
How Indian Mango Plants Reached China: हर साल 22 जुलाई को राष्ट्रीय आम दिवस (National Mango Day) मनाया जाता है. भारत में आम को फलों का राजा कहा जाता है. अपने देश में दशहरी, अल्फांसो, चौसा, लंगड़ा सहित आम की कई किस्मों की खेती की जाती है. भारत आम उत्पादन में पूरी दुनिया में पहले स्थान पर है. यहां दुनिया के कुल आम उत्पादन का 40 प्रतिशत होता है लेकिन पिछले कुछ सालों से आम उत्पादन में भारत को चीन टक्कर दे रहा है. भारत के आम बाजार पर 'ड्रैगन' धीरे-धीरे कब्जा करते जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीन में आम पहुंचने की कहानी भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी है. पंडित नेहरू ने चीन को आम के पौधे रिटर्न गिफ्ट में दिए थे. आज चीन आम का बड़ा निर्यातक देश बन गया है. आइए जानते हैं भारत से चीन पहुंचे आम के पौधों की पूरी कहानी.
हर देश को पहले तोहफे में दिए जाते थे आम
हमारा देश 1947 में आजाद हुआ. आजादी के बाद भारत ने अपनी वैश्विक कूटनीति को मजूबत करने के लिए आम को एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया. भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 1950 के दशक में जब भी विदेश यात्रा पर जाते थे, तो उस देश को उपहार देने के लिए आमों का एक डिब्बा लेकर जाते थे. इतना ही नहीं, जब कोई विदेशी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री इंडिया आते थे तो पंडित नेहरू की ओर से उनको आम पेश किया जाता था.
रिटर्न गिफ्ट के तौर पंडित नेहरू ने चीन को दिए थे आम के पौधे
पंडित नेहरू ने चीन को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर आम के पौधे दिए थे. दरअसल, 14 नवंबर 1954 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का 65वां जन्मदिन दिन था. चीन के तत्कालीन पीएम झोउ एनलाई ने प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उनके जन्मदिन पर उपहार के रूप में चित्तीदार हिरणों की एक जोड़ी, एक सोने की मछली और लाल कलगी वाले सरसों की एक जोड़ी भेजी थी. पीएम नेहरू ने इसी के बदले आम के पौधों को चीन को उपहार में देने की घोषणा की थी.
आम के पौधों को भेजने की दिलाई थी याद
चीन को आम के पौधे उपहार के रूप में तुरंत नहीं भेजे गए थे, क्योंकि उस समय चीन में मौसम आम के पौधे लगाने के लिए उपयुक्त नहीं था. बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी आर गोबर्धन ने 29 अप्रैल 1955 को विदेश मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव टीएन कौल को लेटर भेजकर आम के पौधों को गिफ्ट के रूप में चीन को भेजने की याद दिलाई थी. इसके बाद चीन को आम के पौधे भेजे की प्रक्रिया शुरू की गई.
चीन को भेजे गए थे आम के 8 पौधे
विदेश मंत्रालय के अपर सचिव हरबंश लाल ने 18 मई 1955 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अपर सचिव को पत्र लिखकर आम के कुछ किस्मों के पौधे एकत्र करने के लिए कहा था. इसके बाद हरबंश लाल ने 23 मई 1955 को ICAR के निदेशक को पत्र लिख आम के 11 पौधों की व्यवस्था करने का आग्रह किया. इसके बाद चीन को आम के 8 पौधे भेजे गए. भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने 8 पौधे को कम बताते हुए और आम के पौधे भेजने की मांग की.
इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि अभी आम के 8 पौधे प्रायोगिक उद्देश्य के लिए चीन को भेजे गए हैं. यदि ये आम के पौधे वहां सफल तरीके से लग गए तो और बाद में भेजे जाएंगे. चीन को जो आम के 8 पौधे भेजे गए थे, उनमें दशहरी के तीन पौधे, चौसा के दो, अल्फांसो के दो और लंगड़ा का एक पौधा शामिल था. 31 मई 1955 को दिल्ली से एयर इंडिया इंटरनेशनल की उड़ान संख्या 155 से आम के ये आठों पौधे चीन को भेजे गए थे. इन पौधों को जहाज से चीन भेजने के लिए 480 रुपए खर्च आया था.
आम एक्सपोर्ट में भारत को चीन दे रहा टक्कर
1. भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आम का उत्पादन करता है.
2. दुनिया के कुल आम उत्पादन का 40 प्रतिशत भारत में होता है.
3. चीन आम के एक्सपोर्ट में भारत को दे रहा टक्कर.
4. चीन न सिर्फ दशहरी, चौसा, अल्फांसो और लंगड़ा की खेती कर रहा है बल्कि उन्हें दुनियाभर में एक्सपोर्ट भी कर रहा है.
5. कुछ आम तो चीन से आयात होकर भारत भी आ रहे हैं.
6. साल 2023 में भारत ने 55.94 मिलियन डॉलर के आम एक्सपोर्ट किए थे जबकि चीन ने 59.43 मिलियन डॉलर के आम एक्सपोर्ट किए थे.
7. साल 2022 में भारत ने 45.76 मिलियन डॉलर के आम एक्सपोर्ट किए थे जबकि चीन का एक्सपोर्ट 61.91 मिलियन डॉलर था.
8. साल 2024 में भारत का आम एक्सपोर्ट 60.16 मिलियन डॉलर तक पहुंचा था.