migrant worker
migrant worker बीजिंग का एक 'डेजर्ट प्रिंस' सोशल मीडिया पर वायरल है. इस डेजर्ट प्रिंस का नाम वांग जिन है और वो 23 साल के हैं. असल में वो कोई प्रिंस नहीं हैं डेजर्टिफिकेशन कंट्रोल वर्कर हैं, जिन्हें रेगिस्तान को हरा भरा बनाने का काम मिला है. इस काम से उन्हें रोजाना करीब 2300 रुपये कमाते हैं.
सोशल मीडिया पर 5 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स
वांग के वीडियो में कुछ खास नहीं सिर्फ रेत, पसीना, और बासी खाना होता है. इसी से उन्होंने 5 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स हासिल कर लिए हैं. उनकी एक आंख भूरी, दूसरी नीली है. वांग जिस मिशन से जुड़े हैं, वो चीन का “Great Green Wall” है. इसका मकसद है उत्तर चीन के रेगिस्तानी इलाकों को फिर से हरा करना.
हीरो नहीं हैं वांग
वांग जिन कोई फिल्मी हीरो नहीं हैं. वह चीन के उत्तरी इनर मंगोलिया में अपने माता-पिता के साथ मिलकर पेड़ लगाकर रेगिस्तान को हराभरा बनाने में जुटे हैं. वांग एक आंख ने देख नहीं सकते हैं. काम के दौरान ही एक बार पेड़ की टहनी उनकी आंख में लग गई. इलाज का खर्च न होने के कारण उनकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई.
फौजी बनने की थी चाहत
वांग कहते हैं, “अगर मेरी आंख ठीक होती, तो मैं फौजी बनता.” लेकिन आज भी वह अपने काम से राष्ट्र सेवा ही कर रहा है. वांग ने अभी तक सिर्फ 17 वीडियो पोस्ट किए हैं. वीडियो में वह सादगी से पानी पीते, बन्स खाते और रेगिस्तान में काम करते नजर आते हैं. फिर भी, एक महीने में ही उनके 11 लाख फॉलोअर्स हो गए हैं. लोगों को उनका संघर्ष, उनका जज़्बा, और उनका कठोर जीवन बहुत पसंद आता है.
पर्यावरण के लिए समर्पण
वांग का काम चीन की ग्रेट ग्रीन वॉल प्रोग्राम का हिस्सा है, जो 1978 से चल रही है. इस मिशन के तहत अब तक 3.2 लाख वर्ग किलोमीटर में पेड़ लगाए जा चुके हैं और 8.5 लाख वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा घास लगाई गई है. वांग इस काम से रोजाना 200 युआन (लगभग 2,300 रुपये) कमाते हैं.
अपने वायरल हो रहे वीडियोज को लेकर वांग कहते हैं, “मुझे यकीन नहीं हो रहा कि लोग मुझे इतना पसंद कर रहे हैं. लेकिन खुशी है कि मेरे वीडियो के जरिए लोग पर्यावरण की अहमियत समझ पा रहे हैं.”