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घर में वेस्ट चीजों से बनाया गार्डन, ससुर के 26 साल पुराने स्कूटर और अपनी बेटी की बचपन की साइकिल को दिया नया रूप

गाजियाबाद की रुचि ने अपने घर में वेस्ट चीजों से गार्डन बनाया है. खास बात ये है कि इसे बनाने में पौधों के अलावा कोई भी चीज बाहर से नहीं खरीदी गई. इस गार्डन में वो तमाम चीजें दिख जांएगी जिसे हम वेस्ट समझकर फेक देते हैं लेकिन उन्हीं से रुचि ने ये गार्डन बनाया है.

रुचि रुचि
हाइलाइट्स
  • बाहर से नहीं खरीदी एक भी चीज

  • 50 हजार के पौधे खरीदे, ससुर से स्कूटर मांगा

गाजियाबाद का यह घर बहुत हसीन है लेकिन इसका गार्डन घर की खूबसूरती से कहीं ज्यादा खूबसूरत है. घर के इस गार्डन को इतना खूबसूरत बनाया है घर की बहू रुचि गोयल ने. इस गार्डन में आपको खराब हो चुके पंखे के पर पर कलाकारी मिल जाएगी, टूटे मटके में लगा खूबसूरत पौधा दिख जाएगा. खराब हो चुके लाउडस्पीकर में एक नहीं दो किस्म के पौधे लगे मिल जाएंगे. डिटर्जेंट पाउडर के डिब्बों को इतनी खूबसूरती से सजाया गया है कि आप पहचान ही नहीं पाएंगे.

बाहर से नहीं खरीदी एक भी चीज

रुचि ने इकोनॉमिक्स में पीएचडी किया है लेकिन शादी के बाद उन्होंने फैमिली बिजनेस को संभाला और जब बात अपने मन के काम की आई तो उन्होंने इस गार्डन को सवांरा. इस गार्डन की सबसे खास बात ये है कि इसे बनाने में पौधों के अलावा कोई भी चीज बाहर से नहीं खरीदी गई. इस गार्डन में आपको वो तमाम चीजें दिखाई पड़ जाएंगी जिन्हें आप अपने किचन से, घर से कबाड़ समझकर हर महीने बाहर फेंक देते हैं. चाहे वो सिंगल यूज़ प्लास्टिक की पानी की बोतल हो या फिर डिटर्जेंट पाउडर के डिब्बे. रुचि की कलाकारी ने हर खराब चीज को सोना कर दिया है.

सास के सपने को आगे बढ़ाया

रुचि बताती हैं कि उन्हें शुरू से गार्डन में कुछ खास इंट्रेस्ट नहीं था लेकिन उनकी सासू मां को पेड़ पौधों में बहुत मन लगता था. उनकी सास दमयंति गोयल गाजियाबाद की पहली महिला मेयर थी. रुचि बताती हैं कि गाजियाबाद को हराभरा करने में उनकी सास का बड़ा योगदान था, लेकिन उनकी मौत के बाद उनके घर के गार्डन में पौधों की संख्या बहुत कम हो गई एक दिन उनका ध्यान इस तरफ गया और उन्होंने महसूस किया कि यह गार्डन उनकी सास की धरोहर की है.. और बस यहीं से शुरुआत हुई. 

50 हजार के पौधे खरीदे, ससुर से स्कूटर मांगा

रुचि बताती हैं कि घर के इस गार्डन को दोबारा खूबसूरत बनाने के लिए उन्होंने सबसे पहले 50 हजार रुपए के पौधे खरीदे. वो बताती हैं इसके बाद उनका ध्यान घर में बेकार हो चुकी चीजों पर गया. घर में एक ऐसा स्कूटर खड़ा था जिसको कभी उनके ससुर चलाया करते थे और उनके पति ने भी अपनी जवानी के कई दिन इस स्कूटर पर बिताए थे. रुचि बताती हैं कि इस स्कूटर के साथ सभी का इमोशनल अटैचमेंट था कोई भी इसे कबाड़ी वाले को बेचना नहीं चाहता था. मैं सबकी भावनाओं को समझती थी इसलिए मैंने एक दिन अपने ससुर से स्कूटर मांगा तो पहले तो उन्होंने हंसते हुए पूछा क्या करोगी? लेकिन फिर बोले ले जाओ जो करना है करो. रुचि कहती हैं कि आखिर में जब स्कूटर पेंट हो गया उस पर बहुत सारे पौधे लग गए तो सबके चेहरे पर मुस्कान थी.

ये पौधे मेरे बच्चों जैसे लेकिन मेरे बच्चे कभी कभी नाराज हो जाते हैं

रुचि कहती हैं कि उनके गार्डन में आज एक हजार से ज्यादा गमले हैं तो वही 500 से ज्यादा किस्म के पौधे हैं. रुचि बताती हैं कि वो कितना भी बिजी क्यों ना हो सुबह शाम इन पौधों के लिए वक्त जरूर निकालती हैं. वे कहती हैं कि उन्हें अपने पौधों के बारे में बारीक से बारीक जानकारी रहती है. लेकिन इन सबके बीच कई बार उनके अपने बच्चे उनसे नाराज हो जाते हैं. बच्चे अक्सर यह उलाहना देते हैं कि आप तो हमसे ज्यादा पेड़ पौधों को टाइम देती हैं उनसे प्यार करती हैं.

ताकि न बने कोई और कूड़े का पहाड़

रुचि बताती हैं कि सोशल मीडिया पर वो लगातार अपने गार्डन के बारे में पोस्ट करती रहती हैं. अब तो कई लोग उनसे पूछते हैं कि हम इस तरह का गार्डन अपने घर में कैसे तैयार कर सकते हैं. कई पड़ोसी ने उनसे कहा कि हमारे घर में भी इस तरह का गार्डन तैयार कर दो. रुचि बताती हैं कि उनकी कोशिश भी यही है कि लोगों को और सिखाया जाए, बताया जाए और अगर उन्हें मौका मिले तो वह पूरे शहर को इतना स्वच्छ और सुंदर बनाने की कोशिश करेंगी. रुचि कहती है कि अगर लोग अपने कूड़े कबाड़ का सही इस्तेमाल करना सीख जाएंगे तो सोचिए देश-दुनिया में गंदगी कितनी कम हो जाएगी.