scorecardresearch

Eco Friendly Wedding: महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुई अनोखी शादी, न दहेज था, न दिखावा…गांव के लोगों के लिए बनवाई सड़क और तोहफे में मिले 90 पेड़

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के छोटे से गांव सुसा में हुई शादी में न कोई दहेज, न बेशुमार खर्च. इस शादी में दूल्हे ने न केवल खर्च से बचत की, बल्कि उस पैसे का उपयोग गांव के शिवार (खेतों की और जाने वाले कच्चे रास्ते को शिवार कहा जाता है) में 2000 फीट लंबा रास्ता बनाने के लिए किया. यही नहीं कपल को गिफ्ट के तौर पर पेड़ मिले.

Farmer Skipped the Glamorous Wedding Farmer Skipped the Glamorous Wedding
हाइलाइट्स
  • प्रगतिशील किसान हैं श्रीकांत एकुडे

  • गांव के लोगों के लिए बनवाई सड़क

आज जहां शादियों को दिखावे, महंगे कपड़ों, दहेज और लाखों रुपये के खर्च से जोड़कर देखा जाता है, वहीं चंद्रपुर जिले के वरोरा तहसील के सुसा गांव में हुई एक शादी ने न सिर्फ इस सोच को बदला, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए एक मिसाल पेश कर दी.

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के छोटे से गांव सुसा में हुई शादी में न कोई दहेज, न बेशुमार खर्च. इस शादी में दूल्हे ने न केवल खर्च से बचत की, बल्कि उस पैसे का उपयोग गांव के शिवार (खेतों की और जाने वाले कच्चे रास्ते को शिवार कहा जाता है) में 2000 फीट लंबा रास्ता बनाने के लिए किया. यही नहीं कपल को गिफ्ट के तौर पर पेड़ मिले.

प्रगतिशील किसान हैं श्रीकांत एकुडे
सुसा गांव के श्रीरंग गणपत एकुडे के बेटे श्रीकांत और यवतमाल जिले के मोझर गांव की अंजली, जो गोपीकिसन गरमडे की पुत्री हैं, का विवाह तय हुआ. दूल्हे श्रीकांत एकुडे उच्चशिक्षित हैं, उन्होंने एमएससी (एग्रीकल्चर) तक पढ़ाई है और वे क्षेत्र के प्रगतिशील किसान भी हैं.

सम्बंधित ख़बरें

जब उन्होंने शादी करने का फैसला लिया, तो उनकी एक ही शर्त थी. शादी रजिस्टर्ट या सादगी से होनी चाहिए और लड़की तथा उसका परिवार इसके लिए तैयार होना चाहिए. चंद्रपुर जिले के प्रगतिशील किसान और कृषि भूषण पुरस्कार से सम्मानित सुरेश गरमडे की मध्यस्थता से यह विवाह तय हुआ. सुरेश गरमडे ने जब यह प्रस्ताव अंजली के परिवार के सामने रखा, तो उन्होंने विचार-विमर्श के बाद सहमति दी, इस विवाह में दूल्हा-दुल्हन की आपसी बातचीत और समझदारी से आधुनिक सोच को अपनाया गया.

दिखावे की हर परंपरा को किनारे रखकर की गई शादी
दोनों परिवारों ने तय किया कि शादी में न तो दहेज होगा, न सजावट, न रोशनी, न डीजे-बैंड, न जेवर और न ही भव्य भोज. इसके बदले वे यह पैसा सामाजिक हित में खर्च करेंगे. और इसी सोच के साथ, 28 अप्रैल को संपन्न हुआ. उनका प्रेरणादाई विवाह जिसमें दिखावे की हर परंपरा को किनारे रख, समाज और प्रकृति के लिए एक मिसाल कायम की गई.

शादी के पैसों से बनवाया गांव के लिए रास्ता
श्रीकांत ने तय किया कि शादी के पैसों से वे गांव के खेतों तक जाने वाला रास्ता बनाएंगे, बरसात में खेतों की ओर जाने वाले रास्ते अत्यंत खराब हो जाते हैं, जिससे न केवल किसानों को बल्कि मवेशियों को भी वहां पहुंचना मुश्किल होता है. श्रीकांत ने शादी का खर्च बचाकर गांव में 2000 फीट लंबा शिवार रास्ता खुद के खर्च से तैयार करवा दिया जिससे अब बरसात में भी किसानों और उनके मवेशियों के लिए उपयोगी साबित होगा.

गांव में बनवाया फ्रूट फॉरेस्ट
इतना ही नहीं जब बात तोहफों की आई, तो श्रीकांत ने रिश्तेदारों से फ्रिज, टीवी या बर्तन या बड़े तोहफे नहीं तो फलों के पेड़ भेंट देने का आग्रह किया, और रिश्तेदारों ने इस सृजनशील सोच को दिल से अपनाया. शादी में कुल 90 से भी अधिक फलदार और औषधीय पौधे उपहार में दिए गए. इसमें विदर्भ में उगने वाले फलों के साथ-साथ स्टारफ्रूट, वाटर एप्पल, चकोत्रा, मलबेरी, लीची, रबर जैसे पौधे भी शामिल हैं, वहीं चारोली कवट, बेल, महुआ जैसे जंगली फलों के पौधे जिनमें 36 से ज्यादा प्रजातियां शामिल हैं. इन सभी पौधों को खेत में एक सुनियोजित रूप से लगाया गया. यह ना सिर्फ पर्यावरण के लिए वरदान होगा, बल्कि अगली पीढ़ियों के लिए एक हरित विरासत भी है.

आज जब बहुत से लोग कर्ज लेकर शादियों में लाखों खर्च कर देते हैं, इस युवा किसान ने दिखा दिया कि सच्चा निवेश दिखावे में नहीं, समाज के विकास में है. श्रीकांत और अंजली की यह शादी आज विदर्भ ही नहीं, पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गई है.

किसानों को खुद ही आगे आकर अपने मसले सुलझाने चाहिए
श्रीकांत का कहना है, “किसानों को पहले अपनी और अपनी खेती की प्रगति के बारे में सोचना चाहिए. जब सरकार और समाज व्यवस्था किसानों की चिंता नहीं करती, तब किसानों को खुद ही आगे आकर अपने मसले सुलझाने चाहिए. इसी सोच के चलते मैंने खेतों के रास्ते बनवाए. साथ ही मेरे मन में यह सवाल था कि क्या आने वाली पीढ़ी को जंगल और उसके फल देखने और चखने को मिलेंगे, इसी विचार से मैंने अपने खेत में ही रिश्तेदारों की मदद से एक फल वन (फ्रूट फॉरेस्ट) बनाने का निर्णय लिया. मुझे खुशी है कि मेरे दोस्तों और रिश्तेदारों ने इसे समर्थन दिया. मुझे उम्मीद है कि यह विवाह पद्धति समाज में एक नई सोच लाएगी.”

चंद्रपुर के इस प्रेरणादाई विवाह ने एक नई दिशा दिखाई है, जहां शादी सिर्फ दो दिलों का नहीं, समाज और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भी बंधन होना चाहिए.

-अभिजीत करांडे की रिपोर्ट