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कोल्हापुर का पन्हाला किला UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल! जानें इस ऐतिहासिक किले की गौरव गाथा 

कोल्हापुर शहर से सिर्फ 22 किलोमीटर दूर बसा पन्हाला किला छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का एक अहम हिस्सा रहा है. इस किले ने न केवल मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत किया, बल्कि कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह भी बना.

Panhala Fort (Photo: Social Media) Panhala Fort (Photo: Social Media)

मराठा इतिहास का गवाह पन्हाला किला अब दुनिया के नक्शे पर चमक रहा है! UNESCO ने इसे अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया है, और यह खबर कोल्हापुर वासियों के लिए गर्व का पल है. यह किला न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता की कहानियां बयां करता है, बल्कि अब दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करेगा. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए मौके मिलेंगे, और मराठा इतिहास की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी. 

पन्हाला किला था शिवाजी महाराज का गौरव
कोल्हापुर शहर से सिर्फ 22 किलोमीटर दूर बसा पन्हाला किला छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का एक अहम हिस्सा रहा है. इस किले ने न केवल मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत किया, बल्कि कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह भी बना. 10 नवंबर 1659 को अफजल खान के वध के बाद, शिवाजी महाराज ने बीजापुर की सेना को हराकर कोल्हापुर, पन्हाला, और कोंकण के बड़े हिस्से पर कब्जा किया था. इस जीत में नेतोजी पालकर की अगुआई में मराठों ने भारी लूट हासिल की थी. 

पन्हाला किले की सबसे मशहूर कहानी है 1660 की, जब सिद्दी जौहर ने इस किले को घेर लिया था. उस समय शिवाजी महाराज ने बाजी प्रभु देशपांडे और शिवा काशिद जैसे वीरों के साथ मिलकर एक साहसिक योजना बनाई. रात के अंधेरे में, कुछ चुनिंदा मावलों के साथ, शिवाजी महाराज ने पन्हाला से विशालगढ़ की ओर कूच किया. इस दौरान बाजी प्रभु देशपांडे ने घोड़खिंड (जो बाद में पवनखिंड के नाम से मशहूर हुआ) में सिद्दी जौहर की सेना को रोका. बाजी प्रभु और उनके साथियों ने अपनी जान देकर शिवाजी महाराज को सुरक्षित विशालगढ़ पहुंचाया. यह बलिदान मराठा इतिहास में अमर हो गया.

UNESCO की मुहर क्यों है यह खास?
UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से पन्हाला किला अब वैश्विक स्तर पर पहचाना जाएगा. स्थानीय निवासी मधुकर काशिद कहते हैं, “यह हमारे लिए गर्व की बात है. अब दुनिया भर से लोग हमारे किले को देखने आएंगे, और इससे हमारे गांव में रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे.” कोल्हापुर के जिला कलेक्टर अमोल येडगे ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जताई और कहा, “हमें इस ऐतिहासिक किले की महिमा को दुनिया तक पहुंचाना है. आइए, हम सब मिलकर पर्यटकों का स्वागत करें.”

यह सम्मान न केवल पन्हाला किले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अहमियत को दर्शाता है, बल्कि यह पर्यटन को भी बढ़ावा देगा. पालकमंत्री प्रकाश आबिटकर का कहना है, “पन्हाला का विश्व धरोहर में शामिल होना गर्व की बात है. यह किला शिवाजी महाराज की वीरता का प्रतीक है, और अब इसकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलेगी.”

पर्यटन और रोजगार के नए मौके
पन्हाला किला अब UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के बाद पर्यटकों का हॉटस्पॉट बनने जा रहा है. इससे कोल्हापुर और आसपास के इलाकों में पर्यटन को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा. स्थानीय होटल, गाइड, और दुकानदारों को नए बिजनेस के मौके मिलेंगे. पर्यटक न केवल किले की खूबसूरती देखने आएंगे, बल्कि मराठा इतिहास, शिवाजी महाराज की वीरता, और पवनखिंड की कहानी को भी करीब से जान सकेंगे. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खोलेगा.

पन्हाला की सैर का प्लान बनाएं!
पन्हाला किला अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के लिए पहले से ही मशहूर है. अब UNESCO की मुहर लगने के बाद यह और भी खास हो गया है. किला चारों तरफ हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा है, और यहाँ का ठंडा मौसम पर्यटकों को खूब भाता है. किले के अंदर आप बाजी प्रभु स्मारक, सज्जा कोठी, और अंधार बाव जैसे ऐतिहासिक स्थल देख सकते हैं. अगर आप इतिहास और प्रकृति के शौकीन हैं, तो पन्हाला की सैर जरूर करें.

(दीपक सूर्यवंशी की रिपोर्ट)