scorecardresearch

व्हीलचेयर पर गरबा, बैसाखियों संग थिरके कदम… गुजरात गरबा नाइट में दिव्यांगों ने दिखाया जज्बा

नवरात्रि का पर्व सिर्फ भक्ति और उल्लास का नहीं, बल्कि समाज की समावेशी भावना का भी प्रतीक है. गुजरात के नडियाद शहर से एक ऐसी ही खूबसूरत तस्वीर सामने आई, जहां विकलांग और दिव्यांग लोगों के लिए एक विशेष गरबा महोत्सव का आयोजन किया गया.

Differently Abled Dancers Differently Abled Dancers
हाइलाइट्स
  • दिव्यांग लोगों के लिए एक विशेष गरबा महोत्सव

  • दिव्यांग और सामान्य में कोई फर्क नहीं

नवरात्रि का पर्व भक्ति और उल्लास का ही नहीं, बल्कि समाज की समावेशी भावना का भी प्रतीक है. गुजरात के नडियाद शहर में इसी संदेश को जीवंत करने वाला एक अनोखा आयोजन हुआ. यहां दिव्यांग और विकलांग लोगों के लिए विशेष गरबा महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें व्हीलचेयर पर बैठे, बैसाखियों का सहारा लिए और अपनी अद्भुत ऊर्जा से भरपूर दिव्यांगों ने गरबा खेलकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया.

दिव्यांग बच्चों, महिलाओं और युवाओं ने जताई खुशी
नवरात्रि के पावन अवसर पर नवरंग ग्रुप की ओर से यह आयोजन किया गया. इसमें दिव्यांग बच्चे, बड़े और महिलाएं मां शक्ति उत्सव गरबा ग्राउंड में शामिल हुए. मां के जयकारों और ढोल-नगाड़ों की धुन पर दिव्यांगों ने गरबे खेलकर अपनी खुशी जाहिर की. उनका उत्साह देखकर वहां मौजूद लोग भी भावुक हो उठे.

सक्षम संस्था ने संभाली कमान
इस विशेष आयोजन का संचालन सक्षम संस्था के सदस्यों ने किया. इसमें खेड़ा जिले की कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े दिव्यांग लोग भी शामिल हुए. आयोजन का उद्देश्य दिव्यांगों को यह एहसास कराना था कि वे किसी भी रूप से सामान्य लोगों से अलग नहीं हैं.

गरबा गुजरात की पहचान
गरबा गुजरात की सांस्कृतिक पहचान है और नवरात्रि की आत्मा भी. आयोजकों का कहना है कि जब पूरा समाज गरबा उत्सव में शामिल होता है, तो दिव्यांगों को इससे अलग क्यों रखा जाए? इसी सोच के साथ यह अनोखा कार्यक्रम किया गया.

दिव्यांग और सामान्य में कोई फर्क नहीं
दिव्यांग गरबा उत्सव ने साफ संदेश दिया कि उत्सव और आनंद किसी सीमा के मोहताज नहीं होते. इस आयोजन ने साबित कर दिया कि दिव्यांग लोग भी अपनी ऊर्जा और उमंग से समाज को प्रेरित कर सकते हैं.

रिपोर्ट- हेताली शाह