
IRCTC घोटाला यानी रेल मंत्रालय से जुड़े होटलों के रखरखाव का ठेका देने मे गड़बड़ी करने के मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, राबड़ी यादव और तेजस्वी यादव सहित कई आरोपियों के खिलाफ CBI के मामले में आरोप तय करने पर राउज एवेन्यू कोर्ट 5 अगस्त को फैसला सुनाएगा. कोर्ट के आदेश से ही यह तय होगा कि इस मामले में लालू परिवार के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा चलेगा या नहीं.
IRCTC से जुड़ा है मामला-
यह मामला लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री रहने के दौरान IRCTC के दो होटलों के रखरखाव का कांट्रेक्ट एक फर्म को देने में की गई कथित गड़बड़ी से जुड़ा है. CBI ने इस केस में लालू यादव, राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और करप्शन के आरोप लगाए है. वहीं, तीनों की ओर से दलील दी गई है कि CBI के पास इस केस में मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
29 मई को पूरी हुई है सुनवाई-
सीबीआई के विशेष जज विशाल गोगने ने जांच एजेंसी और आरोपियों के वकीलों की रोजाना सुनवाई के आधार पर दलीलें सुनने के बाद 29 मई को सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सीबीआई ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री प्रेमचंद गुप्ता और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपों पर एक मार्च को अपनी बहस पूरी कर ली थी. इस मामले में 14 आरोपी हैं.
सीबीआई ने क्या दी थी दलील-
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने तर्क दिया था कि दो आईआरसीटीसी होटल रखरखाव ठेकों के आवंटन में आरोपियों ने साजिशन भ्रष्टाचार किया था. विशेष लोक अभियोजक यानी एसपीपी डीपी सिंह ने सहयोगी वकील मनु मिश्रा के साथ दलील दी थी कि आईआरसीटीसी के दो होटलों के रखरखाव के ठेके एक निजी कंपनी को आवंटित करने में भ्रष्टाचार और साजिश के आरोपियों और उनकी कारस्तानियों के पर्याप्त सबूत एजेंसी के पास हैं. पूरा मामला लालू प्रसाद यादव के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहने के दौरान का है.
लालू यादव पर क्या है आरोप-
आरोप है कि आईआरसीटीसी के दो होटलों, बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी के रखरखाव का ठेका विजय और विनय कोचर के स्वामित्व वाली एक निजी फर्म सुजाता होटल को दिया गया था. इसमें टेंडर निकालने से लेकर हरेक चरण में साजिशन गड़बड़ की गई. ताकि ठेका सिर्फ सुजाता होटल को ही मिले. सीबीआई का आरोप है कि इस सौदेबाजी में लालू प्रसाद यादव को एक बेनामी कंपनी के जरिए तीन एकड़ जबरदस्त मौके के प्लॉट मिले. सुराग सबूत मिलने पर सीबीआई ने 7 जुलाई, 2017 को लालू यादव के खिलाफ FIR दर्ज की. इसके बाद एजेंसी ने पटना, नई दिल्ली, रांची और गुड़गांव में लालू और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े 12 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी. वहां से कई अहम दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक सबूत एजेंसी के हाथ लगे. हालांकि लालू और अन्य सहयोगी आरोपियों ने अदालत के समक्ष कोई सबूत मिलने से साफ इनकार किया है. अब पांच अगस्त को अदालत में सब कुछ साफ हो जाएगा कि किसकी दलील में है दम.
(संजय शर्मा की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: