बागपत के बड़ौत कस्बे के रहने वाले रक्षित राणा ने वह मिसाल पेश की है, जिस पर पूरे इलाके में आज चर्चा है. दिल्ली में रहने वाली दिव्या से उनकी शादी तय हुई थी. सगाई के मौके पर लड़की पक्ष की ओर से परम्परा के नाम पर 21 लाख रुपये का चेक ‘तिलक’ में दिया जा रहा था. लेकिन ठीक उसी समय रक्षित ने सबको चौंकाते हुए चेक वापस कर दिया. उन्होंने साफ़ कहा, "दहेज एक अभिशाप है, मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता." उनका यह फैसला जैसे ही वहां मौजूद लोगों ने सुना, पूरा माहौल तालियों से गूंज उठा. वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर आग की तरह वायरल हो गया और लोग रक्षित की जमकर सराहना करने लगे.
समाज में किया आदर्श स्थापित
दरअसल रक्षित पेशे से फाइनेंस एक्सपर्ट हैं और एक मल्टीनेशनल कंपनी में बेहतरीन पद पर काम करते हैं. इतनी अच्छी आर्थिक स्थिति के बावजूद उन्होंने दहेज लेने से इनकार कर यह साबित कर दिया कि समाज बदलने की शुरुआत खुद से की जाती है. सबसे खास बात यह है कि उनके इस फैसले में उनके परिवार ने भी उनका पूरा साथ दिया. घरवालों ने खुले दिल से कहा, “इज्जत और संस्कार दहेज से बड़े होते हैं.” आपने हमें बेटी दे दी वह बहुत है. जिसके बाद परिवार लगातार जिद करता रहा कि वह 21 लाख रुपये उपहार में दे रहे है, तो लड़के पक्ष ने सिर्फ यह कहा कि अगर देना ही चाहते हो तो सिर्फ 1 रुपये उपहार स्वरूप भेंट कर दो. रक्षित के इस कदम ने न सिर्फ दो परिवारों के बीच भरोसा मजबूत किया, बल्कि समाज को भी एक बड़ा संदेश दिया है.
ऐसे ही कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं जो लोगों के लिए दहेज न लेने की प्रेरणा बनते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी कई लोग हैं जो दहेज को गिफ्ट का नाम देकर लड़की के मां-बाप से अच्छी- खासी रकम ले लेते हैं. वहीं जो दहेज को नकारते हैं वह लोग न केवल समाज में उदाहरण रखते हैं बल्कि समाज में आईना का काम भी करते हैं. खास तौर पर उनके लिए जो एक पुरानी परंपरा 'दहेज प्रथा' को अपना हक समझ बैठे हैं.
(रिपोरट- मनुदेव उपाध्याय)