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Helmet Man Of India: घर बेचा, जेवरात बेचे... लेकिन मुहिम नहीं रोकी, पिछले 9 साल से लोगों को फ्री में हेलमेट बांट रहे हैं राघवेंद्र कुमार

Helmet Man Of India: हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के रूप में मशहूर राघवेंद्र कुमार पिछले 9 साल से लोगों को फ्री में हेलमेट बांट रहे हैं. वे अभी 22 राज्यों में घूमकर 56,000 से ज्यादा हेलमेट बांट चुके हैं.

Helmet Man of India Raghavendra Kumar Helmet Man of India Raghavendra Kumar
हाइलाइट्स
  • भारत में हर साल होती हैं हजारों सड़क दुर्घटनाएं 

  • हेलमेट का सही इस्तेमाल है जरूरी 

ऐसे में हेलमेट पहनने के प्रति जागरूकता की कमी को देखते हुए लगातार कई मुहिम चलाई जा रही हैं. लेकिन हेलमेट मैन ऑफ इंडिया- राघवेंद्र कुमार का संदेश देने का तरीका काफी प्रभावशाली है. दरअसल, हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक व्यक्ति लखनऊ-एक्सप्रेसवे पर बाइक वाले को हेलमेट दे रहे थे. दरअसल, ये कोई और नहीं बल्कि हेलमेट मैन राघवेंद्र हैं.

इस वाकया के बारे में राघवेंद्र ने GNT डिजिटल को बताया, “इस व्यक्ति को ओवरस्पीड में जाते हुए मेरे बेटे ने ही देखा था. बाइक पर सवार व्यक्ति ने हेलमेट नहीं पहना था. तो मेरी गाड़ी में हमेशा हेलमेट पड़े रहते हैं. मेरी बीवी देख रही थी तो उन्होंने वीडियो भी बना लिया. क्या पता था कि ये वीडियो इतना वायरल हो जाएगा.”

 

भारत में हर साल होती हैं हजारों सड़क दुर्घटनाएं 

भारत में हर साल कई हजार मौतें सिर्फ इसलिए होती हैं क्योंकि व्यक्ति बिना हेलमेट के बाइक या स्कूटी चला रहा होता है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक रिपोर्ट मुताबिक 2021 में कुल 46,593 लोग बिना हेलमेट के सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे. इनमें से 32,877 चालक और 13,716 यात्री थे. 2021 में कुल 4,12,432 सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें से 1,28,825 नेशनल हाईवे पर हुए हैं. 2020 की तुलना में 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 12.6% की वृद्धि हुई. इसी में कमी लाने के लिए राघवेंद्र पिछले 9 साल से हेलमेट बांटने की मुहीम चला रहे हैं. बिहार के कैमूर जिले के मूल निवासी राघवेंद्र कुमार ने ये हेलमेट लगाने वाली बात तब समझी जब 2014 में उनके एक दोस्त की दिल्ली में बाइक एक्सीडेंट में मौत हो गई. 

दोस्त की सड़क हादसे में हो गई थी मौत 

राघवेंद्र बताते हैं, “2014 में मेरा एक दोस्त नोएडा से ग्रेटर नोएडा आ रहा था जिसका एक्सीडेंट हो गया था. उस वक्त उसने हेलमेट नहीं पहना था. उसके सर में चोट लगी थी. 8 दिन वो वेंटिलेटर पर रहा, लेकिन वो बच नहीं पाया. जब उसे हॉस्पिटल लेकर गए तो सभी यही कह रहे थे कि शायद इसकी जान हेलमेट पहनने से बच सकती थी. तब मुझे लगा कि हर साल इतने लोग सिर्फ इसलिए मर जाते हैं क्योंकि वो हेलमेट नहीं पहने होते हैं. तब लगा कि जिसका परिवार ने अपना बेटा-भाई या कोई भी खोया है अब वो परिवार तो गूंगा हो गया है और उनकी अब कोई नहीं सुनेगा. तब मैंने सोचा कि क्यों न हेलमेट को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए.”   

