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Japan Bans kirakira names: जापान में ‘किराकिरा’ नामों पर लगा बैन, अब मां-बाप नहीं रख सकेंगे बच्चों के अजीबोगरीब नाम, अब किस तरह के नाम रख सकेंगे

जापान में करीब 3,000 कांजी अक्षरों का इस्तेमाल नामों के लिए किया जा सकता है, और हर अक्षर के कई उच्चारण हो सकते हैं. इस लचीलापन ने माता-पिताओं को अनोखे नाम बनाने का मौका दिया. कुछ नाम पॉप कल्चर से प्रेरित हैं, जैसे "नारुतो" (एनीमे किरदार) या "एल्सा" (फ्रोजन की राजकुमारी). लेकिन कुछ नाम इतने अटपटे होते हैं कि उन्हें पढ़ना असंभव हो जाता है.

Japan kirakira name ban (Representative Image/Unsplash) Japan kirakira name ban (Representative Image/Unsplash)

क्या आप अपने बच्चे का नाम "पिकाचु" या "नाइकी" रखना चाहेंगे? शायद नहीं, लेकिन जापान में कुछ माता-पिता अपनी अनोखी सोच के चलते बच्चों के लिए ऐसे ही अटपटे नाम चुन रहे हैं. लेकिन अब जापान सरकार ने इन "किराकिरा" (चमकदार) नामों पर सख्ती बरतने का फैसला किया है! 

26 मई 2025 से लागू हुए नए नियमों के तहत अब माता-पिता बच्चों के नामों के लिए कांजी (चीनी आधारित जापानी अक्षरों) की सही उच्चारण बताने के लिए बाध्य होंगे. अगर नाम बहुत ज्यादा अजीब या विवादास्पद हुआ, तो उसे रिजेक्ट भी किया जा सकता है! 

किराकिरा नाम का ट्रेंड कब शुरू हुआ था? 
जापान में 1990 के दशक से "किराकिरा" नामों का चलन शुरू हुआ, जिसमें माता-पिता कांजी अक्षरों का इस्तेमाल करके बच्चों के नामों को अनोखा और चमकदार बनाने की कोशिश करते हैं. लेकिन ये नाम अक्सर इतने अजीब होते हैं कि स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी सिर खुजलाने को मजबूर हो जाते हैं. 

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उदाहरण के लिए, कुछ बच्चों के नाम हैं- पिकाचु (पोकेमॉन का किरदार), नाइकी (जूते का ब्रांड), पु (विनी द पूह), किटी (हैलो किटी), और यहां तक कि ओजिसामा (प्रिंस) और अकुमा (डेविल)! इन नामों को देखकर कोई भी हैरान हो सकता है. जापान की मशहूर ओलंपिक खिलाड़ी और टोक्यो 2020 की आयोजन समिति की प्रमुख सेइको हाशिमोटो ने अपने बेटों के नाम गिरिशिया (ग्रीस) और टोरिनो (ट्यूरिन) रखे, क्योंकि वे उन सालों में पैदा हुए जब इन शहरों में ओलंपिक हुए थे. लेकिन इन नामों का उच्चारण समझना हर किसी के बस की बात नहीं!

नए नियम से अब क्या बदलने जा रहा है
जापान की सरकार ने फैमिली रजिस्ट्री एक्ट में बदलाव कर यह सुनिश्चित किया है कि अब बच्चों के नामों के साथ उनके कांजी अक्षरों का सही उच्चारण (फोनेटिक रीडिंग) भी दर्ज करना होगा. अगर कोई नाम सामान्य उच्चारण से बहुत अलग या समाज के लिए अनुचित है, तो माता-पिता को इसका लिखित में कारण बताना होगा. अगर कारण संतोषजनक नहीं हुआ, तो नाम रिजेक्ट हो सकता है!

उदाहरण के लिए, अगर कोई माता-पिता कांजी "月" (चांद) को "लाइट" या "राइतो" कहना चाहते हैं, तो उन्हें इसे जस्टिफाई करना होगा. सरकार का कहना है कि यह कदम प्रशासनिक प्रक्रियाओं को डिजिटल करने और स्कूलों, अस्पतालों में होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए उठाया गया है.

क्यों हो रहा है विवाद?
कई माता-पिता इन नामों को अपनी रचनात्मकता और व्यक्तित्व का प्रतीक मानते हैं. जापान जैसे देश में, जहां सामाजिक एकरूपता पर बहुत जोर दिया जाता है, ऐसे नाम बच्चों को भीड़ से अलग दिखाने का एक तरीका हैं. लेकिन दूसरी तरफ, इन नामों की वजह से बच्चे स्कूल में बुलिंग का शिकार हो सकते हैं. स्कूल में रोल कॉल के वक्त इनका मजाक उड़ता है. कुछ लोग मानते हैं कि यह नियम बच्चों के हित में है, ताकि उन्हें भविष्य में शर्मिंदगी या दिक्कत न हो. 

किराकिरा नामों का इतिहास
जापान में करीब 3,000 कांजी अक्षरों का इस्तेमाल नामों के लिए किया जा सकता है, और हर अक्षर के कई उच्चारण हो सकते हैं. इस लचीलापन ने माता-पिताओं को अनोखे नाम बनाने का मौका दिया. कुछ नाम पॉप कल्चर से प्रेरित हैं, जैसे "नारुतो" (एनीमे किरदार) या "एल्सा" (फ्रोजन की राजकुमारी). लेकिन कुछ नाम इतने अटपटे होते हैं कि उन्हें पढ़ना असंभव हो जाता है.

उदाहरण के लिए, कांजी "光" (हिकारु, मतलब रोशनी) को कुछ लोग "राइतो" (अंग्रेजी के लाइट से) पढ़ते हैं. ऐसे नाम बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं, खासकर जब शिक्षक, डॉक्टर या सरकारी कर्मचारी इनका सही उच्चारण नहीं समझ पाते.