
केरल के कोच्चि में एक अनोखी लाइब्रेरी शुरू हुई है, जहां किताबों की बजाय इंसानों को पढ़ा जाता है. यहां बुजुर्गों और अनुभवी व्यक्तियों से उनके जीवन के अनुभव, ज्ञान और विचारों के बारे में बातचीत की जाती है. उनसे सवाल पूछकर उनके नजरिए को समझा जाता है. इस लाइब्रेरी को “ह्यूमन लाइब्रेरी” कहा जाता है.
कोच्चि के न्यूक्लियस मॉल के फूड कोर्ट में स्थित यह ह्यूमन लाइब्रेरी 9 अप्रैल से हर हफ्ते लग रही है. पहले यहां सिर्फ फेमस लोगों को बुलाया जाता था, लेकिन अब आम लोग और अनजाने चेहरे भी इस अनुभव का हिस्सा बनेंगे. पहली ह्यूमन लाइब्रेरी में लगभग 100 लोग आए थे.
बुजुर्गों को ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाना
ह्यूमन लाइब्रेरी के संस्थापक अनिल जोश का कहना है कि यह पहल बुजुर्गों के अनुभवों और ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश है, क्योंकि कई ज्ञान किताबों में दर्ज नहीं होता, बल्कि वह मौखिक रूप से या जीवन में अपनाकर ही संरक्षित रहता है. इस परियोजना को बरुमा एक्टिविटी क्लब की अध्यक्ष अंजना श्रीधर ने भी सपोर्ट किया है, जो मानती हैं कि वरिष्ठ नागरिकों का ज्ञान युवाओं के लिए बेहद लाभकारी है.
पहली ‘ह्यूमन बुक’ मैत्रायण हैं, जो बताते हैं कि वे लोगों को पढ़ाने की बजाय बातचीत के जरिए एक-दूसरे से सीखते हैं, और इसे भविष्य के लिए रिकॉर्ड किया जाता है. अनिल जोश बताते हैं कि ह्यूमन लाइब्रेरी से दो पीढ़ियों के बीच की दूरी कम होती है और बुजुर्ग खुद को उपेक्षित महसूस नहीं करते. यह सेमिनार या कॉन्फ्रेंस से अलग है क्योंकि यहां किसी एक विषय पर नहीं, बल्कि कहानियों और अनुभवों के माध्यम से संवाद होता है.
कहां हुई थी शुरुआत
ह्यूमन लाइब्रेरी की शुरुआत सबसे पहले डेनमार्क में हुई थी, जहां साल 2000 में इसे सामाजिक भेदभाव को खत्म करने और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य समाज में एकता और समझदारी बढ़ाना था.