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International Women's Day: देश की पहली महिला जो 12 घंटे काम करके 80 ट्रेन कराती है पास

सलमा बताती हैं कि जब से उनकी नौकरी लगी है तब से वह मल्हौर स्टेशन की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. उन्होंने कहा, जब उन्होंने रेलवे में अपने पिता की जगह गेट मैन का काम चुना तो उन्हें शुरुआती समय में बहुत दिक्कत हुई क्योंकि उस वक्त वॉशरूम भी नहीं होता था और दूर-दूर तक सिर्फ जंगल ही जंगल थे.

Salmna Begum Salmna Begum

8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिन पूरे विश्व की महिलाओं को समर्पित है. पिछली एक सदी से भी ज्यादा वक्त से दुनिया भर में लोग आठ मार्च को महिलाओं के लिए एक खास दिन के तौर पर मनाते आए हैं. इस खास दिन पर हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी महिला की कहानी जो लखनऊ के मल्हौर स्टेशन पर कार्यरत है.
 

पिता की जगह संभाला काम

लखनऊ के मल्हौर स्टेशन पर रेलवे विभाग में कार्यरत गेट मैन का काम करने वाली सलमा बेगम हर रोज रेलगाड़ियों को स्टेशन से पास कराती हैं. सलमा बेगम ने आज तक को अपना सफरनामा बताते हुए कहा कि, पापा की तबीयत ठीक नहीं थी और उस वक्त मैं 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही थी तो पापा ने कहा कि घर को कोई संभालने वाला नहीं है. ऐसे में मेरे पापा ने पहले ही रिटायरमेंट ले लिया और उनकी जगह पर मुझे नौकरी मिल गई. जब सलमा को नौकरी मिली तो उस वक्त वह बीए फर्स्ट ईयर में थी. सलमा बेगम ने बताया कि 12 घंटे की नौकरी में 70 से 80 गाड़ियां रोज मल्हौर स्टेशन से पास कराती हैं और पिछले 10 साल से वह लखनऊ के मल्हौर स्टेशन पर कार्य कर रही हैं. 

लोग उड़ाते थे मजाक

सलमा बताती हैं कि जब से उनकी नौकरी लगी है तब से वह मल्हौर स्टेशन की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. उन्होंने कहा, जब उन्होंने रेलवे में अपने पिता की जगह गेट मैन का काम चुना तो उन्हें शुरुआती समय में बहुत दिक्कत हुई क्योंकि उस वक्त वॉशरूम भी नहीं होता था और दूर-दूर तक सिर्फ जंगल ही जंगल थे. यहां तक कि पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं होती थी ऐसे में लगातार 12 घंटे तक काम करना बहुत ही मुश्किल भरा होता था और काम करके जब घर जाती थीं तभी शौच आदि से निवृत होती थीं. हालांकि अब काफी सुधार हो गया है और अब शौचालय की व्यवस्था हो गई है वहीं पानी की भी किल्लत अब नहीं है. सलमा ने यह भी बताया कि जब वह घर से मल्हौर के लिए काम करने निकलती थीं तो स्टेशन के आसपास गांव वाले उन्हें घूरा करते थे और कहते थे यह ज्यादा दिन काम नहीं कर पाएगी क्योंकि काम काफी परिश्रम वाला है और इसे सिर्फ मर्द ही कर सकता है लेकिन सलमा हिम्मत नहीं हारीं क्योंकि पिता ने हमेशा ढांढस बंधाया. 

पिता ने दिया हौसला

सलमा ने अपने पिता से कई टेक्निकल चीजें सीखीं. जिसकी वजह से उन्हें काम करने में कोई दिक्कत नहीं हुई और दिन-ब-दिन काम में निखार आता गया. सलमा बेगम ने कहा कि उनकी कामयाबी के पीछे उनके पिता का हाथ हैं जिन्होंने समय-समय पर उनका हौसला अफजाई किया. सलमा ने बताया कि उनका कोई भाई नहीं है वहीं उनकी माता का भी पिछले साल निधन हो गया है. ऐसे में पापा ने हमेशा प्रेरणा दी कि किसी के सामने झुकना नहीं अपना काम मेहनत से करना, अगर अगर कोई आदमी परेशान भी करता है तो हमेशा सर उठा कर काम करो.

महिला दिवस पर दिया संदेश

सलमा बेगम बताती हैं कि डीआरएम लखनऊ ने मुझे प्रस्तावना का अवॉर्ड भी दिया है और साथ ही फर्स्ट लेडी वूमेन का सम्मान भी दिया. सलमा ने महिलाओं को लिए महिला दिवस पर संदेश भी दिया और कहा कि किसी भी लड़की को अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए और किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए और अपना काम जज्बे से करना चाहिए.

सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट