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Lucknow Building Collapse: लखनऊ बिल्डिंग हादसे में दूत बनकर पहुंचा शख्स...तुरंत डिवाइस बनाकर लोगों की लोकेशन ट्रैक की, बचाई 5 लोगों की जान

24 जनवरी की शाम लखनऊ में अचानक से पांच मंजिला अलाया अपार्टमेंट ढह गई.आनन-फानन में एनडीआरएफ स्थानीय पुलिस के साथ,सेना एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बुलाई गईं. रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. इस बीच गोमतीनगर के मिलिंद ने मौके पर पहुंचकर लोगों की जान बचाई.

लखनऊ बिल्डिंग हादसे में लोगों की जान बचाने वाला मिलिंद लखनऊ बिल्डिंग हादसे में लोगों की जान बचाने वाला मिलिंद

लखनऊ के हजरतगंज इलाके में 24 जनवरी की शाम अचानक से पांच मंजिला अलाया अपार्टमेंट ढह गया. अपार्टमेंट में रहने वाले लोग मलबे के नीचे दब गए. आनन-फानन में एनडीआरएफ स्थानीय पुलिस के साथ,सेना एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बुलाई गईं. रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. करीब 18 घंटे के बचाव कार्य के बाद 14 लोगों को सकुशल निकाल लिया गया. लेकिन सेना और एनडीआरएफ के जवानों के साथ मलबे में दबे लोगों की जान बचाने वालों में एक ऐसा नौजवान भी था जिसने मलबे में दबे लोगों को ढूंढने में उनकी सही दिशा पता करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. इस नौजवान ने हादसे को देखने के महज ढाई से 3 घंटे के अंदर एक अलग डिवाइस बनाकर मलबे में दबे लोगों को ढूंढना शुरू किया और पांच ऐसे लोगों की जान बचाई जिनका बचना नामुमकिन था जो मलबे के नीचे से सिर्फ सांसे भर ले पा रहे थे.

रोबोटिक इंजीनियरिंग की लैब
मंगलवार शाम लगभग साढ़े सात बजे हजरतगंज इलाके के वजीर हसन रोड पर स्थित अलाया अपार्टमेंट अचानक तेज आवाज के साथ ढह गया. स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने घटनास्थल को देखने के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमों को भी बुला लिया. लेकिन सरकारी तंत्र के नौजवानों के साथ-साथ एक ऐसा नौजवान भी पहुंचा था जिसमें एक अपार्टमेंट के मलबे में कई लोगों के दबे होने की खबर टीवी चैनल पर देखी थी. लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में रहने वाले मिलिंद राज कंप्यूटर साइंस में बीटेक हैं. गोमती नगर में इनकी अपनी रोबोटिक इंजीनियरिंग की लैब है. तरह-तरह के रोबोट के जरिए यह अनूठे प्रयोग करते रहते हैं. शाम जैसे ही हादसे की खबर मिलिंद को लगी मिलिंद खुद ही घटनास्थल पर पहुंचे, बारीकी से उन्होंने मौके का मुआयना किया और वापस अपनी लैब आ गए.

कैसे निकाली लोकेशन?
लैब में पहुंचकर 2:30 से 3 घंटे की मशक्कत के बाद उन्होंने मलबे में दबे लोगों को सही जगह पर लोकेट करने के लिए एक अलग डिवाइस बनाया और फिर मौके पर पहुंच गए. मिलिंद राज लगभग 10:00 बजे फिर मौके पर पहुंचे. पुलिस और एनडीआरएफ के अफसरों से बातचीत कर उन्होंने बताया कि वह बता सकते हैं कि मलबे के नीचे कोई व्यक्ति किस दिशा में कितनी गहराई पर दबा है. मिलिंद ने अपने डिवाइस को मलबे में नीचे डालना शुरू किया और आवाज लगाकर मलबे में दबे लोगों से कहा कि वह जहां हो वहां से दीवार को ठोकर पत्थर मारे या कुछ आवाज करें ताकि वह उनको सुन सकें. मिलिंद के अनुसार लोगों ने कराहना शुरू कर दिया, किसी ने सांसे ली तो किसी ने आवाज लगाई, बचा लो बचा लो. उनकी इन्हीं आवाजों को सुनने के बाद उनकी सही लोकेशन अपने डिवाइस से पता की और उस जगह पर राहत कार्य शुरू किया. मिलिंद के इस सराहनीय कदम से मलबे में बुरी तरह से दबे लगभग 5 लोगों को समय रहते पता लगाया जा सका और बचाव कार्य कर उनको सकुशल बाहर निकाला गया.

रात 10:00 बजे से बुधवार दोपहर लगभग 1:00 तक मिलिंद इस बचाव कार्य में लगे रहे. मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखने वाले मिलिंद लोगों को बचाने के चक्कर में फलाहार करना भी भूल गए और अब जब लोग बाहर निकले तो लोगों को बचाने का सुकून उनके चेहरे पर जरूर था. मिलिंद ने आजतक से बातचीत में साफ कहा कि यह उनके लिए भी अपना पहला अनुभव था, इससे पहले उन्होंने कभी ऐसा कोई रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं किया. लखनऊ उनका अपना शहर है लिहाजा वह अपने आप को रोक नहीं पाए और खुद ही वहां आ गए.