
क्या कोई देश अपने ही अरबपतियों के लिए इतना असहनीय हो सकता है कि वो अपना महलनुमा घर छोड़कर विदेश भाग जाए? जवाब है- हां! और इसकी ताज़ा मिसाल हैं ब्रिटेन के टॉप टेन अमीरों में शुमार अरबपति जॉन फ्रेडरिकसन, जिन्होंने अब अपने 300 साल पुराने ऐतिहासिक और 2900 करोड़ रुपये के लंदन वाले घर को बेचने का फैसला किया है. वजह? उनका कहना है- “ब्रिटेन अब नरक बन चुका है!”
कौन हैं जॉन फ्रेडरिकसन?
81 वर्षीय जॉन फ्रेडरिकसन कोई मामूली शख्स नहीं हैं. वो शिपिंग, एनर्जी और निवेश के क्षेत्र में एक ग्लोबल दिग्गज हैं. पहले नॉर्वे, फिर साइप्रस की नागरिकता लेने वाले फ्रेडरिकसन आज यूके के टॉप अमीरों में गिने जाते हैं. लेकिन अब उन्होंने यूएई यानी दुबई को अपना नया ठिकाना बना लिया है.
ब्रिटेन छोड़ने की वजह क्या है?
फ्रेडरिकसन ने नॉर्वेजियन मीडिया E24 से बात करते हुए जो बयान दिया, वो सोशल मीडिया और फाइनेंशियल जगत में तेजी से वायरल हो गया है. उन्होंने कहा, "ब्रिटेन अब नरक जैसा हो गया है. यह मुझे उस नॉर्वे की याद दिलाता है, जिससे मैं हमेशा बचना चाहता हूं.”
असल में, फ्रेडरिकसन ब्रिटिश सरकार के हालिया टैक्स नियमों से बेहद नाराज़ हैं. खासकर 'नॉन-डोमिसाइल टैक्स सिस्टम' को खत्म किए जाने ने उनकी नाराजगी को और गहरा कर दिया.
क्या है ये नॉन-डोमिसाइल सिस्टम?
ये एक स्पेशल टैक्स नियम था जिसके तहत ब्रिटेन में रहने वाले अमीर विदेशी नागरिकों को उनकी विदेशों से आने वाली इनकम पर टैक्स नहीं देना होता था. लेकिन अब इस छूट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. फ्रेडरिकसन जैसे हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स को अब अपनी ग्लोबल इनकम पर टैक्स देना होगा, जिससे उनका फायदा खत्म हो गया.
2900 करोड़ रुपये का घर, अब बिकाऊ
जॉन फ्रेडरिकसन का लंदन स्थित घर 'द ओल्ड रेक्टोरी' ब्रिटेन के सबसे महंगे प्राइवेट घरों में गिना जाता है.
सिर्फ फ्रेडरिकसन ही नहीं, अमीरों की पलायन लहर शुरू!
ब्रिटेन में हाल के समय में टैक्स स्ट्रक्चर को लेकर काफी हलचल रही है. कई अमीर अब यूके छोड़कर दुबई, मोनाको, सिंगापुर जैसे टैक्स फ्रेंडली देशों का रुख कर रहे हैं. जॉन फ्रेडरिकसन का ये कदम उसी ट्रेंड का हिस्सा है.
अगर ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, तो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है. क्योंकि ये सिर्फ अरबपति व्यक्ति नहीं, उनके साथ उनका पैसा, बिजनेस, इन्वेस्टमेंट और टैलेंट भी देश छोड़ देता है.
चांसलर राहेल रीव्स द्वारा नॉन-डोम टैक्स सिस्टम को हटाने के फैसले के बाद फ्रेडरिकसन जैसे कई लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्होंने पहले ही अपनी कई कंपनियों और निवेशों को यूएई में शिफ्ट कर दिया है.