
भांग (Cannabis) के अलग -अलग रूप हैं, और ये अपने सभी रूपों में खूब पंसद किया जाता है. चाहे प्रसाद हो.. दवा हो या फिर नशीले पदार्थ की तरह इसका इस्तेमाल हो. धरती पर पाए जाने वाले अनगिनत पेड़ों के बीच ये एकलौता ऐसा पौधा है जिसके बारे में कई सारी कहानियां हैं . आईये जानते हैं भांग से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में
2.5 प्रतिशत लोग भांग का सेवन करते हैं. नशे के लिए आज यंग जेनेरेशन भी इसको खूब पंसद करती है, लेकिन गांजा या चरस के इस्तेमाल की शुरूआत आज से कईयों साल पहले यूरोप में हुआ था. भारत में भांग का इस्तेमाल 2,000 से ज्यादा साल पुराना है. सुश्रुत संहिता (एक प्राचीन चिकित्सा ग्रंथ) में सांस की बीमारियों और दस्त के इलाज के लिए भांग के पौधे के अर्क के इस्तेमाल की बात कही गई है. वहीं 1798 के बाद ब्रिटिश संसद ने भांग की खपत को कम करने के लिए भांग के उत्पादों को लेकर एक कर अधिनियमित भी बनाया था.
अपने आप में कई राज लिए है ये पौधा
मारिजुआना ( Marijuana) - एक फूल वाला पौधा है. जिसका इस्तेमाल हशीश (राल से), गांजा (पत्तियां) और भांग (पत्ते और बीज) बनाने के लिए किया जाता है.
अफीम ( Opium poppy)- अफीम एक फूल वाला पौधा है जिससे अफीम, हेरोइन, मॉर्फिन और कोडीन जैसे साइकोएक्टिव अल्कलॉइड बनाया जाता है.
कैनबिस (Cannabis)- कैनबिस में कैनबिनोइड्स होते हैं, जो हमारे दिमाग में कैनाबिनोइड रिसेप्टर्स पर काम करते हैं जिससे सर दर्द कम होता है. वहीं अगर कोई इसका ओवर डोज ले ले तो उसकी मौत हो सकती है. यही वजह है कि आज से 200 साल पहले जहां तहां दिखाई देने वाला ये भांग का पौधा अब हर जगह नजर नहीं आता है.
भांग और धर्म
भांग को भगवान शिव के प्रसाद के रूप में हर कोई जानता है . कहते हैं कि भगवान शिव ने भांग को हमेशा अपने साथ रखा, इसलिए भांग को शिव का प्रसाद समझा जाता है.
मुस्लिम समाज में भांग
मुस्लिम समाजों का मारिजुआना यानी भांग से एक छिपा हुआ रिश्ता रहा है. सातवीं शताब्दी ईस्वी में जब इस्लाम का विस्तार हो रहा था तब हशीश का इस्तेमाल भी फैल रहा था. कुछ अरबी ग्रंथों में मारिजुआना को "समझ की झाड़ी" और "विचार का निवाला" कहा गया है. लेकिन जानकारों का कहना है कि मोहम्मद ने मारिजुआना के इस्तेमाल को बंद करवा दिया . कुरान के चैप्टर [2: 219] में "नशीले पदार्थों" को गलत करार दिया गया है, लेकिन उसमें कौन कौन से मादक पदार्थ आते हैं उसे लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं हुआ है.
पीरियड्स के दर्द में
ब्रिटेन में 1990 से भांग(Cannabis) को वैध करने की मांगें उठती रही है. 1890 के एक मेडिकल जर्नल में लिखे नोट में ये पाया गया है भांग कई मेडिकल ट्रिटमेंट में कारगर होता है. वहीं कैनबिस और कैनाबिनोइड रिसर्च जर्नल (journal of Cannabis and Cannabinoid Research) के एक चैप्टर में भांग में मौजूद सीबीडी (CBD) शरीर में सूजन को कम करता है जिससे पीरियड क्रैम्प्स कम होेते हैं. पिरियड के दर्द को ठीक करने के लिए बाजार में कई भांग के तेल (hemp oil) मौजूद है
भांग के डर से रूबरू कराती है ये फिल्म
साल 1936 में में "रीफ़र मैडनेस" नाम की फिल्म में ये दिखाया गया है कि भांग का इस्तेमाल करने वाला कोई भी शख्स कैसे अचानक इसका आदी हो जाता है. फिल्म में कई तरह की गलत धारणाएं भी दिखाई गई हैं जो उस वक्त के समाज को डराती थी.
वे देश जिन्होंने भांग को वैध किया है
कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और उरुग्वे: में पार्टी और दवा के इस्तेमाल के लिए
जॉर्जिया: मनोरंजन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं खेती या बिक्री नहीं कर सकते
नीदरलैंड: लाइसेंस वाले विक्रेताओं के माध्यम से बिक्री हो सकती है
डेनमार्क, फिनलैंड, चेक गणराज्य, कोलंबिया, चिली, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बारबाडोस, इक्वाडोर, साइप्रस: केवल मेडिकल इस्तेमाल के लिए
मेक्सिको: मनोरंजन के लिए (5 ग्राम से कम होना चाहिए )
बेलीज: मारिजुआना (10 ग्राम से कम)
बेल्जियम: मारिजुआना इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से नहीं (3 ग्राम से ज्यादा होने पर पुलिस के कब्जे में)