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भरी गर्मी में ये शख्स बन रहा है पक्षियों की जुबान, बेजुबानों को पानी पिलाने के लिए घर-घर बांट रहा है मिट्टी के कटोरे

पंछियों के रहने के लिए जगह और पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है. इसीलिए वह इस मुहिम को चला रहे हैं. इससे पंछियों को पानी की कोई किल्लत नहीं होगी.

लक्ष्मण पक्षियों को पिला रहे हैं पानी लक्ष्मण पक्षियों को पिला रहे हैं पानी
हाइलाइट्स
  • 12 साल से पक्षियों के लिए कर रहे हैं काम 

  • पंछियों को पानी मिल सके इसलिए चला रहे हैं मुहीम 

गर्मी के मौसम में भी एक इंसान बेजुबानों की बात समझ रहा है. ये इंसान पंछियों के लिए आगे आ रहा है और पिछले 12 साल से मिट्टी के कटोरे लोगों को बांट रहा है, ताकि वे लोग अपने घरों के बाहर इनमें पानी भरकर रख सकें. जिसके चलते पंछियों को इस गर्मी के मौसम में भी पीने के लिए पानी मिले. 

12 साल से पक्षियों के लिए कर रहे हैं काम 

आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में  इंसान बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है. कुदरत के साथ हर रोज खिलवाड़ हो रहा है, पेड़ धड़ाधड़ काटे जा रहे हैं, ऑक्सीजन की कमी के चलते लोग मर रहे हैं. ये गर्मी का मौसम है और पंछियों के रहने के लिए न के बराबर जगह बची है. और तो और उनके पास पीने के लिए भी पानी नहीं है. ऐसे में जिला संगरूर का एक शख्स पिछले 12 साल से इन बेजुबानों के लिए काम कर रहा है. ये शख्स है लक्ष्मण सिंह.

गर्मी की वजह से मर रहे हैं पंछी 

दरअसल, लक्ष्मण एक अध्यापक हैं. वह पिछले 12 साल से पंछियों के लिए एक खास उपाय कर रहे हैं. वे हर साल मिट्टी के कटोरे लेकर शहर और गांव में जाकर लोगों को बांटते हैं. साथ ही वे उनको अपील करते हैं कि वह इसमें पानी भरकर अपने घर के बाहर रखें. ताकि पंछियों को पीने के लिए पानी मिल सके. 

आपको बता दें, क्योंकि पंछी इस गर्मी में बिना पानी के मार रहे हैं. आसपास के लोग भी लक्ष्मण सिंह के इस  उपाय की बहुत सराह रहे हैं. 

पंछियों को पानी मिल सके इसलिए चला रहे हैं मुहीम 

लक्ष्मण सिंह ने बताया कि वह पिछले 12 साल से मिट्टी के कटोरे बांट रहे हैं. क्योंकि पंछियों के पीने के लिए पानी नहीं है. वे कहते हैं, “पंजाब में सिर्फ 6%  धरती पर ही पेड़ हैं. जबकि इसके लिए करीब 38% जगह चाहिए. ऐसे में हम कुदरत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. पंछियों के रहने के लिए जगह और पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है, इसीलिए वह आगे आ रहे हैं और उनके लिए अपनी एक छोटी सी मुहिम चला रहे हैं. ताकि पंछियों को पानी की कोई किल्लत न हो सके.”

लक्ष्मण आगे कहते हैं कि पहले हमारे घरों में पेड़ों पर पंछी रहते थे, आज इंसान आगे बढ़ चुका है पंछियों के रहने के लिए कोई जगह नहीं है, लोगों को आगे आना चाहिए. 

(बलवंत सिंह विक्की की रिपोर्ट)