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दोस्ती की ऐसी मिसाल जिसने तोड़ दिए मजहब के बंधन, ऑस्कर तक पहुंची 'होमबाउंड' की कहानी

कोरोना महामारी के दौर में जब लोग एक-दूसरे से दूरी बना रहे थे, उस मुश्किल वक्त में उत्तर प्रदेश के देवरी गांव के मोहम्मद सैय्यूब ने ऐसी मिसाल पेश की, जिसे अब पूरी दुनिया सलाम कर रही है.

 Real Life Friendship Real Life Friendship
हाइलाइट्स
  • ऑस्कर तक पहुंची देवरी गांव की सच्ची कहानी

  • दोस्ती पर बनी फिल्म को मिला ऑस्कर नॉमिनेशन

कोरोना महामारी के दौर में जब लोग एक-दूसरे से दूरी बना रहे थे, उस मुश्किल वक्त में उत्तर प्रदेश के देवरी गांव के मोहम्मद सैय्यूब ने ऐसी मिसाल पेश की, जिसे अब पूरी दुनिया सलाम कर रही है. साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान सैय्यूब और उनके दोस्त अमृत प्रसाद गुजरात के सूरत से अपने गांव लौट रहे थे. रास्ते में झांसी हाईवे के पास अमृत की तबीयत अचानक बिगड़ गई. कोरोना के डर से ट्रक में सवार अन्य मजदूरों ने उसे नीचे उतार दिया, लेकिन सैय्यूब ने अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ा. वह भी ट्रक से उतर गया और सड़क किनारे अमृत का सिर अपनी गोद में रखकर बैठा रहा. कुछ देर बाद एम्बुलेंस आई, सैय्यूब ने खुद अमृत को अस्पताल पहुंचाया लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

वायरल तस्वीर से इंसानियत की कहानी बनी फिल्म
हाईवे पर दोस्त की गोद में सिर रखे अमृत की तस्वीर उस वक्त सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी. लोगों ने सैय्यूब की इंसानियत और दोस्ती को सलाम किया था. इसी हकीकत ने बाद में फिल्मकारों को प्रेरित किया, और इसी घटना पर बनी बॉलीवुड फिल्म ‘होमबाउंड’ आज ऑस्कर तक पहुंच गई है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक आम इंसान ने धर्म और डर से ऊपर उठकर इंसानियत का फर्ज निभाया.

सैय्यूब ने दोस्ती का असली मतलब सिखाया
जब हमारी टीम देवरी गांव पहुंची, तो वहां के लोगों की आंखों में गर्व और आंसू दोनों थे. गांव के प्रधान प्रतिनिधि ने बताया कि “अमृत और सैय्यूब बचपन के दोस्त थे, दोनों सूरत में साथ नौकरी करते थे. जब पूरा देश डर में था, तब सैय्यूब ने अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ा.”अमृत के पिता राम चरण बोले, “बेटे के जाने के बाद भी सैय्यूब हमारे साथ खड़ा रहा. मेरी बेटी की शादी में भी उसने हाथ बंटाया. आज भी वो हमारे परिवार का हिस्सा है.”

ऑस्कर नामांकन पर दोगुनी हुई खुशी
अमृत की चाची ने कहा, “हम सब चाहते हैं कि ये फिल्म पूरी दुनिया देखे. सैय्यूब जैसा दोस्त हर किसी को मिले.” वहीं, सैय्यूब के पिता मोहम्मद यूनुस ने कहा, “अगर इस फिल्म को ऑस्कर से इनाम मिलता है, तो उस राशि से अमृत के परिवार की मदद होनी चाहिए. यह कहानी हमारे गांव का गर्व है.” गांव वालों का कहना है कि जब भाई-भाई एक-दूसरे से मुंह मोड़ रहे थे, तब एक मुस्लिम युवक ने हिंदू दोस्ती की असली मिसाल कायम की.

-संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट