनीय जानकारी को चुराने और उसे विदेशी ताकतों तक पहुंचाने का गंभीर अपराध है. यह सिर्फ सेना के रहस्यों तक सीमित नहीं है. सरकारी योजनाएं, वैज्ञानिक खोज, रक्षा रणनीतियां, और यहां तक कि आर्थिक नीतियां भी जासूसी का हिस्सा हो सकती हैं. जासूस कोई भी हो सकता है- एक आम नागरिक, सरकारी कर्मचारी, या फिर कोई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर.
पहले जासूस छिपकर दस्तावेज चुराते थे, लेकिन अब व्हाट्सएप, टेलीग्राम, और स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स के जरिए जानकारी लीक की जाती है. ज्योति पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तानी खुफिया एजेंट्स के साथ संवेदनशील जानकारी साझा की, जिसे उन्होंने ‘Jatt Randhawa’ जैसे फर्जी नामों से अपने फोन में सेव किया था.
भारत में जासूसी को लेकर क्या कानून हैं?
भारत में जासूसी को बेहद गंभीर अपराध माना जाता है, और इसके लिए कई कानून मौजूद हैं. इनमें सबसे प्रमुख है ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923, जो ब्रिटिश काल से चला आ रहा है. यह कानून गोपनीय सरकारी जानकारी को अनधिकृत व्यक्तियों तक पहुंचाने पर रोक लगाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कानून की जड़ें 1889 के ‘इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट’ में हैं, जिसे अंग्रेजों ने भारतीय अखबारों को दबाने के लिए बनाया था?
ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923
इस कानून के तहत न सिर्फ जानकारी लीक करना, बल्कि सरकारी इमारतों या सैन्य ठिकानों की बिना इजाजत तस्वीरें लेना भी अपराध है. ज्योति मल्होत्रा पर धारा 3, 4, और 5 के तहत मामला दर्ज हुआ, साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 के तहत भी, जो देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को दंडित करती है. सजा? 3 साल से लेकर उम्रकैद तक!
भारतीय दंड संहिता (IPC) और जासूसी
हालांकि, IPC अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में बदल चुका है, लेकिन जासूसी के मामले अभी भी इन धाराओं के तहत देखे जाते हैं. ज्योति के मामले में BNS की धारा 152 का इस्तेमाल हुआ, जो देश की संप्रभुता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को टारगेट करती है.
संविधान में जासूसी को लेकर क्या जिक्र किया गया है?
भारतीय संविधान में जासूसी को सीधे तौर पर परिभाषित नहीं किया गया, लेकिन अनुच्छेद 19(1)(a) जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21 जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है, के तहत कुछ सीमाएं हैं. सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर गोपनीय जानकारी को संरक्षित करने के लिए कानून बना सकती है. अनुच्छेद 355 केंद्र को राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अधिकार देता है, जिसके तहत जासूसी जैसे खतरों से निपटने के लिए केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय रहती हैं.
जासूसी के मामलों में संविधान यह सुनिश्चित करता है कि आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मिले, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में जांच और सजा की प्रक्रिया बेहद सख्त होती है. ज्योति मल्होत्रा को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया, और उनके फोन, लैपटॉप, और बैंक रिकॉर्ड की जांच चल रही है. क्या उनके पास बचने का कोई रास्ता है? शायद नहीं!
क्या-क्या आता है इसके दायरे में?
जासूसी सिर्फ सैन्य ठिकानों की तस्वीरें खींचना या दस्तावेज चुराना नहीं है. आधुनिक युग में जासूसी के तरीके बदल गए हैं, और यह कई रूपों में हो सकती है:
हरियाणा पुलिस का कहना है कि ज्योति को पाकिस्तानी खुफिया एजेंट्स ‘लॉन्ग-टर्म एसेट’ के तौर पर तैयार कर रहे थे.
ज्योति की गिरफ्तारी के साथ-साथ हरियाणा और पंजाब में 6 अन्य लोग पकड़े गए. इनमें गुजाला (मलेरकोटला), यामीन मोहम्मद, और देवेंद्र सिंह ढिल्लन शामिल हैं. सभी पर ISI के साथ मिलकर संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है.
जासूसी सिर्फ खुफिया एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है. हर नागरिक को सतर्क रहना चाहिए. सोशल मीडिया पर सावधानी रखनी जरूरी है. अनजान लोगों से संवेदनशील जानकारी कभी भी शेयर न करें. इसके अलावा,सैन्य ठिकानों की तस्वीरें नहीं लेनी चाहिए, यह ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का उल्लंघन है. अगर कोई संदिग्ध व्यवहार दिखे, तो पुलिस या IB को सूचित करें.