
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर में अक्षय तृतीया के अवसर पर एक अनोखी और भावनात्मक शादी देखने को मिली. शादी से ठीक पहले दुल्हन की तबीयत बिगड़ जाने के बावजूद, परिवार ने शुभ मुहूर्त को व्यर्थ नहीं जाने दिया और अस्पताल को ही विवाह स्थल में बदल दिया. हर कोई इस विवाद की तारीफ कर रहा है.
शादी से 5 दिन पहले दुल्हन बीमार-
राजगढ़ के ब्यावरा के परमसिटी कॉलोनी के रहने वाले जगदीश सिंह सिकरवार के भांजे आदित्य सिंह की शादी थी. आदित्य की शादी कुंभराज की रहने वाली नंदनी से तय हुई थी. विवाह का दिन 1 मई को अक्षय तृतीया के दिन तय किया गया था. यह विवाह कुंभराज के पास पुरषोत्तमपुरा गांव में होना था. लेकिन शादी से 5 दिन पहले 24 अप्रैल को दुल्हन नंदनी की तबीयत अचानक से बिगड़ गई. आनन-फानन में दुल्हन को ब्यावरा के पंजाबी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. इलाज के बाद डॉक्टरों ने दुल्हन को आराम करने की सलाह दी. अब लड़की के परिवारवाले असमंजस में पड़ गए कि शादी कैसे होगी?
अस्पताल में शादी की तैयारी-
परिवारवालों को कुछ समझ नहीं रहा था कि क्या किया जाए?परिवार दोराहे पर खड़ा था. एक तरफ दुल्हन की तबीयत और दूसरी ओर शुभ मुहूर्त. डॉक्टर जेके पंजाबी ने बताया कि नंदनी ज्यादा देर तक बैठ नहीं सकती थीं, इसलिए परिवार ने उनसे सलाह लेकर अस्पताल में ही शादी करने का फैसला लिया. दूल्हा पक्ष भी अस्पताल में शादी को लेकर तैयार हो गया. इसके बाद दोनों परिवारों की सहमति से शादी हुई.
अस्पताल में हुई शादी-
शादी वाले दिन यानी 30 अप्रैल को दूल्हा बारात के साथ अस्पताल पहुंचा. हालांकि कुछ ही लोगों की मौजूदगी में शादी हुई. दूल्हा आदित्य सिंह बैंड-बाजे के साथ पंजाबी नर्सिंग होम पहुंचे. अस्पताल में ही पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी हुई. अस्पताल में मंडप सजाया गया, रस्में पूरी की गईं. सबसे खास पल तब आया, जब दूल्हे ने दुल्हन को गोद में उठाकर सात फेरे लिए. यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें नम हो गई.
इस अनोखी शादी ने यह संदेश दिया कि प्यार, समझदारी और साथ निभाने की भावना किसी भी रस्म से ऊपर होती है. साथ ही, यह उदाहरण बना कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, सच्चे रिश्ते अपन रास्ता खुद बना लेते हैं.
(राजगढ़ से पंकज शर्मा की रिपोर्ट)
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