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Deoria: गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इंटरनल में बेटे को एक नंबर मिला तो सदमे में पिता की हो गई मौत, पूरा मामला जानिए

देवरिया के एक छात्र को एमएससी में 25 नंबर के इंटरनल मार्क्स में एक नंबर दिया गया. जिसकी वजह से वो फेल हो गया. इसकी शिकायत लेकर लड़के के पिता कॉलेज पहुंचे तो फैकल्टी ने उनकी एक नहीं सुनी. जिसके बाद कॉलेज में ही पिता की तबीयत बिगड़ गई. जब उनको अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया.

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इंटरनल में बेटे को एक नंबर मिला तो पिता की सदमे में मौत हो गई (Photo/Meta AI) गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इंटरनल में बेटे को एक नंबर मिला तो पिता की सदमे में मौत हो गई (Photo/Meta AI)

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां यूनिवर्सिटी के इतिहास में शायद यह पहली बार ऐसा हुआ होगा कि 25 इंटरनल मार्क्स में केवल 1 मार्क्स किसी छात्र को दिया गया होगा. देवरिया के रहने वाले MSC के छात्र को पचीस नम्बर इंटरनल में एक नम्बर देकर फेल कर दिया गया. जब इसकी शिकायत पिता लेकर पहुंचे और नम्बर बढ़ाने की गुजारिश की, ताकि उनका बेटा पास हो जाए, जो कि नियम सम्वत भी है. बावजूद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मांग को खारिज कर दिया. यह बात सुनकर कुर्सी पर बैठे-बैठे पिता मुरलीधर मिश्रा गिर पड़े. आनन-फानन में कुछ छात्रों ने एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया. 

घरवालों का आरोप है कि बिना पोस्टमार्टम कराए शव को सौंप दिया गया. यह घटना 1 सितंबर की है. मृतक के बड़े भाई गोपाल मिश्र ने बताया कि वे अंतिम संस्कार के कार्यों में लगे थे. वे वाइस चांसलर से मिलकर इस मामले की शिकायत करते हुए जांच की मांग करेंगे.

एक नंबर से फेल हुआ बेटा-
देवरिया के भलुअनी थाना क्षेत्र के मड़कड़ा मिश्र गांव के रहने वाले आयुष मिश्रा DDU गोरखपुर में MSC मैथमेटिक्स के छात्र हैं. इनका चौथे सेमेस्टर की परीक्षा हुई. पीड़ित छात्र के मुताबिक क्लासिकल मैकेनिक्स में एक्सटर्नल में 75 नम्बर की लिखित परीक्षा में 34 नम्बर मिले है, जबकि 24 नम्बर के इंटरनल मार्क्स में केवल एक नम्बर मिला है. जिसकी वजह से वह फेल हो गया है.

क्या है पीड़ित परिवार का आरोप?
छात्र के बड़े पिता गोपाल मिश्रा ने बताया कि 25 नम्बर के इंटरनल में 5 नम्बर पूरे साल का अटेंडेंस होता है. जिसमें कम से कम 3 नम्बर दिया जाना चाहिए, क्योंकि 75% अटेंडेंस पूर्ण होने पर ही छात्र परीक्षा में अपीयर हुआ है. वहीं, 6 महीने के सेमेस्टर में इंटरनल 20 नम्बर का तीन बार टेस्ट लिया जाता है कि बच्चा किस रैंक में जा रहा है. उसको ऐसेस किया जाता है. उसमें जो दो बेहतर नम्बर होता है, उसमें से एक देना होता है, जो छात्र को दिया जाता है, जबकि यहां बीस में से जीरो दे दिया गया है.

महिला प्रोफेसर पर आरोप-
गोपाल मिश्रा ने बताया कि यही नहीं, जब छात्र का अटेंडेंस जांच किया गया होगा तो छात्र को स्कॉलरशिप एलॉट है. स्कॉलरशिप तीन चरणों से गुजरता है. समाज कल्याण भी जांचता है. तभी पैसा रिलीज होगा. जो भी कापी जांची गयी, कम नम्बर दिया गया, यहां दो प्रोफेसर हैं. जिनकी आपस मे अनबन थी. एक महिला प्रोफेसर ने खुन्नस में इन्टरनल में नम्बर नहीं दिलाया. 25 में महज 1 दिलाया गया. जिसकी वजह से यह हुआ है. आईटीआई से कॉपी निकाली गई तो वहां भी नम्बर कम मिला. लेकिन हम लोगों ने कुछ नहीं किया. इतना चाहते थे कि इंटरनल में नम्बर मिल जाये, लेकिन फेल कर दिया गया और इस तरह उनके छोटे भाई की जान ले ली गई. इसमें महिला समेत तीन प्रोफेसर दोषी हैं. जिसकी जांच होनी चाहिए. छात्र से क्या खुन्नस थी जो कि जानबूझकर फेल कर दिया गया हैं.

आपको बता दें कि आयुष मिश्रा को पहले सेमेस्टर में 78%, दूसरे में 80%, तीसरे में 85%, चौथे में ओवरऑल 78% मार्क्स मिले है. लेकिन एक सब्जेक्ट में एक नम्बर न देकर फेल कर दिया गया है.

शिकायत लेकर गए थे विश्वविद्यालय-
पीड़ित छात्र के बड़े पिता ने बताया कि 17 जुलाई को कम नम्बर मिलने की शिकायत को लेकर विभागाध्यक्ष से आवेदन किया गया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. छात्र के एक रिश्तेदार 27 अगस्त को कुलपति से मिले, कोई हल नहीं निकला. पीड़ित छात्र के घरवाले MLC देवेंद्र प्रताप सिंह से मिलकर इस पूरे मामले से अवगत कराए. जिसके बाद MLC ने वीसी को चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद एक सितंबर को छात्र को फोन कर बुलाया गया था. छात्र के साथ उसके पिता भी गए और एक नम्बर बढ़ाने की बात कही. लेकिन फैकल्टी ने साफ तौर से इनकार कर दिया. यह बात वह सहन नहीं कर सके और जान चली गई. पूरा परिवार इस घटना से सदमे में है और इसके लिए यूनिवर्सिटी को जिम्मेदार ठहरा रहा हैं.

(राम प्रताप सिंह की रिपोर्ट)

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