scorecardresearch

बिहार में ऐसा सरकारी स्कूल जहां स्टूडेंट्स के कहने पर यूनिफॉर्म में आने लगे हैं टीचर

औरंगाबाद में शिक्षा विभाग, सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक माहौल स्थापित करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की कोशिश में जुटी हुई है. यहां बच्चों में खेल-खेल के माध्यम से पढ़ाई के प्रति उत्सुकता पैदा करने में कामयाबी मिल रही है.

Model School Model School
हाइलाइट्स
  • स्कूल में दिखती है अपनी संस्कृति

  • अनुशासन के मामले में नंबर वन

बिहार के औरंगाबाद में एक ऐसा स्कूल है जहां हमारे संस्कारों की नई पौध तैयार हो रही है. यहां का अनुशासन ऐसा कि स्कूल के टीचर भी स्टूडेंट्स की बात मानते हैं.

औरंगाबाद जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र मदनपुर प्रखंड के नरकपी गांव स्थित राजकीय मध्य विद्यालय सरकार की इस सोच को धरातल पर उतारती दिख रहा है. यहां खेल-खेल में पढ़ाई, गीत संगीत के माध्यम से पढ़ाई और अन्य गतिविधियों का भरपूर आयोजन किया जाता है. इस विद्यालय के छात्र-छात्राओं के हर निर्देश का पालन शिक्षक भी करते हैं तो बच्चे भी हर शिक्षकों की बात अपने अभिभावकों की तरह मानते हैं.

किसी सरकारी स्कूल में ऐसा समन्वय शायद पहली बार देखने को मिला. चेतना सत्र में बच्चों की अभिव्यक्ति एक नजर में आकर्षित कर जाती है. इस विद्यालय की एक विशेषता यह भी है कि यहां के शिक्षक बच्चों के साथ साथ खुद का भी एक ड्रेसकोड बना रखा है. गले में आईकार्ड लगाकर बच्चों के बीच अपनी सेवा दे रहे है.

संभवतः यह सरकारी विद्यालय बिहार का पहला ऐसा विद्यालय होगा जहां छात्र छात्राओं के साथ शिक्षक भी ड्रेस में नजर आते हैं. शिक्षक बिरेंद्र कुमार बताते हैं कि शिक्षक यहां एक नवंबर से ही ड्रेस में आते हैं. हालांकि सरकार की तरफ से ऐसा कोई निर्देश नहीं है लेकिन बच्चों की भावनाओं की कद्र करते हुए शिक्षकों ने ड्रेस में आना शुरू कर दिया है.

model school

शिक्षक बिरेंद्र बताते हैं कि अक्टूबर में बाल संसद के दौरान एक छात्रा ने सवाल कर दिया कि बच्चे तो ड्रेस में विद्यालय आते हैं मगर शिक्षक क्यों नहीं. बच्चों की बात शिक्षकों को अच्छी लगी और उसी दिन सभी शिक्षकों ने काली पैंट और सफेद शर्ट को ड्रेस के रूप में स्वीकार किया और आईकार्ड बनाकर विद्यालय आना शुरू कर दिया.

(अभिनेश कुमार सिंह की रिपोर्ट)