जयपुर में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के संयुक्त निदेशक प्रद्युमन दीक्षित ने भ्रष्टाचार की नई परिभाषा लिख डाली. अफसर ने अपनी पत्नी पूनम दीक्षित उर्फ पूनम पांडे को न सिर्फ एक नहीं, बल्कि दो-दो कंपनियों में फर्जी नौकरी दिला दी. साथ ही बिना ड्यूटी पर गए हर महीने 1.60 लाख रुपए का वेतन भी दिलाते रहे.
5 साल तक पत्नी के पांच अलग-अलग बैंक खातों में करीब 37.54 लाख रुपए जमा होते रहे. इतना ही नहीं, शातिर अफसर की पत्नी एक भी दिन नौकरी पर नहीं गई और उसे नियमित रूप से वेतन मिलता रहा. हैरानी की बात यह कि वेतन बिलों पर हस्ताक्षर खुद अफसर प्रद्युमन दीक्षित के ही थे. एसीबी को इस संबंध में एक गोपनीय शिकायत मिली. शिकायत के सत्यापन और जांच के बाद जो खुलासा हुआ, वह हैरान करने वाला है.
क्या सामने आया जांच में?
शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने जांच शुरू की तो पता चला कि पूनम दीक्षित के वेतन बिलों पर हर महीने उसका पति ही हस्ताक्षर करता था, जिसके बाद पत्नी के बैंक खाते में वेतन की राशि के रुपए जमा होते रहे. शातिर कारनामे का यह मामला डीओआईटी के संयुक्त निदेशक प्रद्युमन दीक्षित से जुड़ा है. उन्हीं के खिलाफ एसीबी को शिकायत मिली थी.
इस मामले में दीक्षित की पत्नी पूनम दीक्षित के साथ विभाग के उपनिदेशक राकेश कुमार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे. जांच में पता चला कि डीओआईटी के संयुक्त निदेशक प्रद्युमन ने एक निजी कंपनी ऑरियन प्रो को सरकारी ठेकों में अनुचित लाभ दिलाया. जिस कंपनी को ठेका दिया गया उसी कंपनी में पूनम दीक्षित को फर्जी तरीके से राजकॉम्प में नियुक्ति दिला दी.
5 निजी खातों में जमा होती सैलेरी
डीओआईटी के संयुक्त निदेशक प्रद्युमन दीक्षित ने अपनी पत्नी पूनम दीक्षित AUrionPro Solutions लिमिटेड और Trigent Software प्राइवेट लिमिटेड में नियुक्ति दिलाई थी. इन दोनों ही कंपनियों में नौकरी होने के बावजूद पूनम दीक्षित एक भी दिन नौकरी की ड्यूटी पर नहीं गई थी. दोनों कंपनियों ने जनवरी 2019 से सितंबर 2020 तक पूनम दीक्षित के 5 निजी बैंक खातों में 37 लाख 54 हजार 405 रुपए वेतन के रूप में जमा कराए थे.
इस संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट में एक शिकायत याचिका के रूप में दर्ज हुई थी. कोर्ट ने सितंबर 2024 को एसीबी को मुकदमा दर्ज कर जांच के निर्देश दिए थे. एसीबी ने कोर्ट के आदेश पर 3 जुलाई 2025 को परिवाद दर्ज किया. बाद में कंपनियों और पूनम दीक्षित के बैंक खातों की जांच की गई. जांच में चौंकाने वाला भ्रष्टाचार सामने आया तो 17 अक्टूबर 2025 को एफआईआर दर्ज की गई हैं.
-विशाल शर्मा की रिपोर्ट