22 राज्यों में घूमकर, 56000 से ज्यादा हेलमेट बांट चुके 

बस इसी तरह हुआ सड़क पर दोपहिया वाहन चलाने वालों को हेलमेट दान करने वाले का जन्म और राघवेंद्र बन गए हेलमेट मैन ऑफ इंडिया. राघवेंद्र कहते हैं, "मैंने इस मिशन की शुरुआत 2014 में की थी, जिसका उद्देश्य हेलमेट के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना था ताकि कम से कम इस देश की आने वाली पीढ़ियां लापरवाही के कारण सड़कों पर अपनी जान न गंवाएं."

बिहार के कैमूर जिले से ताल्लुक रखने वाले राघवेंद्र को तकरीबन 9 साल हो गए हैं इस हेलमेट की मुहिम को शुरू किए हुए. अपने सफर के बारे में बताते हुए राघवेंद्र कहते हैं, “अभी तक मैं 22 राज्यों में घूमकर 56,000 से ज्यादा हेलमेट बांट चुका हूं. अधिकतर उन लोगों को मैंने हेलमेट बांटा है जो युवा थे. इन 56 हजार लोगों में से ऐसे 30 लोगों को तो मैं जानता हूं जिनकी हेलमेट की वजह से जान बची है. मेरे लिए कामयाबी यही है कि मैंने इतने लोगों की जान बचाई.”

घर बेचा, जेवरात बेचे लेकिन मुहिम नहीं रोकी 

राघवेंद्र पिछले 9 साल से फ्री हेलमेट बांट रहे हैं. हालांकि, इस मुहिम में लोगों की जान तो बची लेकिन राघवेंद्र की कमाई और बचत खत्म हो गई. यहां तक ​​कि कर्ज चुकाने के लिए उन्हें दिल्ली में अपना घर भी बेचना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने मिशन को नहीं छोड़ा. इसे लेकर राघवेंद्र कहते हैं, “कुछ समय पहले एक घर खरीदा था लेकिन 2018 में मुझे उसे बेचना पड़ा. हालांकि, मेरे इस फैसले से कोई खुश नहीं था क्योंकि उनके मुताबिक ये पागलपन वाली बात थी. बीच में भी मुझे पैसों की जरूरत पड़ी तो मेरे पत्नी ने मेरा बहुत साथ दिया. उन्होंने अपने जेवरात तक भी दे दिए. इसके अलावा 56000 हेलमेट देने में भी पैसे चाहिए होते हैं तो उस वक्त मेरे पास 14 बिटकॉइन थे जो मुझे बेचने पड़े थे जिनसे मैं 70-75 लाख रुपये इकट्ठे कर पाया था. लेकिन मैंने अपना काम नहीं रोका. हालांकि, अब थोड़ा मुश्किल हो गया है तो इसलिए मैं ग्रेटर नोएडा छोड़ने की सोच रहा हूं. लेकिन देखते हैं कि आखिर ऊपर वाले ने मेरे लिए क्या निर्धारित कर रखा है.”

हेलमेट का सही इस्तेमाल है जरूरी 

बताते चलें कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, हेलमेट के सही इस्तेमाल से खतरनाक चोटों के जोखिम में 42% की कमी और सिर की चोटों के जोखिम में 69% की कमी की जा सकती है. राघवेंद्र इसपर बताते हैं कि यूनाइटेड नेशन ने भी इसकी मुहिम चला रखी है कि सड़क हादसों के इस मौत के आंकड़ें को कम करना है. ऐसे में उन्होंने भी कहा है कि वे आने वाले समय में हेलमेट मैन के तौर पर बुलाएंगे. तो मुझे लगता है लोगों को उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए. क्योंकि आखिर में जाकर सब अच्छा हो ही जाता है.