
पारंपरिक कलाओं को संजो कर रखने वाले कई शिल्पकार आज भी बिहार में मौजूद हैं. इन शिल्पकारों ने अपनी कलाओं की बदौलत खास पहचान बनाई है और बिहार का नाम देशभर में रौशन किया है. ऐसे ही एक करिश्माई शिल्पकार का नाम फिरंगी लाल गुप्ता है. फिरंगी लाल गुप्ता थ्री अंडरकट तकनीक के लिए फेमस है. उनको सरकार की तरफ से पुरस्कार भी मिल चुका है.
कैमूर के मशहूर शिल्पकार फिरंगी लाल गुप्ता-
कैमूर जिले के चांद प्रखंड के केसरी गांव के रहने वाले शिल्पकार फिरंगीलाल गुप्ता देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में अपनी कलाकारी की बदौलत पहचान बना चुके हैं. भारत और बिहार सरकार की मदद से चीन और मॉरिशस जा चुके हैं. बिहार सरकार सम्मानित कर चुकी है. यह थ्री अंडरकट कलाकारी के लिए मशहूर हैं. जिसमें मुलायम पत्थर से हाथी, कछुआ सहित अन्य मूर्तियों बनाते हैं. हाथी के अंदर नक्काशी करके हाथी और उसके भी अंदर नक्काशी करके हाथी यानी थ्री अंडरकट हाथी बनाने में महारथी हैं. एक हाथी को बनाने में लगभग तीन दिन का समय लगता है. फिलहाल फिरंगी लाल गुप्ता पटना के पाटलिपुत्र इलाके में स्थित उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.
इनके थ्री अंडरकट हाथी कैमूर जिले के समाहरणालय भभुआ में लगा है. जो 10 क्विंटल के मार्बल पत्थर को तरास कर बनाया गया है. हाथी बनाने के बाद भी उसका वजन आज भी 3 से 4 क्विंटल का बताया जा रहा है. फिरंगी लाल गुप्ता बिहार में अंडरकट तकनीक से कलाकृतियां गढ़ने वाले ख्याति प्राप्त शिल्पकार हैं.
पत्थर से कैसे बनाते हैं मूर्तियां?
फिरंगी लाल बताते हैं सबसे पहले मुलायम पत्थर को आरी से काटते हैं, कटर से तराशते हैं तब जाकर उसे कछुआ, हाथी, मेंढक, बैल और अन्य जानवरों का आकार देते हैं. फिरंगी लाल ने कहा बिहार सरकार का बहुत सहयोग मिला है. उनकी कला को राज्य और केंद्र सरकार ने सम्मानित और प्रोत्साहित भी किया है.
विदेशों में जा चुके हैं ये शिल्पकार-
बिहार सरकार, भारत सरकार के सहयोग से फिरंगी लाल को 2008 में चीन में अपनी कला प्रदर्शित करने का मौका मिला और वहां से लौटने के बाद उन्हें साल 2009-10 के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2012 में उन्होंने उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निमंत्रण पर संस्थान में अपनी कला का प्रदर्शन किया, जिसने वहां के कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया. 2017 में उन्हें बिहार सरकार की तरफ से मॉरिशस में अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला. कैमूर में प्रशिक्षण केंद्र खुलवाने के लिए सरकार से आग्रह कर रहे हैं, जिससे और बच्चों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा सके.
(रंजन कुमार त्रिगुण की रिपोर्ट)
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