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लोहे के स्क्रैप से किया कमाल, कबाड़ से बना रहे अद्भुत कलाकृतियां

शश‍िकांत ओझा ने औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल के प्रति आभार जताया है. शश‍िकांत ने बताया कि जब जिलाधिकारी को उनके इस हुनर की जानकारी मिली तो अपने व्यस्त समय को निकालकर वो शश‍िकांत के घर पहुंचे और एक एक कलाकृति को देखा और इनकी तारीफ की.

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हाइलाइट्स
  • बिहार और झारखंड के प्रसिद्ध जगहों पर सुशोभित हो रही हैं कलाकृतियां

  • औरंगाबाद के जिलाधिकारी ने भी कलाकार के घर जाकर किया प्रोत्साहित

उर्दू के मशहूर शायर अल्लामा इकबाल का एक शेर है, 'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से यह पूछे बता तेरी रजा क्या है.' इस शेर के एक-एक शब्द को औरंगाबाद शहर का कलाकार शशिकांत ओझा अपनी कलाकृत‍ियों के जर‍िये चर‍ितार्थ कर रहा है. शहर के क्लब रोड स्थित शशिकांत ओझा पिछले 6 वर्षों से स्क्रैप से कलाकृतियां बनाते हैं.

शशिकांत के प‍िता जगदीश ओझा औरंगाबाद के सिन्हा कॉलेज के जूलॉजी के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं. शश‍िकांत कोरोना काल में अपनी मां की अस्वस्थता के कारण पिछले दो वर्ष से जमशेदपुर छोड़कर यहां चले आए और अपने हुनर को परवान देना शुरू किया. यहां आकर उन्होंने शहर के दानी बिगहा स्थित स्व. सत्येंद्र नारायण सिन्हा पार्क में स्टील स्क्रैप से खूबसूरत और विशालकाय घोड़े का निर्माण किया जो पार्क की शोभा बढ़ा रही है.

शश‍िकांत कहते हैं क‍ि उन्होंने 6 साल पहले जमशेदपुर में पहली बार ऐसे ही स्क्रैप बॉल बेयरिंग से शंख बनाया था जो टाटा स्टील कंपनी के एक सीन‍ियर अधिकारी ने काफी पसंद आया. इसके बाद उन्होंने अपने यहां लगने वाले प्रदर्शनी में आने का न्योता दिया. शश‍िकांत जब उनके न्योते पर प्रदर्शनी में शामिल हुए तो उनकी कलाकृति को काफी पसंद किया गया और उसकी सराहना प्रदर्शनी में आए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी की.

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इस प्रदर्शनी में मिली तारीफ ने शश‍िकांत के भीतर के कलाकार को एक नई ऊर्जा दी. उसके बाद शश‍िकांत ने इसे प्रोफेशन का रूप दिया. फिर एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बनाई जो बिहार और झारखंड के कई बड़े बड़े कार्यालयों और कई बड़े पदाधिकारियों के घरों की शोभा बढ़ा रही है. शश‍िकांत ने इसकी कोई विधिवत ट्रेनिंग नहीं ली है बल्कि अपनी कल्पना की उपज से ही कई कलाकृति को स्वरूप प्रदान करते हैं.

शश‍िकांत ने बताया कि उनकी इच्छा है कि औरंगाबाद या बिहार में कहीं भी एक स्कल्पचर पार्क का निर्माण हो जो चंडीगढ़ के रॉक गार्डन से भी बेहतरीन होगा. क्योंकि उनके द‍िमाग में एक हजार से ज्यादा वेराइटीज के आइड‍िया हैं जिसे वह मूर्तरूप दे सकते हैं. ऐसा होता है तो इस पार्क में देश से ही नहीं, बल्क‍ि विदेशों से भी सैलानी आएंगे और बिहार के इस पार्क की खूबसूरती की चर्चा करेंगे.

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शश‍िकांत को उम्मीद है कि औरंगाबाद जिला प्रशासन के सहयोग से उनकी सोच राज्य सरकार तक पहुंचेगी और बिहार में एक बेहतर स्कल्पचर पार्क का निर्माण होगा. हालांक‍ि शश‍िकांत को आज उनकी कलाकृति को पहचान दिलाने में औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने अहम भूमिका निभाई है. जिलाधिकारी ने शश‍िकांत से मुलाकात की और उनकी कलाकृतियों के बारे में जानकारी ला. जिलाधिकारी ने बताया कि शश‍िकांत ओझा औरंगाबाद के प्रतिभावान कलाकार हैं जिन्होंने फ्रेश एवं जंक मेटल पार्ट्स से कई कलाकृतियों की रचना कर मेक इन इंडिया को सही मायने में परिभाषित किया है. शश‍िकांत ने हाल ही में ऑटोमोबाइल पार्ट्स का इस्तेमाल कर टाइगर बनाया गया है जो बिल्कुल ही मेक इन इंडिया की LOGO की तरह है.

जिलाधिकारी ने बताया कि इसके अलावा शश‍िकांत की बनाई कलाकृत‍ियों में दानी बीघा पार्क में स्टेनलेस स्टील का हॉर्स, पटना इको पार्क में वॉल फिगर, पटना चिड़ियाघर में स्टेनलेस स्टील का बटरफ्लाई, एक अन्य स्थान पर बॉल बेयरिंग की गाय मशहूर हैं. इसके अलावा उन्होंने जमशेदपुर में भी कई स्कल्पचर बनाए हैं.

(अभिनेश कुमार सिंह की र‍िपोर्ट)