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MA पास लड़की बेच रही है चाय... दुकान से किया घर परिवार का गुजारा, चुनौतियों से भरा है अंजना का सफर  

उत्तराखंड के श्रीनगर की निवासी अंजना चाय की दुकान चला रही हैं. अंजना रावत एमए पास हैं. उन्होंने 2010 में चाय की दुकान पर बैठना शुरू किया था. इस दौरान अंजना ने अपनी पढ़ाई भी पूरी की, बहन की शादी भी करवाई और लोन पर घर भी बनवाया है. वे बताती हैं कि उनका सफर मुश्किल भरा रहा है लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

Anjana Rawat Anjana Rawat
हाइलाइट्स
  • 2010 में की थी दुकान की शुरुआत

  • इस दौरान खुद की पढ़ाई भी की पूरी 

2014 के बाद से चाय को हमेशा मान सम्मान और प्रतिष्ठा के नजरिए से देखा गया. कई बार उसे सफलता के पैमाने से भी जोड़ा गया और इसी मान सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए एक एमए पास लड़की ने चाय की दुकान खोली और उसी के जरिए अपना और अपने परिवार का भरण पोषण किया. 

31 साल की अंजना रावत ने 12 साल पहले चाय की दुकान खोली थी और आज भी ऐसी चाय की दुकान के जरिए अपनी पढ़ाई, बहन की शादी, मकान का लोन और बाकी चीजों का खर्चा भी उठा रही हैं. देखा जाए तो अंजना का यह सफर संघर्षों भरा जरूर था लेकिन उसकी उम्मीदों ने उसके हौसलों को बनाए रखा और उसे टूटने नहीं दिया. 

2010 में की थी दुकान की शुरुआत 

अंजना बताती हैं कि उन्होंने इस दुकान की शुरुआत साल 2010 में की थी. तब से लेकर आज तक वे दुकान के जरिए ही अपना घर परिवार चला रही हैं. दरअसल यह दुकान उनके पिताजी गणेश चलाया करते थे. लेकिन जब पिताजी कैंसर से पीड़ित हुए तब उन्होंने दुकान जाना बंद कर दिया.  पिताजी को अस्पताल में इलाज के लिए कराने के बाद अंजना ने दुकान संभालने का बीड़ा उठाया. लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते कुछ दिनों बाद उनके पिता गुज़र गए. उसके बाद से ही अंजना ने ठान लिया था कि वे अपने पिता की दुकान को खुद ही संभालेंगी. महज 17 साल की उम्र से उन्होंने दुकान पर बैठना शुरू किया. समय की कमी के कारण अंजना अपनी पढ़ाई भी इसी दुकान पर किया करती थीं.

शुरुआत में कई लोगों ने बनाया मजाक 

वे बताती हैं कि शुरुआत में जब चाय की दुकान पर बैठना शुरू किया था तब कई लोगों ने मजाक बनाया. आस पास आते जाते लोग फब्तियां कसते हुए अक्सर कहते थे कि यह लड़कों वाले काम है, इतने बुरे दिन भी नहीं आए कि लड़की की दुकान पर चाय पिएंगे. लेकिन अंजना इनकी बातों से कभी निराश नहीं हुई, उन्होंने हिम्मत हारे बिना अपना काम जारी रखा. अंजना कहती हैं कि समाज ने हर काम को लड़का और लड़की के दायरे में बांट रखा है. काम कभी छोटा बड़ा या जेंडर स्पेसिफिक नहीं होता. इसी सोच के साथ वे आगे बढ़ती गईं.

इस दौरान खुद की पढ़ाई भी की पूरी 

चाय की दुकान पर बैठ अंजना ने घर संभालने के साथ साथ खुद की पढ़ाई भी पूरी की. अंजना ने ग्रेजुएशन के बाद एमए की पढ़ाई की है. इन सबका खर्चा उन्होंने अपनी चाय की दुकान से उठाया है. खास बात यह है कि अपनी कमाई के ज़रिए उन्होंने अपनी बड़ी बहन की शादी भी करवाई और अब लोन लेकर घर भी बनवाया है.

अंजना बताती हैं कि जो लोग मेरा मज़ाक उड़ाते थे आज वही लोग मेरी दुकान पर आकर चाय पीते हैं. वे कहती हैं कि अच्छा लगता है जब कोई मां अपनी बेटी को मेरी दुकान दिखाते हुए मेरा उदाहरण देती है.

हौसले हमेशा रहे बुलंद 

आज अंजना की दुकान को 12 साल हो चुके हैं, लेकिन दुकान की हालत जस की तस है. उनकी परिस्थितियों में कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आया लेकिन उनके हौसले बुलंद है. उनका सपना है कि वो और पढ़ाई करके एक अच्छी नौकरी करे. मुस्कुराकर, आंखों में आंसू लिए वो कहती हैं कि, "मेरा सफर संघर्षों भरा जरूर रहा, लेकिन मैने कभी हार नहीं मानी. आगे मेरी यात्रा जारी रहेगी लेकिन मैं चाहती हूं अपनी मंजिल तक पहुंचना. जिंदगी में कुछ बनना चाहती हूं जिससे अपनी मां को एक बेहतर जिंदगी से सकूं."