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275 साल पुराना कुआं बना इतिहास की मिसाल! दूरदराज से इसे देखने आते हैं लोग, हर साल होती है मरम्मत

सहारनपुर शहर में स्थित कंपनी गार्डन (अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस उद्यान) में एक ऐसा कुआं मौजूद है, जो न सिर्फ ऐतिहासिक धरोहर है बल्कि जल संरक्षण का भी प्रतीक है. यह आज भी कई पुरानी धरोहरों को संजोए हुए है.

275 Year Old Well 275 Year Old Well
हाइलाइट्स
  • गुलाम कादिर से लेकर अंग्रेजों तक बदला गार्डन का स्वरूप

  • भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा

सहारनपुर शहर में स्थित कंपनी गार्डन (अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस उद्यान) में एक ऐसा कुआं मौजूद है, जो न सिर्फ ऐतिहासिक धरोहर है बल्कि जल संरक्षण का भी प्रतीक है. यह आज भी कई पुरानी धरोहरों को संजोए हुए है. इन्हीं धरोहरों में एक विशेष स्थान रखता है कंपनी गार्डन में स्थित लगभग 275 साल पुराना कुआं, जिसे 1750 ईस्वी में इंतिजामुददौला द्वारा बनवाया गया था. यह कुआं उस समय गार्डन में लगे पेड़ों और पौधों की सिंचाई के लिए मुख्य जलस्रोत हुआ करता था. शहर के हृदय में बसे इस गार्डन को पहले रुहेला सामंत गुलाम कादिर ने 1786 में 7 गांव की मालगुजारी देकर एक सार्वजनिक उद्यान के रूप में संचालित करने की व्यवस्था की थी.

गुलाम कादिर से लेकर अंग्रेजों तक बदला गार्डन का स्वरूप
इसके बाद मराठा शासकों और फिर अंग्रेजों के अधीन यह उद्यान आया, जहां विभिन्न बागवानी प्रयोग किए गए. उस दौर में जब न तो ट्यूबवेल थे और न ही अन्य आधुनिक सिंचाई प्रणालियां, ऐसे समय में यह कुआं जीवनदायिनी जलधारा के रूप में कार्य करता था. आज के आधुनिक युग में, जब कुएं लगभग समाप्त हो चुके हैं, तब भी यह ऐतिहासिक कुआं कंपनी गार्डन, जिसे अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस उद्यान कहा जाता है.

275 साल पुराना कुआं
275 साल पुराना कुआं

आज भी सुरक्षित है सहारनपुर की धरोहर
यह कुआं न केवल अतीत की झलक देता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह बताने का माध्यम भी है कि किस प्रकार से जल संरक्षण और सिंचाई की पद्धतियां विकसित की गई थीं. उद्यान विशेषज्ञ आकाश कनौजिया के अनुसार, यह कुआं केवल एक जलस्रोत नहीं था, बल्कि सहारनपुर की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है. आज यह कुआं सूख चुका है लेकिन इसके संरक्षण की जिम्मेदारी प्रशासन द्वारा निभाई जा रही है. प्रतिवर्ष इसकी मरम्मत और पेंटिंग करवाई जाती है जिससे कि इसकी ऐतिहासिक छवि बनी रहे.

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भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
सुबह-शाम यहां घूमने आने वाले हजारों लोग इस कुएं को देखते हैं, उसके पास बैठते हैं, फोटो और सेल्फी लेते हैं और अपने बच्चों को इसके महत्व के बारे में बताते हैं. यह कुआं आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और सहारनपुर की उस समृद्ध परंपरा की याद दिलाता है जिसमें प्रकृति, जल और हरियाली का गहरा संबंध था. आधुनिक युग में जब जल संकट एक गंभीर विषय बन चुका है, तब यह कुआं लोगों को जल संरक्षण का संदेश भी देता है. यह केवल एक संरचना नहीं, बल्कि इतिहास, परंपरा और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक है. कंपनी गार्डन का यह कुआं सहारनपुर की ऐतिहासिक पहचान का जीवंत उदाहरण है, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा.

-राहुल कुमार की रिपोर्ट