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Exclusive: जानिए कश्मीर के Weatherman कहे जाने वाले फैजान के बारे में, मौसम का लगाते हैं सबसे सटीक अनुमान

फैजान (Faizan Arif) साल 2018 से मौसम का विश्लेषण कर रहे हैं. उनके मुताबिक, वे हर दिन कम से कम तीन घंटे से ज्यादा समय जम्मू-कश्मीर के मौसम का अध्ययन करने में बिताते हैं. हर दिन उन्हें मौसम के बारे में एक नई चीज सीखने को मिलती है.

Faizan Arif Keng Faizan Arif Keng
हाइलाइट्स
  • बचपन से ही फॉरकास्टिंग के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया था 

  • 2018 से कर रहे हैं वेदर फॉरकास्टिंग 

मौसम एक ऐसी चीज है ज‍िसके बारे में भव‍िष्यवाणी करना आसान काम नहीं है. और जब कश्मीर की बात हो तो मौसम की स्थिति और राजनीतिक परिस्थितियां ज्यादातर समय अप्रत्याशित (Unpredictable) ही रहती हैं. लेकिन अगर आप अगली बार घाटी की यात्रा करने का मन बना रहे हैं, तो आपको कश्मीर के 21 साल के ‘वेदरमैन’ से जरूर कॉन्टैक्ट करना चाहिए.  

हवाई यात्री हों, शादी की तारीखों की योजना बना रही दुल्हनें हों या किसान जो अपनी फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहते हों, कश्मीर में सभी आज 21 साल के फैजान आरिफ केंग से कॉन्टैक्ट कर रहे हैं. श्रीनगर के नवाकदल इलाके के न‍िवासी फैजान आरिफ की जिंदगी वेदर फॉरकास्टिंग (Weather Forcasting) पर टिकी है.

GNT Digital ने इसे लेकर फैजान आरिफ केंग से बात की. फैजान ने बताया कि बचपन से ही उनके वेदरमैन बनने की जर्नी शुरू हो गई थी. वह अपने घर के बाहर बिजली गिरने या बारिश का इंतजार करते थे. फैजान अक्सर बारिश के पैटर्न के बारे में अपने मम्मी-पापा से पूछा करते थे. जिसके बाद धीरे-धीरे उनका झुकाव मौसम की भविष्यवाणी की ओर होने लगा. 

बता दें, फैजान महज 21 साल के हैं और एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ से बीएससी फिजिक्स ऑनर्स की पढ़ाई कर रहे हैं.  

फैजान आरिफ

बचपन से ही फॉरकास्टिंग के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया था 

फैजान बताते हैं कि बच्चों से ही उन्होंने इसके बारे में पढ़ना शुरू कर दिया था. वे कहते हैं, “सबसे पहले एक AccuWeather एप हुआ करता था, मैं उसे देखा करता था और घर वालों को बताया करता था कि आज बारिश होगी या आज का मौसम कैसा रहेगा. मैं दूरदर्शन और रेडियो पर कश्मीर के मौसम की भविष्यवाणी को रीड करता था. मैं वेदर एप के जरिए बहुत कुछ पढ़ता था और इस तरह मैंने धीरे-धीरे चीजें सीखना शुरू की."

हालंकि, मैंने सर्च किया कि आखिर ये एप्स किस तरह से मौसम की भविष्यवाणी करते हैं. तब  मैंने कई नई चीज़ों के बारे में जाना. 

2018 से कर रहे हैं वेदर फॉरकास्टिंग 

बता दें, फैजान साल 2018 से मौसम का विश्लेषण कर रहे हैं. उनके मुताबिक, वे हर दिन कम से कम तीन घंटे से ज्यादा समय जम्मू-कश्मीर के मौसम का अध्ययन करने में बिताते हैं. हर दिन उन्हें मौसम के बारे में एक नई चीज सीखने को मिलती है.

वे कहते हैं, “कुछ साल पहले ही मैंने अपने फॉरकास्ट को एक्सपैंड किया. मैंने इसे ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना शुरू कर दिया. इसके लिए मैंने कश्मीर वेदर (Kashmir Weather) के नाम से अपने पेज शुरू किए. आज सोशल मीडिया पर कश्मीर वेदर को फॉलो करने वाले लाखों लोग हैं. लोग मेरे प्रेडिक्शन को काफी पसंद कर रहे हैं और वो मुझपर भरोसा भी करते हैं.”
 
वे आगे कहते हैं कि मेरी कोशिश यही रहती है कि भले ही मैं लेट फॉरकास्ट करूं लेकिन ये एकदम सटीक हो. इसके लिए परिवार का भी मुझे पूरा सपोर्ट है. 

कैसे करते हैं वेदर फॉरकास्टिंग?

फैजान ने हमें बताया कि वे वेदर फॉरकास्टिंग के लिए केवल एक स्टडी पर डिपेंड नहीं रहते हैं. वे इसके लिए अलग अलग स्टडी करते हैं. वे अलग अलग सोर्सेज से वेदर फॉरकास्टिंग करते हैं.  ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) को फॉलो करते हैं. ये अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल प्रेडिक्शन (NCEP) द्वारा निर्मित एक वेदर फॉरकास्ट मॉडल है. इसके साथ वे यूके बेस्ड यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट (ECMWF) को भी फॉलो करते हैं.

देश में क्लाइमेट चेंज को लेकर जागरूकता जरूरी है 

फैजान का मानना है कि सरकार को क्लाइमेट चेंज को लेकर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए. वे कहते हैं, “हमने क्लाइमेट चेंज के कारण बड़े पैमाने पर प्राकृतिक आपदा देखी है, चाहे वह किश्तवाड़ में बादल फटना हो, 2014 की बाढ़ हो, 2018 में जल्दी बर्फबारी हो, 2019 में भारी बर्फबारी हो और बहुत कुछ. इस तरह की सभी आपदाओं से बचा जा सकता था या अगर हमें पहले से पता होता तो इसके लिए तैयार किया जा सकता था, लेकिन दुर्भाग्य से जागरूकता की कमी आने वाले में भी हमारे लिए विनाशकारी स्थिति पैदा कर सकती है.”

सरकार को शुरू करनी चाहिए वेदर स्टडी कोर्सेज 

इसके लिए उन्होंने सुझाव देते हुए बताया कि सरकार को कॉलेज और स्कूल लेवल पर 'वेदर स्टडी' से जुड़े सिलेबस या कोर्सेज शुरू करने चाहिए. वे कहते हैं, “ऐसे कई लोग हैं असल में कश्मीर में हो रहे क्लाइमेट चेंज या देश के वेदर के बारे में गहराई से अध्ययन करना चाहते थे, लेकिन उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है. और फिर इसी कारण उन्हें कोई दूसरा करियर चुनना पड़ता है. आज भारत में मौसम की भव‍िष्यवाणी करने के लिए मॉडल डेवलप करने की जरूरत है. अभी तक हमारे देश में फॉरकास्टिंग के लिए अच्छे इक्विपमेंट्स मौजूद नहीं हैं. साथ ही हमें एक अच्छे बजट की भी बहुत जरूरत है.”