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कैसे भारतीय रेलवे की लाइब्रेरी ने एक सीईओ को अपने हार्वर्ड सपने को पूरा करने में की मदद, किताब खरीदने के भी नहीं थे पैसे

हार्वेस्टिंग फार्म नेटवर्क (एचएफएन) के संस्थापक रुचित गर्ग ने शेयर किया कि कैसे रेलवे पुस्तकालय से किताबें पढ़ने से उनका जीवन सफल हुआ. कम उम्र में अपने पति को खोने के बाद रुचित गर्ग की मां ने भारतीय रेलवे के पुस्तकालय में क्लर्क के रूप में काम करना शुरू किया.

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इंटरनेट प्रेरक कहानियों से भरा पड़ा है जो हम आप जैसे लोगों की कहानी पेश करती हैं. इन लोगों ने न केवल सफलता के लिए कठिन प्रयास किया, बल्कि दिन रात कड़ी मेहनत करके लक्ष्य हासिल किया. आज हम आपको ऐसी ही एक कहानी बताएंगे जोकि हार्वेस्टिंग फार्मर्स नेटवर्क के संस्थापक और सीईओ रुचित जी गर्ग की है.

रेलवे की लाइब्रेरी में की पढ़ाई
गर्ग ने विस्तार से बताया कि कैसे भारतीय रेलवे के पुस्तकालय ने उन्हें अपना ज्ञान बढ़ाने में मदद की. कैप्शन में उन्होंने लिखा, “जब मैंने लगभग 35 साल पहले अपने पिता को खो दिया, तो मेरी मां ने भारतीय रेलवे के पुस्तकालय के लिए एक क्लर्क के रूप में काम करना शुरू किया, जो अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए था. हमारे पास बहुत कम साधन थे, किताबों सहित ज्यादा खर्च नहीं कर सकते थे... मैं चुपके से उन सभी संभावित चीजों को पढ़ने के लिए चला जाता था, जिनमें मेरी दिलचस्पी थी.'

हावर्ड ने किया इन्वाइट
उन्होंने आगे कहा,“पुस्तकालय तक पहुंच बहुत वरदान साबित हुई क्योंकि कई किताबें/पत्रिकाएं हमारी पहुंच से बाहर थीं. HBR (हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू) @HarvardBiz उनमें से एक थी और केस स्टडी पढ़ना मेरे लिए मजेदार था. लेकिन समय बदल जाता है." साल 2018 में उन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था. उन्हें छोटे किसानों के लिए वित्तीय समावेशन के बारे में @Harvard में पैनल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था." गर्ग ने यह कहते हुए ट्वीट को समाप्त किया कि वह हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की अपनी कॉपी खरीदने के लिए उत्साहित थे, जिसे वह जमाने में खरीद नहीं सकते थे.