
उत्तराखंड के हरिद्वार के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर राहुल अग्रवाल के पास एक ऐसा कॉल आया, जिससे 379 करोड़ रुपए इधर-उधर हो गए. राहुल के मोबाइल पर ये कॉल जर्मनी से आई थी. क्रिप्टोकरेंसी की ये अनोखी ठगी क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के सर्वर में सेंध लगाकर की गई. इतने बड़े पैमाने पर पैसों की ठगी से हड़कंप मच गया. ये पूरा मामला नेब्लियो टेक्नोलॉजीज कंपनी से जुड़ा है. जब इसकी जांच हुई तो सच सामने आया.
379 करोड़ रुपए की ठगी-
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 379 करोड़ रुपए की चोरी के मामले की जांच की गई तो हर कोई हैरान रह गया. जांच में नेब्लियो टेक्नोलॉजीज के कर्मचरी राहुल अग्रवाल का नाम सामने आया. राहुल को कंपनी ने लैपटॉप दिया था. राहुल के क्रेडेंशियल से ही कंपनी का सिस्टम हैक किया गया था और अकाउंट से 379 करोड़ रुपए निकाल लिए.
कहां गया इतना पैसा?
जांच में पता चला कि 19 जुलाई की रात 2.37 बजे किसी अज्ञात शख्स ने सिस्टम को हैक कर लिया. पहले इस रकम को USDT को एक वॉलेट में ट्रांसफर किया गया. इसके बाद सुबह 9.40 बजे 379 करोड़ रुपए निकाल लिए गए. इन पैसों को 6 अलग-अलग वॉलेट में भेजा गया.
हैकर कैसे पहुंचे कंपनी के सर्वर तक?
हैकर कंपनी के सर्वर तक कैसे पहुंचे. जब जांच की गई तो इसकी सच्चाई सामने आई. पता चला कि राहुल के लैपटॉप में सिक्योरिटी क्रेडेंशियल से छेड़छाड़ की गई है. इसकी वजह से हैकर कंपनी के सर्वर तक पहुंचने में कामयाब हुए. राहुल के लैपटॉप को जब्त कर लिया गया है. पुलिस ने राहुल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है.
कैसे हैक हुआ सिस्टम?
राहुल अग्रवाल ने इस हैकिंग में शामिल होने से इनकार किया. उसका कहना है कि उसे नहीं पता कि कैसे उसका लैपटॉप हैक हुआ. जब पुलिस की जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि राहुल के बैंक खाते में 15 लाख रुपए जमा किए गए हैं. उसके पास जर्मनी से व्हाट्सअप कॉल आई थी. उसे कुछ फाइलों को पूरा करने को कहा गया था. उसमें से ही एक फाइल की वजह से सिस्टम हैक हो गया था.
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