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'परिंदों' को भी मिलेगा अपना आशियाना... बागपत जिलाधिकारी की मुहिम से लौटेगी 'चहचहाहट'

जब इंसान मौसम की मार से बचने के लिए पक्के मकानों, पंखों और हीटरों पर निर्भर हो सकता है, तो वही मासूम परिंदे खुली छतों और सूखी डालियों पर बेसहारा क्यों रहें? इसी सोच ने बागपत की जिलाधिकारी अस्मिता लाल को एक अनोखी और दिल छू लेने वाली पहल शुरू करने की प्रेरणा दी है। नाम है ― “हर मौसम, हर घर: एक पक्षी घर”.

बदलते मौसम की मार अब सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं रही. कभी चिलचिलाती धूप, कभी बरसात की तेज़ बौछारें और कभी ठंडी हवाएं, इन सबके बीच सबसे ज़्यादा संकट में रहते हैं वे मासूम परिंदे, जिनके पास न तो पक्की दीवारें होती हैं, न छत का साया. इन्हीं नन्हे जीवों के लिए बागपत की जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने एक ऐसा अभियान शुरू किया है, जो न केवल अनोखा है बल्कि इंसानियत और संवेदनशीलता की मिसाल भी है.

क्या है अभियान?
इस अभियान के तहत जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने अपील की है कि बागपत का हर नागरिक अपने घर की छत, आंगन या बगीचे में एक पक्षी घर (बर्ड हाउस) ज़रूर लगाए, ताकि हर मौसम में परिंदों को एक सुरक्षित आशियाना मिल सके. यह कदम न सिर्फ पक्षियों की जान बचाएगा, बल्कि इंसान और प्रकृति के बीच खोते रिश्ते को फिर से मज़बूत करेगा. 

इसकी शुरुआत डीएम ने जिला मुख्यालय से की जहां एक पोल पर ऊंचाई पर 72 बर्ड हाउस बनाए हैं. जिनमे पक्षी धूप बारिश से बच सकते है. डीएम का संदेश साफ है कि प्रकृति और पशु-पक्षियों की रक्षा करना केवल दया नहीं बल्कि हमारा संविधानिक कर्तव्य है. अगर हर घर में एक पक्षी घर लगेगा, तो हज़ारों पक्षियों को नया जीवन मिलेगा, और पालिका क्षेत्र में इस तरह के परिंदों के आशियाने बनाए जाएंगे साथ ही हमारी आने वाली पीढ़ियां भी संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनने की सीख लेंगी.

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नैतिकता से जुड़ा अभियान
यह अभियान केवल पक्षियों के लिए छत बनाने का काम नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति और नैतिकता से जुड़ा आंदोलन है. एक छोटा-सा बर्ड हाउस इंसान की करुणा, जागरूकता और जिम्मेदारी का प्रतीक होगा. जिलाधिकारी का मानना है कि अगर हर घर इस मुहिम से जुड़ता है तो यह एक जनांदोलन बन जाएगा. निस्का असर होगा हर घर में एक पक्षी घर लगेगा तो बागपत की फिज़ाओं में फिर से चहचहाहट गूंजेगी. 

गर्मियों की तपिश से लेकर सर्दियों की ठिठुरन तक, पक्षियों को पक्का आश्रय मिलेगा. बच्चों में प्रकृति से जुड़ने और उसकी रक्षा करने की आदत विकसित होगी. मतलब साफ है यह सिर्फ एक पहल नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बदलने का प्रयास है. अगर बागपत से यह मुहिम आगे बढ़ी, तो पूरा उत्तर प्रदेश और फिर पूरा देश इसमें शामिल होकर लाखों परिंदों को नया जीवन दे सकता है.

-मनुदेव उपाध्याय की रिपोर्ट